चिंता कुछ नहीं, बस एक काल्पनिक कहानी है
।। दक्षा वैदकर ।। पिछले दिनों मैंने चिंता पर कॉलम लिखा था. लोगों ने इस पर कई तरह के सवाल किये. मसलन, किसी ने कहा कि अगर मैं ट्रैफिक जाम में फंस जाऊं और मेरी बहुत महत्वपूर्ण मीटिंग हो, तो क्या मैं चिंता न करूं? किसी ने कहा कि जब मैं चिंता करती हूं कि […]
।। दक्षा वैदकर ।।
पिछले दिनों मैंने चिंता पर कॉलम लिखा था. लोगों ने इस पर कई तरह के सवाल किये. मसलन, किसी ने कहा कि अगर मैं ट्रैफिक जाम में फंस जाऊं और मेरी बहुत महत्वपूर्ण मीटिंग हो, तो क्या मैं चिंता न करूं? किसी ने कहा कि जब मैं चिंता करती हूं कि कहीं मैं फेल न हो जाऊं, तभी मैं पढ़ाई करती हूं.
दोस्तो, पहले आपको समझना होगा कि चिंता होती क्या है? दरअसल चिंता हमारे द्वारा बनायी गयी एक काल्पनिक कहानी होती है. हम ट्रैफिक जाम में फंस जाते हैं, तो हम अपने दिमाग में एक चित्र बनाने लगते हैं कि मैं ऑफिस लेट पहुंची, बॉस ने डांटा, सभी के सामने भला–बुरा कहा.. हम सोचने लगते हैं कि ‘कहीं ऐसा न हो जाये’ और बस इसी बात को सोच–सोच कर हम अपनी सारी दिमागी ऊर्जा नष्ट कर देते हैं, जो किसी अच्छे रचनात्मक काम में लगायी जा सकती थी.
ऐसी स्थिति से बचने का एक तरीका है खुद से सवाल पूछें कि अगर मैं चिंता करूंगी, तो उससे क्या फायदा होगा? क्या आपके चिंता करने से ट्रैफिक जाम हट जायेगा? क्या आपकी गाड़ी आकाश में उड़ कर ऑफिस पहुंच जायेगी? नहीं न.. तो फिर हम चिंता करके अपनी ऊर्जा को क्यों गंवाते हैं?
ऐसा अक्सर होता है कि कोई व्यक्ति रोज हमसे अच्छे से बात करता है और किसी दिन वह ठीक से बात नहीं करता, तो हम चिंता करने लगते हैं. हम सोचते हैं कि इसने आज ठीक से बात नहीं की, कहीं मुझसे नाराज तो नहीं? या, अच्छा, इसका मतलब निकल गया इसलिए मुझे इग्नोर कर रहा है. या, जरूर इसका नया दोस्त बन गया होगा इसलिए अब इसे मेरी जरूरत नहीं. असल में ये सिर्फ कहानियां हैं, क्योंकि वह व्यक्ति तो केवल इसलिए ठीक से बात नहीं कर पाया था, क्योंकि वह थोड़ा व्यस्त था.
मेरा अंतिम जवाब छात्र पाठक के लिए. आपको लगता है कि आप चिंता करती हैं इसलिए पढ़ने बैठती है. लेकिन क्या आपको नहीं लगता कि आपकी चिंता ‘मैं फेल हो गयी तो, मां–बाप क्या कहेंगे, दोस्त क्या कहेंगे’आपका पढ़ाई से ध्यान हटा रही है? आप बिना भविष्य की चिंता किये, एकाग्र होकर भी तो पढ़ सकती है. पहले अपना 100 प्रतिशत देकर पढ़ो तो सही. बाकी सब छोड़ दो.
– बात पते की
* चिंता एक नकारात्मक क्रिया है. आप चिंता करेंगे और अपने दिमाग में कई तरह के नकारात्मक विचार लायेंगे, तो आपकी ऊर्जा नष्ट होती जायेगी.
* चिंता आपको वर्तमान से उठा कर भविष्य में ले जाती है. एक ऐसी नकारात्मक परिस्थिति में, जो शायद होनेवाली नहीं है. इसलिए चिंता छोड़ें.