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शीर्ष पदों के लिए महिलाओं की मांग बढ़ी

भारतीय कंपनियों में उच्च स्तर पर महिला अधिकारियों के लिए मांग तेजी से बढ़ रही है. विशेषज्ञों के मुताबिक, कंपनियों को अपने संगठनों में महिला अधिकारियों के कारोबारी फायदों का एहसास होने लगा है. भारतीय कंपनियों में महिला अधिकारियों का प्रतिशत कम रहा है और विशेषज्ञों का कहना है कि कंपनियों की सोच में बदलाव […]

भारतीय कंपनियों में उच्च स्तर पर महिला अधिकारियों के लिए मांग तेजी से बढ़ रही है. विशेषज्ञों के मुताबिक, कंपनियों को अपने संगठनों में महिला अधिकारियों के कारोबारी फायदों का एहसास होने लगा है. भारतीय कंपनियों में महिला अधिकारियों का प्रतिशत कम रहा है और विशेषज्ञों का कहना है कि कंपनियों की सोच में बदलाव के साथ वरिष्ठ पदों पर महिला अधिकारियों पर नियुक्ति गतिविधियों में तेजी रही है.

कार्यकारियों पर अनुसंधान करने वाली फर्म मैन्सर कंसल्टेंसी के मुताबिक, वरिष्ठ पदों पर महिला अधिकारियों के लिए मांग सालाना 10 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है. मैन्सर कंसल्टेंसी के सीइओ सत्य डी सिन्हा ने कहा, इसके अलावा अध्ययन में यह पाया गया कि शीर्ष पदों पर आसीन महिलाएं एक संगठन की आय की संभावना छह सौ प्रतिशत तक बढ़ाने में मदद कर सकती हैं.इसी तरह के विचार व्यक्त करते हुए डेलायट टच तोमात्सू इंडिया की वरिष्ठ निदेशक लता रामनाथन ने कहा, निदेशक मंडल में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अधिक रखनेवाली कंपनियों का निष्पादन उन कंपनियों के मुकाबले काफी बेहतर है, जिन कंपनियों में बोर्ड में महिलाओं का कम प्रतिनिधित्व है.

बैंकिंग क्षेत्र में महिलाओं का दबदबा

यूं तो महिला सशक्तीकरण और समावेशीकरण की दिशा में काफी कुछ किये जाने की जरूरत है, लेकिन देश के कारोबारी क्षेत्र में शीर्ष पदों पर महिलाओं के बढ़ते कदम को प्रेरणात्मक बदलाव के रूप में देखा जा सकता है. कई बैंकों में महिलाएं शीर्ष पदों पर पहुंच चुकी हैं. देश के सबसे बड़े बैंक, भारतीय स्टेट बैंक की बात करें या फिर महिलाओं के लिए खुलने वाला पहले महिला भारतीय बैंक की. इन दोनों बैंकों में प्रबंध निदेशक पद पर पहली बार महिलाओं की नियुक्ति से उम्मीद की जानी चाहिये कि महिलाओं के हौसले को एक नयी बुलंदी मिल रही है और आगे जाकर वे अपनी सफलता का परचम जरूर लहरायेंगी.

बैंकिंग क्षेत्र में निचले पायदान पर जहां बड़ी संख्या में महिलाएं काम कर रही हैं, वहीं शीर्ष पदों पर महिलाओं की भागीदारी को उंगलियों पर गिना जा सकता है. करीब एक दशक पहले राष्ट्रीयकृत बैंक, इंडियन बैंक की अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के रूप में एक महिला प्रबंधक रंजना कुमार को नियुक्त किया गया था. उन्होंने बैंक को आगे बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाई थी. इस वक्त तीन राष्ट्रीयकृत बैंकों में प्रमुख पद महिला प्रबंधकों के हाथों में हैं. ये हैं बैंक ऑफ इंडिया की अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक विजयालक्ष्मी आर अय्यर, युनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया की प्रमुख अर्चना भार्गव और इलाहाबाद बैंक की अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक शुभलक्ष्मी पानसे.

निजी क्षेत्र में अभी चंदा कोचर आइसीआइसीआइ बैंक की प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं, जबकि शिखा शर्मा एक्सिस बैंक की मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं. इसी तरह भारत में काम करने वाले विदेशी बैंकों में कल्पना मोरपारिया, जेपी मोर्गन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की मुख्य कार्यकारी अधिकरी हैं और नैना लाल किदवई एचएसबीसी इंडिया की कंट्री हेड हैं. महिलाएं भारतीय रिजर्व बैंक में भी कई प्रमुख पदों पर काबिज रही हैं, इनमें हाल के वर्षो में प्रमुख हैंकेजे उदेशी, श्यामला गोपीनाथ और उषा थोराट. ये सभी भारतीय रिजर्व बैंक की डिप्टी गवर्नर रह चुकी हैं.

उषा के हाथों होगी महिला बैंक की कमान

वित्त मंत्रलय ने पंजाब नेशनल बैंक की कार्यकारी निदेशक उषा अनंतासुब्रमण्यन को देश के पहले महिला बैंक की मुख्य कार्यकारी अधिकारी चुन लिया है. भारतीय महिला बैंक इसी साल नवंबर से कामकाज शुरू करेगा और शुरुआत में इसकी छह शाखाएं होंगी. उषा मुख्य प्रबंधन टीम की कमान संभाल रही हैं, जिसमें विभिन्न सरकारी बेंकों के कर्मचारी शामिल किये गये हैं. बैंक का कामकाज शुरू करने के लिए जो भी जरूरी प्रक्रिया है, उसे 31 अक्तूबर तक दुरुस्त करने का जिम्मा इस टीम को दिया गया है. हालांकि उषा के नाम की औपचारिक घोषणा अभी नहीं की गयी है. महिला बैंक को भारतीय रिजर्व बैंक से लाइसेंस मिलते ही सरकार नाम की घोषणा करेगी. 55 साल की अनंतासुब्रमण्यन सबसे पहले 1982 में बैंक ऑफ बड़ौदा से जुड़ी थीं. वहां नियोजन विभाग में वह विशेषज्ञ अधिकारी थीं. उनके पास मद्रास विश्वविद्यालय से सांख्यिकी में स्नातकोत्तर और मुंबई विश्वविद्यालय से प्राचीन भारतीय संस्कृति में स्नातकोत्तर की उपाधि है. बैंक ऑफ बड़ौदा की जीवन बीमा इकाई की बुनियाद उनकी देखरेख में ही रखी गयी थी.

अरुंधती बनीं एसबीआइ की प्रबंध निदेशक

एसबीआइ कैपिटल की प्रमुख अरुंधती भट्टाचार्य को भारतीय स्टेट बैंक की प्रबंध निदेशक नियुक्त किये जाने की पूरी संभावना है. वह भविष्य में बैंक की अध्यक्ष भी बनायी जा सकती हैं. अरुंधती मौजूदा प्रबंध निदेशक दिवाकर गुप्ता की जगह लेंगी, जो इस महीने के अंत में सेवानिवृत्त हो जायेंगे. बैंक में अरुंधती के साथ कुल चार प्रबंध निदेशक होंगे, लेकिन इस साल के अंत में बैंक के अध्यक्ष का पद रिक्त होने के बाद इन चारों में से सिर्फ अरुंधती के पास ही अध्यक्ष बनने की सबसे मजबूत दावेदारी होगी, क्योंकि वर्तमान नियमों के मुताबिक बैंक का अध्यक्ष उन्हें ही बनाया जा सकता है, जिनके पास सेवानिवृत्त होने से पहले कम से कम दो साल का सेवाकाल बचा हो. उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, भारतीय स्टेट बैंक के प्रबंध निदेशक पद पर अरुंधती की नियुक्ति के प्रस्ताव को केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम, भारतीय रिजर्व बैंक और केंद्रीय सतर्कता आयोग से समर्थन मिल गया है. अब इस प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडलीय नियुक्ति समिति के फैसले का इंतजार है.

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