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मलाला की राह पर चली रजिया सुल्तान, मिला मलाला पुरस्कार उत्तर प्रदेश में मेरठ के जानी ब्लॉक का गांव नंगला कुं भा में हर ओर दो नामों की चर्चा थी. गांव का हर शख्स राजिया सुल्तान को जानता है और मलाला के बारे में बहुत से अनजान हैं. ये ग्रामीण मलाला के बारे में ज्यादा […]

मलाला की राह पर चली रजिया सुल्तान, मिला मलाला पुरस्कार

उत्तर प्रदेश में मेरठ के जानी ब्लॉक का गांव नंगला कुं भा में हर ओर दो नामों की चर्चा थी. गांव का हर शख्स राजिया सुल्तान को जानता है और मलाला के बारे में बहुत से अनजान हैं. ये ग्रामीण मलाला के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं, लेकिन इस बात पर बड़े खुश हैं कि उनके गांव की बेटी रजिया सुल्तान को कोई मलाला के नाम का बड़ा पुरस्कार मिल गया है. दरअसल रजिया को संयुक्त राष्ट्र का पहला मलाला युसूफजई पुरस्कार मिला है.

परिवार की सहायता

रजिया अपने भाईबहनों में सबसे बड़ी है. रजिया के घर की आर्थिक स्थिति बहुत ही दयनीय है. पांच वर्ष के उम्र से ही अपने नन्हें हाथों से वह परिवार के साथ मिलकर फुटबॉल बनाने में जुट गयी थी.

बचपन बचाओ आंदोलन से जुड़ीं

रजिया के जीवन में उस वक्त एक जबरदस्त मोड़ आया, जब गांव में दिल्ली की एक संस्था बचपन बचाओ आंदोलन ने उसे स्कूल में पढ़ने की राह दिखायी. सबसे पहले रजिया अपनी गांव की बाल पंचायत की सरपंच बनी. उसने अपनी पढ़ाई के साथ बचपन बचाओ संगठन के साथ काम करते हुए अपने गांव के बाल मजदूरी में लगे बच्चों को घरघर जा कर उनके परिजनों को उन्हें स्कूल में भेजने के लिये प्रेरित किया. प्राइमरी शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल से प्राप्त कर उसने जूनियर हाइ स्कूल तक की शिक्षा सिवाल हाइ स्कूल से प्राप्त की. इसके बाद उसने हाइ स्कूल वीटी पब्लिक स्कूल से किया. फिल्हाल वह बाहरवीं में कुराली स्थित एलटीआर पब्लिक स्कूल की छात्र है.

तीन माह पहले आये थे ब्राउन

करीब तीन माह पूर्व संयुक्त राष्ट्र संघ के विशेष दूत गॉडर्न ब्राउन भारत आये थे. उस समय बचपन बचाओ आंदोलन के संस्थापक कैलाश सत्यार्थी से उनकी बात हुई थी. इस बातचीत में रजिया सुल्तान के किये कार्यो के बारें में भी चर्चा हुई थी. उस समय गॉडर्न ब्राउन ने रजिया के सामाजिक कार्यो का वीडियो लिया था. इसके बाद कैलाश सत्यार्थी ने भारत की और से मलाला सम्मान के लिये रजिया का नाम भेजा था.

शामिल होने का मलाल

रजिया संयुक्त राष्ट्रीय संघ के न्यूयॉर्क स्थित मुख्यालय के सभागार में विशेष शिक्षा दूत ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री गॉडर्न ब्राउन से मलाला पुरस्कार प्राप्त करने से वंचित रह गयी. पासर्पोट और वीजा आदि की दिक्कतों के चलते पुरस्कार प्राप्त करने के लिए वह न्यूयॉर्क नहीं जा पायी. इसके स्थान पर भारत के प्रतिनिधि ने रजिया की ओर से यह पुरस्कार प्राप्त किया. इस अवसर पर रजिया का भाषण पढ़ कर सुनाया गया.

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