जो बैंक मदद नहीं करे उससे निकाल लें पैसा : मांझी

कड़ा रुख : पशुपालन योजनाओं में असहयोग से सीएम नाराज पशु चिकित्सकों पर व्यापक दायित्व पटना : मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि पशुपालन विभाग की योजनाओं में जो बैंक सहयोग नहीं कर रहे हैं, उनके पास से तीन-चार दिनों में राशि निकाल लें. ऐसे बैंकों को चिह्न्ति कर कार्रवाई की जायेगी. सोमवार को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 30, 2014 7:15 AM
कड़ा रुख : पशुपालन योजनाओं में असहयोग से सीएम नाराज
पशु चिकित्सकों पर व्यापक दायित्व
पटना : मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि पशुपालन विभाग की योजनाओं में जो बैंक सहयोग नहीं कर रहे हैं, उनके पास से तीन-चार दिनों में राशि निकाल लें. ऐसे बैंकों को चिह्न्ति कर कार्रवाई की जायेगी. सोमवार को सचिवालय में नवनियुक्त 140 पशु चिकित्सकों को नियुक्तिपत्र वितरण करने के दौरान उन्होंने कहा कि आबादी तेजी से बढ़ने के कारण जमीन का क्षेत्रफल कम होता जा रहा है.
जमीन के छोटे टुकड़े को ट्रैक्टर से नहीं जोता जा सकता. इसके लिए बैलों की ही आवश्यकता पड़ती है. पशु चिकित्सकों को नसीहत देते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे पशुओं की देखभाल करने का उनका दायित्व काफी बढ़ जाता है. अगर पशु चिकित्सक बेहतर काम करेंगे, तो पशुपालक फर्जी डॉक्टरों के चक्कर में नहीं फंसेंगे. पशुपालन मंत्री बैद्यनाथ सहनी ने कहा कि दूध से महंगा पानी हो गया है. पशुपालक महंगाई का सामना कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मीन मित्र के तर्ज पर प्रखंड स्तर पर पशु सलाहकारों की भरती की जायेगी. सभी गौशालाओं में एडहॉक कमेटी बनायी जायेगी. इसमें जनप्रतिनिधियों को भी रखा जायेगा. हाल में सभी गौशालाओं को 20-20 लाख रुपये का अनुदान दिया गया है. सचिव हरजोत कौर ने कहा कि राज्य में 1087 पशु अस्पताल हैं, जिसे बढ़ा कर दो हजार करने का प्रस्ताव है. पशुधन केंद्रों की स्थापना की जायेगी. गया में एक डेयरी प्लांट बनाने का प्रस्ताव है.
मौके पर वन एवं पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव विवेक सिंह, पशुपालन निदेशक आलोक रंजन घोष, कॉम्फेड एमडी आदेश तितरमारे, गव्य निदेशक हरेराम सिंह मौजूद थे.
कम खर्च होने पर मुख्यमंत्री ने जतायी नाराजगी
पटना : मुख्यमंत्री ने पशुपालन विभाग को अपना मैकेनिज्म दुरुस्त करने को कहा. चालू वित्तीय वर्ष के दौरान योजना मद में बेहद कम रुपये खर्च करने को लेकर उन्होंने विभाग को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि खर्च नहीं होने के कारण 600 करोड़ के बजट को घटा कर 300 करोड़ रुपये करना पड़ा. यह काफी खेदजनक स्थिति है. पशुपालन जैसे महत्वपूर्ण विभाग के लिए खर्च की हालत ऐसा होना अच्छी बात नहीं है. खर्च की हालत को सुधारने की बात उन्होंने कही. विभाग की स्थिति सुधारे, ताकि योजनाओं पर रुपये खर्च हो सके. उन्होंने विभाग की समीक्षा भी जल्द करने की बात कही.
अगला बजट होगा एक लाख 17 हजार करोड़ का
पटना : मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार का अगला बजट (वित्तीय वर्ष 2015-16) एक लाख 17 हजार करोड़ का होने की संभावना है. उन्होंने कहा कि बिहार ने लगातार अपने खर्च की स्थिति को बेहतर किया है. नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने से पहले राज्य का बजट करीब 35 हजार करोड़ का हुआ करता था. यह चालू वित्तीय वर्ष में बढ़ कर 97 हजार करोड़ का हो गया है. अगले वित्तीय वर्ष में इसमें और बढ़ोतरी होगी. यह बिहार की समृद्धि का प्रतीक है. उन्होंने कहा कि खर्च करने की लगातार बढ़ती स्थिति से राज्य बेहतर स्थिति में आ रहा है और विकास की तरफ अग्रसर हो रहा है. यह एक सुखद बात है.

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