मध्यप्रदेश के इंदौर जिले के ग्रामीण इलाकों में एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान जब अधिकारियों ने महिलाओं और स्कूली बालिकाओं से पूछा कि उनके लिये मोबाइल फोन, टेलीविजन और पक्के शौचालय में से सबसे ज्यादा जरूरी कौन–सी चीज है, तो उनका एक स्वर में जवाब था, पक्का शौचालय.
पक्के शौचालयों के अभाव के चलते ग्रामीण महिलाएं शर्म और परेशानियों से हर रोज दो–चार हो रही हैं. केंद्र सरकार के क्षेत्रीय प्रचार निदेशालय के वरिष्ठ अधिकारी मधुकर पवार ने बताया कि, वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार देश के केवल 32.7 प्रतिशत घरों में पक्के शौचालयों की सुविधा है. देश में वर्ष 2022 तक खुले में शौच की प्रवृत्ति पर पूरी तरह रोक लगाने के लिये निर्मल भारत अभियान और समग्र स्वच्छता अभियान जैसे कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं.