16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

तालिबान से लोहा लेने को हैं तैयार

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वाह सूबे में मलाला यूसुफजई के नक्शेकदम पर चलते हुए वाशिंगटन स्कूल की बच्चियां शिक्षा हासिल करने के लिए दृढ़संकल्प हैं. उनके दिन की शुरु आत राष्ट्रगान से होती है. इन नन्हीं बिच्चयों ने उम्र से पहले ही कभी न भूलने वाला सबक सीख लिया है. ये बच्चियां अच्छी तरह से जानती […]

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वाह सूबे में मलाला यूसुफजई के नक्शेकदम पर चलते हुए वाशिंगटन स्कूल की बच्चियां शिक्षा हासिल करने के लिए दृढ़संकल्प हैं. उनके दिन की शुरु आत राष्ट्रगान से होती है. इन नन्हीं बिच्चयों ने उम्र से पहले ही कभी भूलने वाला सबक सीख लिया है. ये बच्चियां अच्छी तरह से जानती हैं कि तालिबान इनकी आवाज दबाना चाहते हैं और ये भी कि तालिबान की पहुंच से ये ज्यादा दूर नहीं हैं. इसके बावजूद उनके हौसले बुलंद हैं.

मलाला पर हमले ने इस स्कूल को अप्रत्याशित तौर पर बदला है. शुरू के कुछ दिन तो बच्चियां स्कूल ही नहीं आयीं पर उसके बाद फिर तीस लड़कियों ने दाखिला लिया. हाल ही दाखिला ली तसनीम कहती हैं, मेरी अम्मी ने टीवी पर देखा कि मालाला को गोली लगी थी इसलिए पहले हम नहीं पढ़ते थे. फिर अम्मी को ख्याल आया कि हमें भी अपने बच्चों को पढ़ाना चाहिये.

गरीबी है मुख्य कारण

पाकिस्तान में ढाई करोड़ बच्चे ऐसे हैं, जिन्होंने स्कूल का मुंह तक नहीं देखा है. दक्षिणी पंजाब में स्थित ईंटों की इस भट्ठी में तमाम लोग मजदूरी करते हैं. यहां तक कि इनके बच्चों को भी खुद अपना बोझ उठाना पड़ता हैं. पाकिस्तान में गरीबी और मुफलिसी की वजह से करोड़ों बच्चे मजदूरी करने के लिए मजबूर हैं ताकि मातापिता का कर्ज उतार सके. पाकिस्तान में अपनी शिक्षा के लिए जंग लड़ती इन बच्चियों को यही सबक सीखने को मिला है कि जिंदगी एक इम्तिहान है, जिसमें उन्हें शिकायत करने की इजाजत नहीं.

जागरूकता की कमी

दकियानूसी सोच और जागरूकता की कमी की वजह से अतीत में घर में बंद हो जानेवाली ये लड़कियां अब स्कूल आने के बाद बड़ेबड़े ख्वाब देख रही हैं. पाकिस्तान में ऐसे बहुत से बच्चे हैं, जो स्कूल नहीं जा पाते. मगर वो अनौपचारिक शिक्षा हासिल कर रहे हैं. इस गैर पारंपरिक स्कूल में हर रोज तीस से चालीस बच्चे पढ़ने आते हैं. यहां छठी जमात तक पढ़ाई होती है. यहां शिक्षा हासिल करने वाले बच्चों को संसाधन इजाजत नहीं देते कि वो बाकायदा स्कूल जा सकें . इसलिए वो सुबह काम करते हैं और शाम को यहां पर अपरपंरागत शिक्षा हासिल करते हैं.

(बीबीसी से साभार)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें