पहली महिला एसपी शहजादा परवीन

श्रीनगर: हमारे देश में एक परंपरागत मुसलिम महिला के लिए पुलिस सेवा में आना ही किसी चुनौती से कम नहीं है, और उस पर भी जम्मू-कश्मीर जैसे आतंकवाद प्रभावित राज्य में तैनाती की बात हो तो, यह चुनौती सीधी ढलान वाले किसी पहाड़ पर चढ़ाई जैसी हो जाती है. लेकिन शहजादा परवीन ने यह चढ़ाई […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 20, 2013 10:59 AM

श्रीनगर: हमारे देश में एक परंपरागत मुसलिम महिला के लिए पुलिस सेवा में आना ही किसी चुनौती से कम नहीं है, और उस पर भी जम्मू-कश्मीर जैसे आतंकवाद प्रभावित राज्य में तैनाती की बात हो तो, यह चुनौती सीधी ढलान वाले किसी पहाड़ पर चढ़ाई जैसी हो जाती है. लेकिन शहजादा परवीन ने यह चढ़ाई बड़ी हिम्मत और नफासत से पड़ाव-दर-पड़ाव पूरी की. वह जम्मू-कश्मीर की पहली मुसलिम महिला एसपी बनी हैं. यह कामयाबी उन्होंने सिविल सेवा के जरिये हासिल नहीं की है. दरअसल, पुलिस विभाग में बतौर सब इंस्पेक्टर 30 साल पहले वह भरती हुई थीं और अपने काम के बूते प्रमोशन पाते हुए आज एसपी रैंक तक पहुंच गयीं हैं. उनके खाते में राष्ट्रपति पुलिस पदक समेत कई सम्मान आ चुके हैं.

शिद्दत से पूरा करती हैं हर काम
सहकर्मियों और वरिष्ठ अधिकारियों को शहजादा की जो सबसे बड़ी खासियत दिखती है, वह यह है कि वह जो भी जिम्मेदारी उठाती हैं, उसे पूरा करने के लिए दिन-रात एक कर देती हैं. अपने पूरे कैरियर में उन्होंने जो भी काम किया, उसे शिद्दत के साथ पूरा किया. एसपी बनने से पहले वह ट्रैफिक विभाग में डीएसपी थीं. उनकी तैनाती श्रीनगर में थी. उनके कार्यकाल में श्रीनगर की ट्रैफिक व्यवस्था में काफी सुधार हुआ. ट्रैफिक को लेकर नये नियम बने. जगह-जगह पुलिस और सेना के बैरियर वाले इस शहर में आम लोगों को कैसे सुगम यातायात व्यवस्था मिले, इसे लेकर शहजादा ने काफी काम किया.

इतनी आसान नहीं थी राह
शहजादा मूल रूप से अनंतनाग जिले की रहनेवाली हैं. यह जिला आतंकवाद को लेकर सबसे ज्यादा संवेदनशील है. शहजादा ने 1983 में जब पुलिस सेवा में जाने का अपना फैसला घरवालों को बताया तो वे एक बार के लिए तो चौंक गये, लेकिन फिर बेटी की जिद के आगे उनकी एक नहीं चली. दरअसल, उस दौर में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद चरम पर था. ऐसे समय में पुलिस सेवा में जाना सबसे चुनौती भरा काम माना जाता था. महिलाओं के लिए तो इस क्षेत्र के दरवाजे लगभग बंद ही थे. लेकिन शहजादा ने इस चुनौती वाले काम को बखूबी अंजाम दिया. बाद में शादी के बाद भी इस विषय को लेकर पति से उनकी अनबन रही. शहजादा सिंगल मदर हैं.

सशक्तीकरण के लिए आगे आयें
शहजादा परवीन चाहती हैं कि ज्यादा से ज्यादा महिलाएं इस क्षेत्र में आयें. वह कहती हैं कि लोगों के मन में एक गलत धारणा बनी हुई है कि पुलिस की नौकरी महिलाओं के अनुकूल नहीं, जबकि स्थिति इससे अलग है.

शहजादा कहती हैं, जो महिलाएं सचमुच महिला सशक्तीकरण चाहती हैं, वे ही इस क्षेत्र में आयें. इससे वे दबी-कुचली महिलाओं के हक में आसानी से खड़ी हो पायेंगी. आज जिस तरह देश में महिला थाने और पुलिस बलों में ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को लाने की बात चल रही है, महिलाओं को इस क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए तैयार रहना चाहिए. उन्होंने अपने राज्य कश्मीर के बारे में कहा कि यहां तेजी से बदलाव आ रहा है. मुसलिम महिलाएं भी बढ़-चढ़ कर आगे आ रही हैं. 2010 में ओवेशा इकबाल ने सिविल सेवा परीक्षा में कामयाबी हासिल की. 2012 में तो जम्मू-कश्मीर सिविल सेवा परीक्षा में महिलाओं ने शीर्ष 10 में से नौ स्थान झटक लिया. हालांकि पुलिस सेवा की ओर महिलाओं का रु झान अब भी कम ही है, लेकिन ये हालात भी जल्द ही बदलेंगे.

Next Article

Exit mobile version