पेरिस में मारे गए पत्रकार ”स्वतंत्रता के लिए शहीद”: जॉन कैरी

वाशिंगटन: अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी ने पेरिस में कल हुए आतंकवादी हमले में मारे गये पत्रकारों को ‘स्वतंत्रता के लिए शहीद’ बताते हुए कहा कि यह घटना सभ्यता और एक सभ्य दुनिया का विरोध करने वाले लोगों के बीच एक बड़े टकराव का हिस्सा है. कैरी ने विदेश विभाग के मुख्यालय में संवाददाताओं से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 8, 2015 12:21 PM

वाशिंगटन: अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी ने पेरिस में कल हुए आतंकवादी हमले में मारे गये पत्रकारों को ‘स्वतंत्रता के लिए शहीद’ बताते हुए कहा कि यह घटना सभ्यता और एक सभ्य दुनिया का विरोध करने वाले लोगों के बीच एक बड़े टकराव का हिस्सा है.

कैरी ने विदेश विभाग के मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा ‘मैं उस फ्रेंच इमाम से सहमत हूं जिन्होंने आज मारे गये पत्रकारों को ‘स्वतंत्रता के लिए शहीद होने वाला’ बताया है. यह घटना सभ्यताओं के बीच का टकराव नहीं बल्कि यह सभ्यता और सभ्य दुनिया का विरोध करने वाले लोगों के बीच टकराव का हिस्सा है.’
कैरी ने विदेश मंत्रालय मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा ‘हत्यारे दावा कर रहे हैं कि ‘चार्ली हेबदो खत्म हो गया है’ लेकिन वे गलत हैं. इसने जिस अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रतिनिधित्व किया है उसे आज या कल पेरिस में या फ्रांस में या फिर दुनिया भर में इस प्रकार का आतंकवाद मार नहीं कर सकता’.
कैरी ने कहा ‘इसके विपरीत इसे आतंक के किसी भी कृत्य से खत्म नहीं किया जा सकता. इस तरह का कृत्य करने वाले लोग इस बात को नहीं समझते कि इस तरह की चीजों से स्वतंत्रता और एक सभ्य दुनिया के लिए हमारी प्रतिबद्धता को और भी बल मिलता है.’
पोलैण्ड के अपने समकक्ष के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कैरी ने कहा कि फ्रांस से बेहतर कौन सा देश यह जान सकता है कि आजादी की एक कीमत होती है क्योंकि फ्रांस से ही लोकतंत्र का आगाज हुआ था.
उन्होंने कहा ‘फ्रांस ने आजादी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जन्मे मानवीय मूल्यों की कई क्रांतियों को जन्म दिया और चरमपंथियों को इसी बात से सबसे ज्यादा डर लगता है. उनके पास हथियार हो सकते हैं लेकिन फ्रांस और अमेरिका में हम उन लोगों के लिए ज्यादा प्रतिबद्ध हैं. जिनके हाथ में इससे ज्यादा सशक्त औजार यानी कलम है. यह कलम डर की नहीं, आजादी का औजार है.’
अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और स्वतंत्र प्रेस मूल मूल्य हैं. ये मूल्य सार्वभौमिक हैं. ये ऐसे सिद्धांत हैं जिन पर हमला किया जा सकता है लेकिन कभी भी मिटाया नहीं जा सकता क्योंकि दुनियाभर में मौजूद साहसी और सभ्य लोग कभी भी इन मूल्यों को खत्म करने की कोशिश करने वाली धमकी और भय के आगे झुकेंगे नहीं’.

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