बच्चों पर फैसला थोपे नहीं उन्हें दें बेहतर ऑप्शन
।। दक्षा वैदकर ।। आज का कॉलम माता–पिता के लिए. कई अभिभावकों को मैं देखती हूं कि वे बच्चे के किसी निर्णय से बेहद नाखुश होते हैं और उसको डांट–डपट कर, मार कर अपनी मर्जी का काम करवाते हैं. उस पर अपना फैसला थोपते हैं. वे ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि […]
।। दक्षा वैदकर ।।
आज का कॉलम माता–पिता के लिए. कई अभिभावकों को मैं देखती हूं कि वे बच्चे के किसी निर्णय से बेहद नाखुश होते हैं और उसको डांट–डपट कर, मार कर अपनी मर्जी का काम करवाते हैं. उस पर अपना फैसला थोपते हैं. वे ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि बच्चा यह काम गलत कर रहा है, बच्चे का यह निर्णय गलत है. वे बच्चे को एक बार समझाते हैं, दो बार समझाते हैं, लेकिन जब बच्चा फिर भी अपनी जिद पर अड़ा रहता है, तो वे अपना आपा खो कर उसे दो थप्पड़ लगा देते हैं. यहीं हम गलती कर जाते हैं.
अब आप कहेंगे कि बच्चा सुन ही नहीं रहा था हमारी बात, तो क्या हम उसे गलत चीज करने दें? गलत निर्णय लेने दें? गलत विषय लेने दें? गलत इनसान के साथ घूमने दें? इस पर मैं अपना एक अनुभव बताऊंगी. पिछले दिनों मैं किसी मित्र के घर गयी. वहां उनके तीन साल के बेटे ने खेलने के लिए धारदार चाकू उठा लिया. सभी ने यह देखा और डर गये.
सभी जानते थे कि बच्चा गलत चीज के साथ खेल रहा है. इससे उसे चोट लग सकती है. उन्होंने बच्चे पर चिल्ला कर चाकू छीनने की बजाय शांत दिमाग से काम लिया. धीरे–से बच्चे के पास जा कर बैठे और उसे अपनी बातों में फुसलाया. उसके सामने बैठ कर दूसरे प्यारे खिलौने से खेलना शुरू कर दिया. उसे बताया कि इस खिलौने के साथ खेलने में आपको भी मजा आयेगा. चाकू से खेलने में इतना मजा नहीं है. थोड़ी देर बाद बच्चे को भी यह बात समझ आयी. उसने धीरे–से चाकू रख दिया और दूसरे अच्छे खिलौने से खेलने लगा.
ऐसा वाकया हर घर में होता है. आप भी इससे सीख ले सकते हैं. सोचने वाली बात है कि यदि हम बच्चे पर जोर से चिल्लाते कि ‘ये क्या पकड़ रखा है तुमने, चोट लग गयी तो’ और ऐसा कह कर हम उसके हाथ से जबरदस्ती चाकू छीनते, तो हो सकता है कि उसके हाथ में चोट लग जाती. वह आपसे नफरत करने लगता कि आपने उसका पसंदीदा खिलौना छीन लिया. लेकिन आपने उस बच्चे के सामने चाकू से भी ज्यादा बेहतर ऑप्शन रख दिया. इस तरह उसने चाकू भी छोड़ दिया और आपसे नाराज भी नहीं हुआ. यही तरीका हमें बड़े बच्चों पर आजमाना है.
– बात पते की
* आप किसी भी इनसान से जबरदस्ती कोई काम नहीं करवा सकते. अगर आप ऐसा करेंगे, तो या तो काम ठीक तरह से नहीं होगा या संबंध बिगड़ेंगे.
* यदि आप इनसान को किसी को, किसी चीज से दूर करना चाहते हैं, तो आपको उसे उसकी चीज से भी बेहतर चीज देनी होगी. तभी वह उसे छोड़ेंगा.