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भूमिहीन परिवार बनें जमीन के मालिक

वनाधिकार पट्टा योजना इस योजना के तहत सरकार वैसे आदिवासी परिवारों को बसने और जीवन यापन के लिए वनभूमि पर अधिकार का पट्टा देती है, जिस भूमि पर कोई आदिवासी परिवार लंबे समय से बसा हुआ हो. इस तरह की जमीन अहस्तांतरणीय और गैर व्यावसायिक होती है. यानी पट्टे पर मिली वन भूमि पर आदिवासी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 14, 2013 1:28 PM

वनाधिकार पट्टा योजना

इस योजना के तहत सरकार वैसे आदिवासी परिवारों को बसने और जीवन यापन के लिए वनभूमि पर अधिकार का पट्टा देती है, जिस भूमि पर कोई आदिवासी परिवार लंबे समय से बसा हुआ हो. इस तरह की जमीन अहस्तांतरणीय और गैर व्यावसायिक होती है. यानी पट्टे पर मिली वन भूमि पर आदिवासी परिवार घर बना कर खुद रह सकता है और उस जमीन पर खुद के खाने लायक फसल उपजा सकता है. इस जमीन पर बने मकान को वह किराये पर नहीं दे सकता है और व्यवसाय के लिए उस जमीन का इस्तेमाल नहीं कर सकता है. वह पट्टे पर मिली जमीन का खुद उपभोग कर सकता है. वह उसे बेच नहीं सकता और न ही किसी को दान दे सकता है. झारखंड में अंचल कार्यालय से चलने वाली यह सबसे महत्वपूर्ण योजना है. इस पर सरकार का सबसे ज्यादा फोकस है. इसे लेकर

आदिवासी भूमि वापसी योजना

झारखंड भमि संबंधी दो तरह के कानून हैं. संताल परगना के छह जिलों में संताल परगना काश्तकारी कानून लागू है, जबकि छोटानागपुर के 18 जिलों में छोटानागपुर काश्तकारी कानून प्रभावी है. दोनों ही कानून में आदिवासियों की जमीन की रक्षा का प्रावधान है. संताल परगना काश्तकारी कानून के मुताबिक चाहे आदिवासी हो या गैर आदिवासी, कोई भी अपनी जमाबंदी जमीन (अहस्तांतरणीय जमीन) को किसी को भी नहीं बेच सकता है. जो कुछ खास जमीन हस्तांतरणीय है, उसी की वहां खरीद-बिक्री होती है. छोटानागपुर काश्तकारी कानून में गैर आदिवासी अपने थाना क्षेत्र के किसी भी व्यक्ति को अपनी जमीन हस्तांतरित कर सकता है, लेकिन आदिवासी अपनी जमीन का हस्तांतरण केवल आदिवासी को ही कर सकता है. इस कठोर भूमि कानून के प्रभावी रहने के बाद भी बड़ी संख्या में ऐसी जमीन का हस्तांतरण हुआ है, जिसकी इजाजत कानून नहीं देता है. इसे लेकर आदिवासी समाज सवाल भी उठाता रहा है. सरकार ने भूमि संबंधी विवादों को हल करने और आदिवासियों की जमीन को सुरक्षित करने के लिए जमीन वापसी योजना शुरू की है. झारखंड में यह योजना भी महत्वपूर्ण है. सरकार ने सभी अंचल कार्यालयों को इस योजना को लेकर संवेदनशीलता बरतने का निर्देश दिया है. इसके तहत अगर किसी आदिवासी की जमीन पर किसी ने कब्जा कर लिया है और जमीन का मालिक इसकी शिकायत करता है, तो अंचल अधिकार उसकी जांच कर उस पर त्वरित कार्रवाई करेगा और मूल रैयत को उसकी जमीन वापस दिलायेगा.

आधुनिक अभिलेखागार का निर्माण

सरकार ने जमीन संबंधी अभिलेखों को ज्यादा सुरक्षित तरीके से रखने के लिए आधुनिक अभिलेखागार बनाने का फैसला किया है. इसके लिए अंचलों में आधुनिक भू-अभिलेखागार बनवाये जायेंगे. अब तक पुराने तरीके से भू-अभिलेखों को रखा जाता था, जो रजिस्टर में दर्ज होता था. बाढ़, अगिA, दीमक आदि से इस तरह के अभिलेखों को हमेशा खतरा रहता था. आधुनिक अभिलेखागार में जमीन संबंधी रिकॉर्ड की हार्ड एवं सॉफ्ट कॉपी रखने की व्यवस्था है. यह योजना देश के सभी राज्यों में शुरू की जा रही है. बिहार में पहले से इस पर काम शुरू हो चुका है. इसके भवन निर्माण के लिए सरकार 30.65 लाख रुपये प्रति अंचल की दर से राशि खर्च करती है. इन अभिलेखागारों के लिए 12.50 लाख रुपये से आधुनिक उपकरण खरीद का प्रावधान है. झारखंड में भी यह योजना शुरू हो रही है. आपके अंचल में इस भवन का निर्माण तथा उपकरणों की खरीद आदि पर आप नजर रख सकते हैं. इसके लिए आप सूचनाधिकार का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इस नयी व्यवस्था में आपकी जमीन का रिकॉर्ड सही-सही रखा जा रहा है या नहीं, यह जानने के लिए आप भी आप सूचनाधिकार का का प्रयोग कर सकेंगे.

आपदा प्रबंधन

राज्य में आपदा प्रबंधन की योजनाएं भी अंचल पदाधिकारी की देख-रेख में चलती हैं. इसके तहत प्राकृतिक आपदा की स्थिति में हुई क्षति की भरपाई के लिए सरकार द्वारा प्रभावित परिवार को तत्काल राहत मुहैया करायी जाती है, ताकि वह आपदा की स्थिति में अपने जीवन और रोजगार को सुरक्षित रख सके. इसके तहत अगलगी, बाढ़, वज्रपात, भूकंप आदि से होने वाले नुकसान, जैसे घर, घरेलू सामान, अनाज, कृषि उत्पादन, पशु आदि की बरबादी पर सरकार प्रभावित परिवार को नुकसान के अनुपात में राहत उपलब्ध कराती है. इसके लिए दर तय है. वज्रपात से अगर मौत होती है, तो ऐसे मामलों में भी सरकार मुआवजा देती है. यह राहत अंचल कार्यालय से मिलती है. आप आपदा प्रबंधन का लाभ लेने और दूसरे प्रभावित व्यक्ति या परिवार को इसका लाभ दिलाने के लिए अंचल अधिकारी को आवेदन दें. अगर आपके आवेदन पर कार्रवाई नहीं होती है या आपको लगता है कि इस योजना में किसी तरह की गड़बड़ी हुई है, तो आप सूचनाधिकार का इस्तेमाल कर सकते हैं और अंचल अधिकारी से इस योजना का हिसाब-किताब मांग सकते हैं.

पेंशन योजना

झारखंड में वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन और विकलांगता पेंशन की योजनाएं चल रही हैं. कुछ जिलों में पेंशन योजनाओं का संचालन अंचल कार्यालय से हो रहा है (जैसे धनबाद आदि जिले), जबकि कुछ जिलों में इसके कार्यान्वयन की जवाबदेही प्रखंड विकास पदाधिकारी को दी गयी है (जैसे गिरिडीह जिला आदि). आपके जिले में अगर अंचल कार्यालय से यह योजना चल रही है, तो आप इसके लाभ के लिए अंचल अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं. आप उन्हें आवेदन दें और अपने दावे की पुष्टि के लिए सबूत के तौर पर जरूरी कागजात की छायाप्रति संलगA करें. आपके आवेदन की जांच-पड़ताल के बाद आपको पेंशन योजना का लाभ दिलाना अंचल अधिकारी की जवाबदेही है. आप जानते हैं कि झारखंड में पेंशन योजना को लेकर सबसे ज्यादा मारामारी और हंगामा है. इसमें बड़े पैमाने पर अनियमितता और घोटले के मामले भी सामने आते रहे हैं. सरकार ने इस पर नियंत्रण के लिए रास्ता निकाला है कि लाभुक को पेंशन की राशि उसके खाते में ऑनलाइन जमा होगी.

राजस्व व भूमि सुधार विभाग का ढांचा

शासन स्तर

प्रधान सचिव

सचिव

संयुक्त सचिव

उप सचिव

अवर सचिव

प्रमंडल स्तर पर

प्रमंडलीय आयुक्त

जिला स्तर पर

समाहर्ता

अपर समाहर्ता

अनुमंडल स्तर पर

अनुमंडल पदाधिकारी

भूमि सुधार उप समाहर्ता

अंचल स्तर पर

अंचल अधिकारी

अंचल निरीक्षक

क्षेत्र स्तर पर

राजस्व कर्मचारी

अमीन

सेवाएं, जो आपके लिए हैं

जाति, आवासीय व आय प्रमाण-पत्र

दाखिल खारिज

वनाधिकार पट्टा

वसीगत पर्चा

गृह स्थल योजना

भूमि वापसी

आधुनिक अभिलेखागार का निर्माण

सेवा की गारंटी में अपील

झारखंड राज्य सेवा देने की गारंटी अधिनियम, 2011 में यह प्रावधान है कि अगर निर्धारित समय के भीतर आपका काम नहीं होता है, तो आप उसके खिलाफ अपील दायर कर सकते हैं. अपील के लिए कोई शुल्क देय नहीं है. अपील में आप अंचल अधिकार का नाम व पता, मामले की संक्षिप्त जानकारी, उससे जुड़े कागजात की फोटो कॉपी, अपील का आधार और आप क्या कार्रवाई चाहते हैं, इसका उल्लेख करें. आप पहले प्रथम अपीलीय पदाधिकारी के पास अपील करें. वहां 15 दिन के भीतर कार्रवाई नहीं होती है या की गयी कार्रवाई से आप संतुष्ट नहीं हैं, तो दूसरा अपील द्वितीय अपीलीय पदाधिकारी के समक्ष दायर करें. द्वितीय अपील में भी कोई शुल्क नहीं लगता है. द्वितीय अपील में भी वह सब जानकारी दें, जो प्रथम अपील में आपने दी. इसमें आप प्रथम अपील पदाधिकारी का नाम, अपील की तिथि और की गयी कार्रवाई का भी उल्लेख करें. द्वितीय अपील के निष्पादन के लिए भी 15 दिनों की समय सीमा तय है.

कहां करें अपील

प्रथम अपील : अनुमंडल पदाधिकारी.

द्वितीय अपील : उपायुक्त.

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