लंदन: एक उपग्रह से पता चला है कि पिछले एक दशक में अंटाकर्टिक और ग्रीनलैंड ग्लेशियर की बर्फ करीब 300 अरब टन प्रति वर्ष की दर से पिघल रही है.शोधकर्ताओं ने बताया कि ग्रीनलैंड एवं अंटाकर्टिक की विशाल बर्फ की चादरों में बदलाव की वजह से पृथ्वी के गुरुत्व में होने वाले परिवर्तन का पता लगाने वाले एक उपग्रह ने इस गलन का पता लगाया. इससे दुनिया भर में समुद्र के स्तरों पर नाटकीय प्रभाव पड़ सकता है.
अंतरिक्ष में परिक्रमा कर रहे उपग्रह ग्रेविटी रिकवरी एंड क्लाइमेट एक्सपेरिमेंट (ग्रेस) ने 2002 के बाद से बर्फ के इतनी तेजी से पिघलने के बारे में पता लगाया. वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी कि इन जानकारियों से आने वाले दशक में कितनी बर्फ पिघलेगी और समुद्र स्तरों में कितनी तेजी से बढ़ोतरी होगी, इसका सही आकलन करना मुश्किल है क्योंकि यह एक अल्पकालीन अध्ययन है.
ग्लेशियर के पिघलने की दर बेहद तेज हो रही है.’’नेचर जियोसाइंस पत्रिका में प्रकाशित हुए इस शोध के मुख्य अध्ययनकर्ता वोउटर्स ने कहा, ‘‘ग्रेस मिशन के शुरु होने के बाद के पहले कुछ वर्षों की तुलना में हाल के वर्षों में बर्फ की चादरों के पिघलने से समुद्र स्तर में होने वाली वृद्धि पर लगभग दोगुना असर पड़ रहा है.’’