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पहले खुद पर भरोसा करें फिर पैरेंट्स को मनायें

।।दक्षा वैदकर।। स्कूली छात्र–छात्राएं व युवा अक्सर यह कहते दिखते हैं कि ‘मैं कॉमर्स विषय लेना चाहता था, लेकिन पैरेंट्स ने जबरदस्ती मैथ्स दिलवा दिया. मैं डांसर बनना चाहता था, लेकिन पैरेंट्स ने कहा कि डॉक्टर बनो. मैं खुद का कोई बिजनेस करना चाहता था, लेकिन पैरेंट्स ने दबाव डाला कि नौकरी करो. मैं अपने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 12, 2013 1:55 AM

।।दक्षा वैदकर।।

स्कूली छात्रछात्राएं युवा अक्सर यह कहते दिखते हैं कि मैं कॉमर्स विषय लेना चाहता था, लेकिन पैरेंट्स ने जबरदस्ती मैथ्स दिलवा दिया. मैं डांसर बनना चाहता था, लेकिन पैरेंट्स ने कहा कि डॉक्टर बनो. मैं खुद का कोई बिजनेस करना चाहता था, लेकिन पैरेंट्स ने दबाव डाला कि नौकरी करो.

मैं अपने कॉलेज में पढ़नेवाली लड़की से शादी करना चाहता था, लेकिन पैरेंट्स माने नहीं. हम हर चीज का इल्जाम अपने पैरेंट्स पर लगा देते हैं और खुद बच कर निकल जाते हैं, लेकिन सच तो यह है कि हम जो चीज चाह रहे होते हैं, उसको ले कर हम खुद ही कन्फ्यूज रहते हैं. हमें शंका होती है कि हम जो कर रहे हैं, वह सही है या गलत. यही वजह है कि हम अपने पैरेंट्स को मना नहीं पाते.

यदि हम जो करना चाहते हैं, उस पर हमें पूरा भरोसा है, तो हम कुछ भी कर के पैरेंट्स को मना ही लेते हैं. क्योंकि कोई भी मातापिता अपने बच्चों को दुखी नहीं देखना चाहते. आपको बस खुद पर यकीन रखना है और वह यकीन मातापिता को भी दिलाना है.


पिछले
दिनों मैंने इमेज बाजार के फाउंडर और सीइओ संदीप माहेश्वरी का इंटरव्यू पढ़ा. वे बताते हैं कि एक दिन उन्होंने पापा से कहा पापा, मैं अपने घर के नीचे वाले फ्लोर को तोड़ कर स्टूडियो बनाना चाहता हूं. पापा ने गुस्से में कहा, हमने तुम्हारी सारी अजीब हरकतें सहन की है, लेकिन यह बिल्कुल सहन नहीं करूंगा. मैं अपनी जान से भी प्यारा घर तुम्हें तोड़ने नहीं दूंगा.

उस रात जब पापा अपने बिस्तर पर लेटे, तो संदीप उनके पास जमीन पर बैठ गया. पापा ने कहा, संदीप तुम कुछ भी कर लो, मैं हां नहीं कहने वाला. संदीप बोला, मैं मनाने नहीं आया हूं. मैं तो सिर्फ अपने पापा के करीब बैठे रहना चाहता हूं. क्या एक बेटा अपने पापा के करीब नहीं बैठ सकता?. पिता ने करवट ली और सो गये. तीनचार घंटे बीत गये. संदीप वैसे ही बैठा रहा.

पापा ने उठ कर संदीप की तरफ देखा और कहा, लगता है तुम मानने वाले नहीं हो, ठीक है.. जो मर्जी आये करो, लेकिन अगर असफल हुए, तो फिर देख लेना. संदीप ने उन्हें गले लगा लिया. आज वही पापा अपने निर्णय पर खुश है कि उन्होंने बेटे को अपना घर तोड़ने की इजाजत दी.

बात पते कीः

अगर आपको खुद के निर्णय पर यकीन नहीं होगा, पैरेंट्स भी नहीं मानेंगे. आपको पहले खुद पर भरोसा करना सीखना होगा, तभी आप मना सकेंगे.

कोई भी पैरेंट अपने बच्चे को दुखी नहीं देख सकते. बस उन्हें मनाने का तरीका आपको आना चाहिए. आप उन्हें अपने फैसले पर यकीन तो दिलायें.

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