मोटापे और अस्थमा के बीच है संबंध

वैज्ञानिकों का कहना है कि अस्थमा में लगातार होने वाली जलन के पीछे जो जीन काम करते हैं वह मोटे लोगों में अधिक सक्रिय हो सकते हैं.यूनिवर्सिटी ऑफ बफलो के शोधकर्ताओं ने मोटापे और अस्थमा के बीच कई जैविक संबंधों का पता लगाया है. शोधकर्ताओं में भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक भी शामिल हैं. विश्वविद्यालय […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 19, 2013 3:33 PM

वैज्ञानिकों का कहना है कि अस्थमा में लगातार होने वाली जलन के पीछे जो जीन काम करते हैं वह मोटे लोगों में अधिक सक्रिय हो सकते हैं.यूनिवर्सिटी ऑफ बफलो के शोधकर्ताओं ने मोटापे और अस्थमा के बीच कई जैविक संबंधों का पता लगाया है. शोधकर्ताओं में भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक भी शामिल हैं. विश्वविद्यालय के एंडोक्रायनोलॉजी, डाइबिटीज और मेटाबॉलिज्म विभाग के प्रमुख परेश डंडोना ने कहा, ‘‘हमारे अध्ययन में मोटे लोगों के वजन में कमी के माध्यम से अस्थमा को नियंत्रित करने के तरीकों का पता लगाया गया.’’

शोध में दो तरह के अध्ययन किए गए. इनमें मोटे लोगों और सामान्य वजन वाले लोगों के बीच तुलनात्मक अध्ययन और अलग-अलग जैविक संकेतकों में होने वाले बदलावों के अध्ययन से जुड़ा प्रयोग शामिल है. इन संकेतकों में अस्थमा से जुड़े जीन शामिल हैं. मोटापे से बुरी तरह ग्रस्त मरीजों की गैस्ट्रिक बाईपास सजर्री के समय इन जैविक संकेतकों में बदलाव आता है.तुलनात्मक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि अस्थमा में लगातार होने वाली जलन के लिए जिम्मेदार चार जीन, मोटापे से ग्रस्त लोगों में अधिक सक्रिय थे. कुछ मामलों में इनकी सक्रियता 100 प्रतिशत अधिक थी. सबसे अधिक सक्रियता, मोटापे की बीमारी से ग्रस्त लोगों लोगों में देखी गयी.

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