बच्चों की बगावत के लिए कहीं न कहीं माता-पिता जिम्मेवार

आशु की मां गहरी सोच में थी. उनके मन में उथल-पुथल मची हुई थी. वो समझ नहीं पा रही थीं कि क्या करें. पता नहीं क्यों उन्हें लड.के के दक्षिण भारतीय होने पर एतराज हो रहा था. उन्होंने आशु के पापा से कहा कि इस बारे में सोचने के लिए मुझे कुछ वक्त चाहिए. उसके […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 18, 2013 11:03 AM

आशु की मां गहरी सोच में थी. उनके मन में उथल-पुथल मची हुई थी. वो समझ नहीं पा रही थीं कि क्या करें. पता नहीं क्यों उन्हें लड.के के दक्षिण भारतीय होने पर एतराज हो रहा था. उन्होंने आशु के पापा से कहा कि इस बारे में सोचने के लिए मुझे कुछ वक्त चाहिए. उसके पापा ने कहा वो जितना चाहे समय ले सकती हैं. किसी को कोई जल्दी नहीं है. वो लॉबी से उठकर अपने कमरे में चली गयीं. आशु के पापा ने आशु को बताया कि उन्होंने पायल से बात की है और पायल ने सोचने के लिए कुछ समय मांगा है. अब सबको पायल के फैसले का इंतजार था.

झिलमिल भी परेशान थी कि अगर मां राजी न हुई तो क्या होगा! उनके फैसले पर ही शीना का जीवन टिका था. उसने आशु से कहा कि शीना को वो वाकई बहुत पसंद करती है क्योंकि वह बहुत समझदार है. उसका फैसला भी ठीक है. मां के खिलाफ जाकर शादी करने पर वो खुश नहीं रह पाएंगीं और किसी के साथ धोखा करने से अच्छा है कि शादी ही न की जाये. देखते हैं जितना बेटी सोच रही है मां की खुशी और रजामंदी के लिए, क्या मां अपनी बेटी की खुशी के लिए अपनी जिद छोडेंगी? दो दिन से घर का माहौल काफी तनावपूर्ण था. अब इंतजार था तो सुबह का.

सुबह हो चुकी थी और सुबह की चाय के वक्त धर्मेश पायल की तरफ ऐसे देख रहे थे जैसे वो उनके चेहरे के भावों में कोई जवाब तलाश रहे हों, मगर वो सवाल जस का तस था. चेहरे पर संतोष और असंतोष का मिला-जुला भाव था. शीना और धर्मेश दोनों ही ऑफिस निकलने के लिए तैयार थे. आशु की मां ने दोनों का टिफिन तैयार कर दिया था. जब शीना जाने लगी, तो उसकी मां ने कहा कि शीना, तुम शाम को धवल को घर बुला लो. क्या! शीना ने चौंकते हुए कहा. हां,शीना, तुम चौंको नहीं. मैं वही कह रही हूं, जो तुमने सुना है. तुम आज शाम धवल को घर बुला लो. मैं उससे मिलना चाहती हूं.

सच मां! शीना ने खुश होते हुए पूछा. हां, शीना. उसकी मां ने कहा. धर्मेश को तो जैसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि इतनी जल्दी पायल मान जाएगी. लेकिन बात को भांपते हुए पायल ने कहा, अभी मैंने हां नहीं की है. पहले मैं लड़के से मिलना चाहती हूं. लेकिन कहीं न कहीं शीना और उसके पापा को यकीन हो चला था कि पायल मान जायेगी. शाम को धवल शीना के मां-पापा से मिलने घर आया. पायल ने शीना को ये कहकर अंदर भेज दिया कि उसे धवल से बात करनी है. उसके जाते ही आशु की मां ने उसके सामने सवालों की झड़ी लगा दी. वो गंभीरता के साथ सारे सवालों के जवाब दे रहा था. हर बात में उसकी मां को वो शीना को लेकर वो बहुत गंभीर लगा और शीना की र्मजी उसके लिए बहुत महत्वपूर्ण लगी. उसने ये भी बताया कि उसके माता-पिता शादी के लिए तैयार हैं.

अब पायल चेहरे से काफी संतुष्ट लग रही थीं. उन्होंने धवल से कहा कि वो इस शादी के लिए तैयार है. ये कहते ही धवल और धर्मेश के चेहरे खुशी से खिल उठे. धवल ने शीना की मां और पापा के पैर छुए. धर्मेश ने अंदर जाकर ये खुशखबरी शीना को दी, तो वो अपने पापा से लिपट गयी. शीना बाहर आ गयी और मां के सीने से लगकर बोली ओह मम्मा आई लव यू सो मच और कहते-कहते उसकी आंखें छलक गयीं. शीना बहुत खुश थी और उसके चेहरे की खुशी देखकर पायल को मन ही मन लगा कि इससे ज्यादा खुशी उसने शीना के चेहरे पर कभी नहीं देखी थी. छोटे में तो शीना की बात मानने पर वो खुशी से उछल जाती थी, मगर आज उसकी आंखों से आंसू छलक गए थे. आशु के पापा ने धवल से कहा कि वो कल शाम को ही उसके माता-पिता से मिलने जायेंगे. इस पर उसकी मां ने सहमति जतायी.

अगले दिन आशु के पापा-मम्मी धवल के माता-पिता से मिलने गये, जब शादी में लेने-देने की बात आयी, तो धवल के पिता ने कहा हमारे यहां किसी चीज की कमी नहीं, कमी है तो केवल बहू की, हमें आपकी बेटी ही चाहिए और कुछ नहीं. इस बात पर शीना की मां खुश हो गयी. उन्होंने केवल इतना कहा कि हमें इस पर ऐतराज नहीं कि शादी आपके रीति-रस्मों के अनुसार हो, बल्कि हम चाहते हैं कि शादी में हमारी तरफ की रस्में भी होनी चाहिए. इस पर आशु के मां-पापा मान गये.

घर आकर धर्मेश ने पायल को शीना की खुशी समझने के लिए धन्यवाद दिया. जब आशु को पता चला कि मां मान गयी हैं और शादी के लिए धवल के घर जाकर बात भी कर आयी हैं, तो उसने मां से फोन पर कहा कि आज मुझे बहुत गर्व हो रहा है कि मैं आपका बेटा हूं. काश! आपकी तरह सारे माता-पिता बच्चों की खुशियों का ध्यान रखें, तो कितना अच्छा हो जाये. ये जाति भेद की दीवारें खड़ी ही नहीं हो पायेंगीं. समय के साथ अपनी सोच और फैसला बदल कर आपने साबित कर दिया कि मां-पिता कभी भी बच्चों की खुशियों के आडे. नहीं आते. झिलमिल ने कहा कि शीना ने तो समझदारी दिखायी ही थी, लेकिन मां ने शादी के लिए मान कर और भी समझदारी का परिचय दिया है. जो बच्चे बगावत करते हैं या कोई गलत फैसला ले लेते हैं, उनके लिए कहीं ना कहीं माता-पिता ही जिम्मेवार होते हैं.

आज जरूरी है कि माता-पिता अपनी सोच में बदलाव लाएं,नहीं तो दो पीढ.ियों के बीच कदम-कदम पर टकराव की स्थितियां बनेंगी. बच्चों और माता-पिता दोनों को मिलकर-समझकर फैसले लेने होंगे. कुछ मामलों में तो बच्चे घर छोड.ने या आत्महत्या करने तक का कदम उठा लेते हैं. बच्चों की अर्थी को कंधा देने की बजाय अच्छा है उनकी खुशी में खुश होना. हां, जहां लगे कि फैसला गलत है, तो समझाना जरूर चाहिए.

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