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अफगान युद्ध के अंत का प्रतीक समारोह आयोजित करेगी नाटो

काबुल : अफगानिस्तान में युद्ध का औपचारिक तौर पर समापन करते हुए नाटो आज काबुल में एक कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है.अफगानिस्तान की राजधानी में तालिबान के हमलों के खतरे के कारण कार्यक्रम का आयोजन गुप्त तरीके से किया गया. काबुल में हाल के वर्षों में लगातार आत्मघाती बम हमले और बंदूक से हमले […]

काबुल : अफगानिस्तान में युद्ध का औपचारिक तौर पर समापन करते हुए नाटो आज काबुल में एक कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है.अफगानिस्तान की राजधानी में तालिबान के हमलों के खतरे के कारण कार्यक्रम का आयोजन गुप्त तरीके से किया गया. काबुल में हाल के वर्षों में लगातार आत्मघाती बम हमले और बंदूक से हमले होते रहे हैं.

एक जनवरी को अमेरिकी नेतृत्व वाले अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा सहायता बल (आईएसएएफ) के युद्धक अभियान की जगह नाटो का प्रशिक्षण एवं सहयोग अभियान ले लेगा. आईएसएएफ के युद्धक अभियान के चलते वर्ष 2001 से अब तक 3,485 सैन्य मौतें हुई हैं.
अफगानिस्तान में रह रहे लगभग 12,500 विदेशी सैनिक अब प्रत्यक्ष तौर पर युद्ध में शामिल नहीं होंगे लेकिन वे अफगान सेना और पुलिस को वर्ष 1996 से 2001 तक शासन कर चुके तालिबान के खिलाफ लड़ने में मदद करेंगे.
वर्ष 2011 में नाटो के सैन्य गठबंधन के साथ 50 देशों के सबसे अधिक यानी 1,30,000 सैनिक जुड़े थे. नाटो के एक अधिकारी ने कहा कि आईएसएएफ कमांडर, अमेरिकी जनरल जॉन कैंपबेल आज काबुल में बल के मुख्यालय पर दोपहर के समय आयोजित होने वाले कार्यक्रम का नेतृत्व करेंगे.
सुरक्षा कारणों के चलते इस बारे में और अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई गई.
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने क्रिसमस के अवसर पर दिए संबोधन में कहा था, कुछ ही दिनों में अफगानिस्तान में हमारा युद्धक अभियान समाप्त हो जाएगा.
हमारी सबसे लंबी लडाई का एक जिम्मेदार अंत होगा. आज के कार्यक्रम के जरिए 3,50,000 सैनिकों वाले मजबूत अफगान बलों को धीरे-धीरे जिम्मेदारी सौंपे जाने का काम पूरा होना है. अफगान बल पिछले साल के मध्य से ही देशभर की सुरक्षा के प्रभारी रहे हैं.
हालिया खूनखराबे से ये दावे खोखले पड़ गए हैं कि उग्रवाद कमजोर पड़ गया है. इसके साथ ही हिंसा ने इस भय को भी बढा दिया है कि अफगानिस्तान में अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप विफल रहा है क्योंकि वहां हिंसा के चक्र मौजूद हैं.
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि वर्ष 2014 में हताहत होने वाले नागरिकों की संख्या 19 प्रतिशत की वृद्धि के साथ उच्चतम रही है. नवंबर के अंत तक 3,188 नागरिक मारे गए थे.
इराक की ही तरह की स्थिति दोहराई जाने की चिंताओं के बावजूद अमेरिकी कमांडर इस बात पर जोर दे रहे हैं कि अफगान सुरक्षा बल तालिबान के खिलाफ खडे़ हो सकते हैं. इराक में अमेरिका से प्रशिक्षण प्राप्त सेना जिहादी आक्रमण के आगे लगभग ढह गई.
वर्ष 2001 के बाद से अब तक अफगानिस्तान में नए स्कूलों, अस्पतालों, सड़कों और महिला अधिकारों को प्रोत्साहन में अरबों डॉलर खर्च किए जा चुके हैं लेकिन भ्रष्टाचार बना रहा और शहरों में भी प्रगति बहुत सीमित है.
इस वर्ष के राष्ट्रपति चुनाव भी धांधली के कारण प्रभावित हुए और चुनाव के दोनों प्रतिद्वंद्वियों के बीच लंबे समय तक चले गतिरोध के कारण अशांति को हवा मिली.

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