मजदूर से सीएम तक का सफर

टाटा स्टील से निकल कर कदम दर कदम चढ़ी राजनीति की सीढ़ियां रघुवर दास ने एक साधारण कार्यकर्ता से पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और अब मुख्यमंत्री तक का सफर तय किया है. भालुबासा निवासी स्वर्गीय चमन राम के पुत्र रघुवर दास का जन्म 3 मई 1955 को हुआ था. उन्होंने भालुबासा हरिजन विद्यालय से मैट्रिक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 27, 2014 7:13 AM
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टाटा स्टील से निकल कर कदम दर कदम चढ़ी राजनीति की सीढ़ियां
रघुवर दास ने एक साधारण कार्यकर्ता से पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और अब मुख्यमंत्री तक का सफर तय किया है. भालुबासा निवासी स्वर्गीय चमन राम के पुत्र रघुवर दास का जन्म 3 मई 1955 को हुआ था. उन्होंने भालुबासा हरिजन विद्यालय से मैट्रिक पास की. वहीं को-ऑपरेटिव कॉलेज से बीएससी और विधि की परीक्षा पास की. स्नातक के बाद उन्होंने टाटा स्टील में मजदूर के तौर पर काम शुरू किया, जो अभी तक जारी है.
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छात्र जीवन से ही सक्रिय राजनीति को इन्होंने सेवा का माध्यम बनाया. छात्र संघर्ष समिति के संयोजक की भूमिका निभाते हुए जमशेदपुर में विश्वविद्यालय की स्थापना के आंदोलन में भाग लिया. लोकनायक जयप्रकाश के संपूर्ण क्रांति आंदोलन में उन्होंने जमशेदपुर का नेतृत्व किया. इस दौरान जेल गये. वहां उनकी मुलाकात प्रदेश के कई शीर्ष नेताओं से हुई. एक मजदूर से लेकर झारखंड के मंत्री तक का सफर तय किया है. वे दो बार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बने और फिलहाल पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. 1976-77 में जनता पार्टी की राजनीति में सक्रिय रहे. 1980 में भाजपा के स्थापना से राजनीति से जुड़े. मुंबई में हुए भाजपा के प्रथम अधिवेशन (1980) में भाग लिया.
सीतारामडेरा मंडल भाजपा के अध्यक्ष व जिला भाजपा के महामंत्री व उपाध्यक्ष पद पर रहे. 1995 उनकी राजनीति का टर्निग प्वाइंट रहा. उन्हें जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने टिकट दिया और वे विजयी रहे. वे एक साधारण कार्यकर्ता और मंडल के उपाध्यक्ष थे. भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय महासचिव केएन गोविंदाचार्य ने उन्हें जमशेदपुर पूर्वी से सीटिंग एमएलए रहे दीनानाथ पांडेय का टिकट काट कर दिया. इसके बाद से वे लगातार जमशेदपुर पूर्वी से विधायक रहे हैं. झारखंड गठन के बाद उन्हें 2000 में झारखंड सरकार के प्रथम श्रम नियोजन व प्रशिक्षण मंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ. 2003 में अर्जुन मुंडा के मंत्रिमंडल में भवन निर्माण मंत्री व 2005 में वित्त-वाणिज्य व नगर विकास मंत्री बने.
इतना ही उनकी क्षमता को देखते हुए पार्टी ने 2004 में भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया. इसके बाद 19 जनवरी 2009 को पुन: भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाये गये. 2009 में जब शिबू सोरेन की सरकार बनी तो रघुवर दास को उपमुख्यमंत्री बनाया गया. इस दौरान उन्होंने विकास के कई काम किये और विकास पुरुष के रुप में अपनी पहचान बनायी. वे सीधा-साधा जीवन के लिए जाने जाते हैं. परिवार में पत्नी और एक बेटा है, जबकि पुत्री की शादी हो चुकी है. वर्ष 2014 में अमित शाह की अगुवाई वाली भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति में रघुवर दास को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया. इसके बाद उनका कद राष्ट्रीय स्तर के नेता का हो गया.
आज भी शिक्षकों से मिलते और आशीर्वाद लेते हैं रघुवर दास
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जमशेदपुर : शहर के बीचोबीच स्थित भालुबासा हरिजन उच्च विद्यालय वैसे तो सरकारी स्कूल है, लेकिन इस स्कूल ने राज्य को दो-दो मुख्यमंत्री दिये हैं. इसी स्कूल से राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने स्कूली शिक्षा ग्रहण की थी. वहीं इसी स्कूल से पढ़े रघुवर दास भी मुख्यमंत्री बन गये हैं. दो-दो मुख्यमंत्री बनानेवाला यह स्कूल बेहतर स्थिति में है और यहां बड़ी संख्या में बच्चे अब भी पढ़ते हैं. दोनों मुख्यमंत्री (एक वर्तमान व दूसरा पूर्व सीएम) आज भी अपने शिक्षकों से मिलते हैं और आशीर्वाद लेते हैं.
होमवर्क जरूर पूरा करता था रघुवर : केदार सर
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भालुबासा हरिजन उच्च विद्यालय से रघुवर दास ने मैट्रिक पास की. तब उनके केमिस्ट्री और मैथ्स के टीचर केदार मिश्र हुआ करते थे. सीतारामडेरा न्यू ले आउट निवासी केदार मिश्र ने प्रभात खबर से बातचीत में कहा कि रघुवर पढ़ाई में साधारण था. उस वक्त उसमें लीडरशिप क्वालिटी नहीं दिखती थी. हां, होम वर्क पूरी ईमानदारी से पूरा करता था. केदार सर ने कहा कि रघुवर भी अन्य बच्चों की तरह गलती करता था, शायद उसके लिए उसे छड़ी भी लगी हो, लेकिन एक गलती के बाद वह उसको दोहराता नहीं था.
यह उसकी खासियत थी. उन्होंने अपने छात्र के मुख्यमंत्री बनने पर खुशी जाहिर की और कहा कि एक शिक्षक के नाते उन्हें गर्व है कि उनके स्कूल का एक विद्यार्थी आज प्रदेश का नेतृत्व करने जा रहा है.
दीनानाथ पांडेय बोले
मेरा टिकट कटा, तो बुरा लगा था, अब गर्व है
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1995 से पूर्व जमशेदपुर पूर्वी से भाजपा का नेतृत्व करने वाले दीनानाथ पांडेय ने प्रभात खबर से बातचीत में बताया कि जब 1995 में सीटिंग विधायक रहते उनका टिकट काटा गया था तो काफी बुरा लगा था, उस वक्त उन्होंने विरोध भी किया था. उस वक्त नाराजगी स्वाभाविक थी. हमने कोई गलती नहीं की थी. तब मैं चुनाव भी लड़ा और हार गया. लेकिन, आज जब यह सुना है कि रघुवर दास मुख्यमंत्री बन रहे हैं तो काफी खुशी महसूस हो रही है. क्योंकि इसी जमशेदपुर पूर्वी से निकल कर एक विधायक मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहली बार पहुंच रहा है. रघुवर को मेरी शुभकामनाएं. यशस्वी हों, बस्तियों के लोगों को मालिकाना हक दिलायें, यही हमारी कामना होगी.
बेटियों को सुरक्षित करें पापा : रेणु साहू
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राज्य के भावी मुख्यमंत्री रघुवर दास की एकमात्र पुत्री रेणु साहू पिता के सीएम बनने की घोषणा से काफी खुश हैं. यशपाल साहू की पत्नी रेणु ने प्रभात खबर को बताया कि वह चाहती हैं कि नये सीएम राज्य में ऐसी कानून व्यवस्था चलायें कि बेटियां सुरक्षित हों. महिला अपराध पर पूरी तरह से अंकुश लगायें. झारखंड में देश का नंबर वन राज्य बनने का माद्दा है, इसे पूरा करना उनकी प्राथमिकता होगी. उन्होंने बताया कि मेरे लिए हमेशा से घर में पापा रहे. घर से बाहर निकलने के बाद लगता था कि वह नेता हैं. उन्होंने कहा कि शुरू में ऐसा नहीं लगता था कि वह सीएम बनेंगे, लेकिन पिछले 10 साल में उनके कार्य को देखते हुए एहसास हो गया था कि एक दिन राज्य के मुखिया जरूर बनेंगे. मुङो पूरा विश्वास है कि पिताजी सफलतम मुख्यमंत्री बनेंगे.
पिता ने देखा लड़का अच्छा है, कर दी शादी
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रघुवर दास की पत्नी रुक्मिणी देवी हाउस वाइफ हैं. पति के मुख्यमंत्री बनने से वह काफी खुश हैं. वह चाहती हैं कि नयी सरकार राज्य के सर्वागीण विकास पर जोर दे. खास कर महिलाओं के विकास के लिए काम करे. आम जनता की उम्मीदें पूरी हों. एग्रिको स्थित अपने आवास पर ‘प्रभात खबर’ से बातचीत में रुक्मिणी देवी ने कहा कि राजनीतिक व्यस्तता के बावजूद उनके पति ने परिवारिक जिम्मेवारियों को भी बाखूबी निभाया है. वे पूरे घर को साथ लेकर चलते हैं तथा परिवार को समय भी देते रहे हैं. राजनीति के साथ-साथ परिवार के साथ बेहतर तालमेल की वजह से इनसे कभी कोई शिकायत नहीं रही.
शादी के समय कभी नहीं सोचा था कि सीएम बनेंगे
रुक्मिणी देवी ने कहा कि पिताजी ने एक नौकरी पेशा वाला युवक देख कर मेरी शादी की थी. शुरू से ही ये (रघुवर दास) राजनीति में सक्रिय रहते थे. उस दौरान मैं अपनी ओर से जितना हो सका, साथ देती रही. शादी के समय या उसके बाद भी कभी ऐसा नहीं सोचा था कि ये मंत्री, उपमुख्यमंत्री या मुख्यमंत्री बनेंगे. मैं तो बस इनके हर कार्य में सहयोग देकर खुश रहती थी. आज जब इस मुकाम पर इन्हें देख रही हूं तो सचमुच ज्यादा खुशी हो रही है.
जनता की सेवा में सदैव तत्पर रहते हैं
रुक्मिणी देवी ने कहा उनके पति को सादगी पसंद है. राजनीति और जनता की सेवा के लिए शुरू से तत्पर रहे है. कोई भी दुख तकलीफ लेकर आ जाये तो उसका तत्काल निराकरण करने के लिए तत्पर हो जाते हैं. अब और बड़ी जिम्मेवारी मिली है तो मैं चाहूंगी कि ऐसी ही सेवा भावना उनमें आगे भी बनी रहे ताकि इस प्रदेश का चहुंमुखी विकास हो.
अपने कार्यो से युवाओं के आदर्श बने पापा
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टाटा स्टील के मजदूर से मुख्यमंत्री तक का सफर तय करने वाले रघुवर दास का पुत्र ललित दास उर्फ बिट्ट ने इसी वर्ष बीआइटी मेसरा से एमबीए की डिग्री ली है. वह चाहता है कि उसके पिता राज्य के युवाओं के लिए ऐसा काम करें कि युवाओं का आदर्श बन जायें. राज्य में शिक्षा की आधारभूत संरचना सुदृढ़ करने के साथ रिजल्ट ओरियेंटेड काम करायें. जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र की तरह पूरे राज्य में पिताजी का विकास पुरुष के रूप में छवि बनें. राज्य में मेडिकल और इंजीनियरिंग सहित एमबीए का भी बेहतर कॉलेज खुले. इससे बेरोजगारी दूर हो सके और नक्सलवाद जैसी समस्याओं से राज्य ऊबर सके.
विधायक रहते स्कूटी से मुङो स्कूल छोड़ने गये
बिट्ट को वह लम्हा आज भी याद है, जब उसके पिता 1995 में विधायक बने थे. ललित दास ने बताया कि उस दौरान वह कक्षा सातवीं का छात्र था. लोयोला स्कूल में वह वैन से जाता था. एक दिन उसका वैन देर होने के कारण छूट गयी. इसके बाद उसके पिता ने अपनी काइनेटिक होंडा से उसे सिदगोड़ा से लोयोला स्कूल तक पहुंचाया. उन्होंने बताया कि काइनेटिक होंडा से विधायक को जाते देख कई लोगों को विश्वास नहीं हुआ. वह मेरे लिए हमेशा यादगार लम्हा रहेगा.
पापा कहें, तो राजनीति में आउंगा
बिट्ट की इच्छा है कि वह भी अपने पिता की तरह जनता की सेवा करे. उसने बताया कि अगर उसके पिता चाहेंगे, तो वह राजनीति में आयेंगे. राजनीति को जिस तरह उनके पिता ने सेवा को माध्यम बनाया, ठीक उसी तरह वह भी आगे बढ़ना चाहता है.
हमेशा आमलोगों की आवाज बने हैं रघुवर
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बिहार विधानसभा के डिप्टी स्पीकर सह आरा के विधायक अमरेंद्र प्रताप सिंह हमेशा से रघुवर दास के राजनीतिक उतार-चढ़ाव में साथ रहे हैं. 1995 में जमशेदपुर पूर्वी से रघुवर दास को टिकट दिलाने में अमरेंद्र प्रताप सिंह का बहुत बड़ा हाथ था. अमरेंद्र प्रताप सिंह उस समय जमशेदपुर महानगर के जिलाध्यक्ष थे. वहीं रघुवर दास जिला महामंत्री थे. उन दिनों को याद करते हुए श्री सिंह ने बताया कि रघुवर दास हमेशा से संघर्षशील रहे हैं. वहीं उनमें नेतृत्व करने की क्षमता है. आम लोगों के साथ रहने वाले रघुवर आम लोगों के लिए काम करते रहे हैं. उन्होंने बताया कि जब रघुवर सीतारामडेरा मंडल अध्यक्ष थे, तब भी वह जनता की सेवा और पार्टी को आगे ले जाने के लिए प्रयासरत रहते थे. जेपी आंदोलन हो या रामजन्म भूमि का मामला रघुवर दास हमेशा पार्टी के लिए काम करते रहे. रघुवर अपने राजनीतिक जीवन के शुरुआती दौर से ही लोगों के बीच रहते हैं. उनकी नेतृत्व क्षमता और आमजन का उनसे लगाव को देखते हुए उन्हें पार्टी का महासचिव बनाया गया था. इसके बाद गोविंदाचार्य जी ने उनको टिकट दिया था.
उन्होंने बताया कि 1995 में रघुवर दास विपरीत परिस्थितियों में चुनाव लड़े थे, क्योंकि तीन बार के विधायक दीनानाथ पांडेय जी का टिकट काटकर उन्हें टिकट दिया गया था. दीनानाथ पांडेय खुद चुनाव मैदान में थे. इसलिए संघर्ष कठिन था. उस दौरान करीब एक हजार मतों से रघुवर दास विजयी हुए थे. उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. श्री सिंह को भरोसा है कि झारखंड का चौतरफा विकास के लिए रघुवर दास कोई कसर नहीं छोड़ेंगे.
दोस्तों के दोस्त और पड़ोसियों के मददगार रहे हैं रघुवर दास
रोलिंग मिल में मजदूर थे रघुवर : समीर
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रघुवर दास के साथ टाटा स्टील में काम करचुके एग्रिको वर्कर्स फ्लैट निवासी समीर गांगुली बताते हैं- हम दोनों (रघुवर और वे) रोलिंग मिल वन में साथ काम करते थे. उस वक्त भी रघुवर में लीडरशिप दिखती थी. किसी भी मजदूर की समस्या को वे काफी गंभीरता से लेते और उसके समाधान की कोशिश करते. मुङो खुशी है कि हमारे बीच का एक कर्मचारी (मजदूर) राज्य का मुख्यमंत्री बना है.
..पैडल मार कर कंपनी पहुंचते थे : नगीना
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नगीना यादव की रघुवर दास से बचपन की दोस्ती रही है. रघुवर दास उनसे दो साल बड़े हैं. दोनों साथ-साथ कॉलेज गये, जेपी आंदोलन में भी साथ ही रहे. इमरजेंसी के दौरान आंदोलन को आगे बढ़ाना और सभी साथियों के साथ मिल कर बैठकें करना और लिट्टी-चोखा बनाकर खाना-खिलाने का वो दिन आज भी उन्हें याद है. श्री यादव ने कहा कि हम लोग एक साथ टाटा स्टील में डय़ूटी जाते थे. जब रघुवर दास की लूना खराब हो जाती तो हम दोनों स्कूटर से एक साथ जाते थे. रास्ते में लूना खराब होने पर कभी-कभी पैडल मारकर ही कंपनी पहुंच जाते थे.
जेपी आंदोलन से ही हम साथ रहे : कृष्णा
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रघुवर दास के साथ राजनीति में सक्रिय रहे कृष्णा साहू ने कहा कि 1974 के जेपी आंदोलन में हम लोग एक साथ भूमिगत थे. भालुबासा चौक पर हमारा नियमित मिलना होता था. मृगेंद्र बाबू के साथ काम किया. दीनानाथ पांडेय का भी साथ दिया था. अमरेंद्र प्रताप सिंह के साथ संगठन के लिए काम किया. काफी मेहनत के बाद ही उनको पहली बार विधानसभा से टिकट मिला था. आज उनके सीएम बनने पर खुद को काफी गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं.
रघुवर को टिकट देने को तैयार नहीं था संगठन : महेंद्र
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रघुवर दास के लंबे समय के साथी रहे महेंद्र सिंह का कहना है कि 1995 में जब दीनानाथ पांडेय का टिकट काटना था, तब लालकृष्ण आडवाणी ने यहां का विवाद सुलझाने के लिए गोविंदाचार्य को भेजा था. 1995 में संभावित उम्मीदवार के रूप में संगठन के लोगों से नाम मांगा गया. सबकी बातें सुनी गयीं. तब अमरेंद्र प्रताप सिंह जिला अध्यक्ष हुआ करते थे और रघुवर दास जिला महामंत्री. अमरेंद्र प्रताप सिंह ने ही रघुवर दास का नाम आगे किया. जब भालुबासा स्थित किशोर संघ में मीटिंग हुई, तो सभी ने रघुवर दास का नाम आगे रखा. महेंद्र सिंह ने बताया कि गोविंदाचार्य जी रघुवर को जमशेदपुर पश्चिमी से और अमरेंद्र प्रताप सिंह को पूर्वी से टिकट देना चाहते थे. लेकिन अमरेंद्र सिंह तैयार नहीं हुए. सोच विचार के बाद रघुवर दास को जमशेदपुर पूर्वी से टिकट दिया गया.
मेरे लिए बड़े भाई के समान हैं : शैलेश सिंह
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टाटा वर्कर्स यूनियन के पूर्व डिप्टी प्रेसिडेंट शैलेश कुमार सिंह रघुवर दास के पड़ोसी हैं. वे उन्हें बड़ा भाई मानते हैं. श्री सिंह ने कहा कि1995 से ही हमलोग साथ रह रहे हैं. कभी ऐसा नहीं लगा कि वे विधायक हैं या मंत्री बन गये हैं. इतनी उपलब्धियों और व्यस्तता के बीच वे हमेशा जमीन से जुड़े रहे. हमारे लिए वे एक सबसे सहयोगी पड़ोसी रहे है.
गोविंदाचार्य बोले
गैर आदिवासी का प्रयोग सफल होगा
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भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव केएन गोविंदाचार्य ने ही 1995 में जमशेदपुर पूर्वी से भाजपा प्रत्याशी के रूप में रघुवर दास के नाम पर मुहर लगायी थी. प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में रघुवर दास के नाम की घोषणा होने पर ‘प्रभात खबर’ से बातचीत में गोविंदाचार्य ने कहा कि रघुवर दास जमीन से जुड़े नेता रहे हैं. वे तब भी कार्यकर्ताओं के बीच थे जब पहली बार प्रत्याशी के रूप में उनका नाम सामने आया था. उनमें नेतृत्व क्षमता दिख रही थी. भले हमने चयन किया था, लेकिन इसमें कोई शक नहीं था कि वह सफल नहीं होंगे क्योंकि वे उस समाज के बीच से ही आते थे, जो पिछड़ा हुआ था. सोशल इंजीनियरिंग के लिहाज से भी उनका चयन होना उस वक्त बिलकुल सही था.
सफलतम सीएम बनेंगे रघुवर. केएन गोविंदाचार्य ने रघुवर दास को शुभकामनाएं दी और कहा कि गैर आदिवासी का सफल प्रयोग भाजपा के लिए सफल होगा क्योंकि 14 साल में आदिवासी का नेतृत्व करने वाला जरूर आगे बढ़ा, लेकिन आदिवासी जनता के बारे में सोचने वाला कोई नहीं था. अब जबकि नया बदलाव किया गया है, उम्मीद है यह प्रयोग सफल होगा और रघुवर दास सफलतम मुख्यमंत्री साबित होंगे.
जल, जंगल, जमीन, जानवर और जन के बारे में फैसला लेना होगा. गोविंदाचार्य ने बताया कि अगर मुख्यमंत्री के रूप में रघुवर दास को सफल होना है तो उनको समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना होगा. इसके लिए सरकार की योजनाओं को धरातल पर उतारना होगा. उन्होंने कहा कि जल, जंगल, जमीन, जानवर के साथ जन का कैसे समन्वय हो, कृषि उत्पाद के साथ कैसे राज्यों को जोड़ा जाये, जल संरक्षण की दिशा में किस तरह का काम कर सकेंगे, यही विकास का मुख्य पैमाना होगा. इस पर अगली सरकार को खरा उतरना होगा.

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