एफ -33, सेक्टर-3, एच. ई. सी, धुर्वा, रांची , झारखंड, आम तौर पर झारखंड की राजनीति की समझ रखने वालों के लिए यह पता कोई नया नहीं है , परंतु झारखंड विधानसभा चुनाव परिणाम के पश्चात यह पता अचानक से ही राजनीतिक हलचलों और गतिविधियों का केंद्र बन गया है.
झारखंड के इतिहास में पहली बार किसी गंठबंधन को बहुमत हासिल हुआ है, 42 सीटों के साथ एनडीए गंठबंधन सरकार बनाने की ओर अग्रसर है.तमाम अटकलों और गहमागहमी के बीच यह पता झारखंड के नए मुख्यमंत्री का हो सकता है, लेकिन जब प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास से बातचीत के लिए पहुंची तो वह अपने पिछले 48 घंटों की थकान मिटा रहे थे. बातों ही बातों में पता चला कि उन्होंने पिछले दिन अति व्यस्तता की वजह से समय पर अपना भोजन भी नहीं लिया था.
भोजन लेने के पूर्व उन्होंने अपने आवास पर आये हुए तमाम कार्यकर्ताओं की शुभकामनाओं को स्वीकार किया और एक सामान्य व्यक्ति की भांति एक-एक कार्यकर्ता के साथ अपनी तस्वीर खिंचवाई. इस दौरान वे काफी सहज और सरल दिखाई दिए.
अपने अतिव्यस्त कार्यक्रम के बीच में उन्होंने कुछ समय निकालते हुए प्रभात खबर डॉट कॉम के साथ बातचीत की.जितना सादा उनकी थाली में परोसा गया भोजन था, उतनी ही सरलता से उन्होंने हमारे प्रश्नों के उत्तर दिए.
हालांकि मुख्यमंत्री पद पर उन्होंने कुछ भी कहने से बचते हुए लोगों से भाजपा विधायक दल की बैठक होने और पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षकों की ओर से किसी भी प्रकार की घोषणा होने तक इंतजार करने को कहा.
बातचीत की शुरूआत हमने ताजा तरीन आ रही खबरों से की जिसमें भाजपा के शिखर पुरुष और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एवं मदन मोहन मालवीय को भारत सरकार की ओर से भारत रत्न देने की घोषणा की गयी.
प्रस्तुत है उनसे की गयी बातचीत के प्रमुख अंश…
सवालः : पहला प्रश्न वाजपेयी जी के प्रसंग से जिसका उल्लेख अरुण जेटली ने अपने ब्लॉग में किया है , अभी-अभी कुछ देर पहले जेटली जी ने एक ब्लॉग लिखा है जिसमें उन्होंने वाजपेयी जी के जुझारूपन एवं अडिग निर्णय का जिक्र किया है. प्रसंग यूं है कि ईमरजेंसी के दौरान जब वाजपेयी जी गंभीर रूप से कमर दर्द से पीडित हो गए तो डॉ ने वाजपेयी जी से बोला ‘आप ज्यादा झुक गए होंगे’. इसपर वाजपेयी जी ने गंभीर जवाब दिया डॉ साहब झुक तो सकते नहीं यूं कहिए मुड़ गए होंगे. भाजपा आज जबकि झारखंड में पहली बार गंठबंधन की पूर्ण बहुमत की सरकार बनती दिख रही है तो उसके निर्णयों में क्या भाजपा के शिखर पुरूष की व्यक्तित्व और आभा की झलक दिखाई देगी. क्या नयी सरकार बिना झुके झारखंड के हित में निर्णय लेगी?
जवाब : निश्चित रूप से झारखंड के निर्माण में वाजपेयी जी का सर्वोच्च योगदान है. भारत में एक साथ तीन राज्य अलग किये गए थे- छत्तीसगढ़ उत्तराखंड और झारखंड. इन सभी राज्यों के गठन का उद्देश्य असमानता को दूर करना था. परन्तु इन वर्षों में जहां अन्य राज्यों में विकास देखा गया वहीं पर झारखंड में राजनीतिक स्थिरता के अभाव में विकास की गति धीमी रही.
वाजपेयी जी इस राज्य के जन्मदाता के तौर पर देखे जाते हैं. सर्वप्रथम मैं मोदी सरकार और मोदी जी को आदरणीय वाजपेयी जी और मदन मोहन मालवीय जी दोनों को भारत रत्न देने के फैसले पर बधाई देना चाहूंगा और निश्चित तौर पर झारखंड के विकास को लेकर आने वाली एनडीए सरकार किसी प्रकार का समझौता नहीं करेगी. हम झारखंड के विकास के प्रति प्रतिबद्ध हैं , न झुकेंगे और न टूटेंगे.
सवालः आप भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं . झारखंड विधानसभा चुनाव परिणाम पर आपका क्या आकलन हैं ? इस चुनाव परिणाम को लेकर मोदी फैक्टर के बारे में आपकी क्या राय है ?
जवाबः नरेंद्र मोदी ने झारखंड की जनता के साथ सीधा संवाद स्थापित किया और यहां की जनता बहुमत की मांग की. उन्होंने कहा कि आप हमें बहुमत दीजीए हम आपको विकास देंगे. झारखंड की जनता ने मोदी की अपील को स्वीकारा और पहली बार चौदह वर्षों में एनडीए की सरकार को पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का अवसर दिया. इसके लिए झारखंड की जनता को मैं अपनी ओर से धन्यवाद देना चाहता हूं.
सवालः इस बार के चुनाव परिणाम में मुख्यमंत्री एक सीट से स्वयं हार जाते हैं. उनके मंत्रिमंडल के दो मंत्रियों को छोड़कर सभी मंत्री अपनी सीट गंवा देते हैं. इस तरह का चुनाव परिणाम आप किस नजरिये से देखते हैं? क्या इसे सत्ता विरोधी लहर कहा जा सकता है? और साथ ही नरेंद्र मोदी की साख का भाजपा को कितना लाभ हुआ ?
जवाबः चौदह महीने की हेमंत सरकार से आम जनता काफी हताश एवं निराश थी. बालू जो कि आम जनता के लिए 500 और 600 रुपये में एक ट्रक उपलब्ध होता था उस बालू को भी हेमंत सरकार ने बांबे के ठेकेदारों के हवाले कर दिया और वही बालू फिर 5000 और 6000 रुपये में मिलने लगा. ग्राम पंचायत को मिलने वाले अधिकार भी बांबे के ठेकेदारों के हवाले कर दिये गये. चौदह महीने में लूट-खसोट बढ़ा और जनतांत्रिक प्रक्रियाओं की भारी अवहेलना की गयी. इन सबके बीच एक तबादला उद्योग को खड़ा किया गया जिसकी वजह से सिर्फ और सिर्फ भ्रष्टाचार पनपा. विकास की वो सारी योजनाएं जो गरीब जनता के लिए थी वो इन चौदह महीनों में जमीन पर नहीं उतर सकी. इस सरकार का एक हीं उद्देश्य था कि कैसे हम ज्यादा से ज्यादा पैसे अर्जन करें और उसका इस्तेमाल आने वाले चुनाव में करें. इन पैसों से गरीब जनता के वोटों को खरीदने का भी काम करें. इन सबके बीच जब जनता को नरेंद्र भाई मोदी का राष्ट्रवाद विकासवाद और सुशासन की छवि की झलक दिखाई दी तब झारखंड की जनता ने मोदी जी के फार्मूले पर विश्वास करते हुए एनडीए को पूर्ण बहुमत दे दिया.
सवालः मोटे तौर पर देखें तो झारखंड के पहले मुख्यमंत्री अपनी दोनों सीट गंवा बैठे, दूसरे मुख्यमंत्री भी पराजित हुए, तीसरे को भी हार मिली, चौथे ने चुनाव ही नहीं लड़ा और पांचवे को एक सीट पर पराजय का मुंह देखना पडा. तथाकथित क्षत्रपों की भारी पराजय हुई. कुछ दल अपना खाता भी नहीं खोल पाये. इस पर आपकी प्रतिक्रिया क्या है?
जवाबः लोकतंत्र में मतदाता का फैसला आखिरी होता है. यही चुनाव की खूबसूरती है. चुनाव में हार जीत होती रहती है जैसे की खेल में हार जीत होते रहते हैं. कभी -कभी हार कुछ स्थानीय कारणों से भी होती है इसलिए मतदाता के फैसले को स्वीकार करना चाहिए.
सवालः आखिरी सवाल (रघुवर दास मुस्करा कर कहते हैं कि खाना ठंड़ा हो रहा है, अति व्यस्तता में कल भोजन भी नहीं कर सका ) 26 दिसंबर को भाजपा विधायक दल की बैठक है. तमाम जगहों पर मुख्यमंत्री पद के लिए आपके नाम की चर्चा है. मीडिया में आपका नाम सबसे ऊपर है . कितने समाचार चैनलों ने तो यहां तक कह दिया है कि आपकी नाम की महज औपचारिक घोषणा बाकी है. आपकी इसपर प्रतिक्रिया.
जवाबः मुस्कराते हुए, आप सब हमारे राष्ट्रीय नेतृत्व की ओर से औपचारिक घोषणा का इंतजार कीजिए मैं भी आप सब की भांति ही इंतजार कर रहा हूं.