सपनों को साकार करती उड़नेवाली कार

ट्रैफिक जाम में फंसने पर अक्सर तुम्हें ऐसा लगता होगा कि काश उड़नेवाली कोई कार होती जो जल्दी से तुम्हें ट्रैफिक से निकाल कर घर तक पहुंचा देती. वैसे तो यह कल्पना लगती है, लेकिन पूर्वी यूरोप के एक छोटे-से देश स्लोवाकिया के जाने-माने डिजाइनर स्टीफन क्लेन ने इस कल्पना को हकीकत में बदल कर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 23, 2014 10:39 AM

ट्रैफिक जाम में फंसने पर अक्सर तुम्हें ऐसा लगता होगा कि काश उड़नेवाली कोई कार होती जो जल्दी से तुम्हें ट्रैफिक से निकाल कर घर तक पहुंचा देती. वैसे तो यह कल्पना लगती है, लेकिन पूर्वी यूरोप के एक छोटे-से देश स्लोवाकिया के जाने-माने डिजाइनर स्टीफन क्लेन ने इस कल्पना को हकीकत में बदल कर दिखाया है.

मशहूर हॉलीवुड फिल्म ‘बैक टू द फ्यूचर’ में हीरो टाइम मशीन के द्वारा 2015 में आता है. इसमें जो सबसे रोमांचक चीज दिखायी गयी थी, वह यह कि 2015 में साइंस ने इतनी तरक्की कर ली है कि उड़नेवाली कारें अस्तित्व में आ गयी हैं. मगर अब यह सच होने जैसा है. स्लोवाकिया के कार डिजाइनर स्टीफन क्लेन ने एक ऐसी ही कार डिजाइन की है.

इस प्रोजेक्ट पर क्लेन के साथ 12 लोगों की टीम काम कर रही थी. पिछले साल मोंट्रियल में इसका प्रोटोटाइप एयरोमोबिल 2.5 जारी किया गया. स्टीफन इसे एडवेंचर और पर्सनल ट्रांसपोर्ट की दुनिया के लिए नयी शुरुआत मानते हैं.

‘एयरोमोबिल’ एक ऐसी उड़नेवाली कार है, जिसे एक साधारण कार की तरह रोड पर भी चलाया जा सकता है और जरूरत पड़ने पर एयरक्र ाफ्ट्स की तरह हवा में भी उड़ाया जा सकता है. इस कार को सुपर कार की श्रेणी में रखा गया है. एक एयरक्राफ्ट के तौर पर यह दुनिया के किसी भी एयरपोर्ट का इस्तेमाल कर सकती है.

यह कार कई तरह के एडवांस मेटेरियल से तैयार की गयी है. इसमें विंग्स और व्हील्स के अलावा एवियोनिक्स इक्विपमेंट्स, ऑटोपायलेट और एक एडवांस पैराशूट डिप्लॉयमेंट सिस्टम भी है, जिसकी मदद से यह जमीन और हवा दोनों में चल सकती है.

इसे टेक ऑफ करने के लिए बाकी एयरक्राफ्ट की तरह बहुत बड़े एरिया की जरूरत भी नहीं होती. कार को रोटेक्स 912 इंजन के द्वारा चलाया जाता है. अधिकतम गति 200 और न्यूनतम 60 किमी प्रति घंटा है. दो लोगों की क्षमतावाली यह कार 6000 मिमी लंबी और 8320 मिमी चौड़ी है. प्रति घंटे इसमें 15 लीटर ईंधन की खपत होती है. इसे लैंड करने के लिए 50 मीटर और टेक ऑफ के लिए 250 मीटर स्पेस की जरूरत होती है. बड़ी खासियत यह है कि इसमें रेगुलर फ्यूल का ही इस्तेमाल होता है. कार को एयरोप्लेन की तरह इस्तेमाल करने के लिए खास मशक्कत करने की जरूरत नहीं. यह सिस्टम ऑटोमेटिक है. इसके निर्माण में स्टील के फ्रेम वर्क और कार्बन कोटिंग डायमेंशन का इस्तेमाल किया गया है. इस कार की पिछले महीने रियल फ्लाईट कंडीशंस में टेस्टिंग की जा चुकी है और अब इसका परीक्षण रेगुलर फ्लाइट टेस्टिंग प्रोग्राम के अंतर्गत किया जा रहा है. इस कार को स्लोवाक फेडरेशन ऑफ अल्ट्रा लाइट फ्लाइंग के द्वारा एक कार और लाइट स्पोर्ट एयरक्राफ्ट के तौर पर सर्टिफाइड किया जा चुका है.

तो अब हम वाकई उम्मीद कर सकते हैं कि अगले साल तक उड़नेवाली कारें अस्तित्व में आ जायेंगी. तब ट्रैफिक की समस्या दूर हो जायेगी.

प्रस्तुति : पूजा कुमारी

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