ई-कचरा लाओ तोहफा पाओ

युवा उद्यमी अचित्र बोरगोहाइन की अनूठी पहल दिन-ब-दिन उन्नत होती तकनीक के इस दौर में, आये दिन कोई न कोई नया प्रोडक्ट लांच होता है और पुराना बेकार पड़ता जाता है. ऐसे में उसे ठिकाने लगाना भी एक बड़ी समस्या होती है. ऐसे में दो महीने पहले शुरू हुई एक आरंभिक कारोबार कंपनी, ‘बिन बैग’ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 10, 2015 8:24 AM
युवा उद्यमी अचित्र बोरगोहाइन की अनूठी पहल
दिन-ब-दिन उन्नत होती तकनीक के इस दौर में, आये दिन कोई न कोई नया प्रोडक्ट लांच होता है और पुराना बेकार पड़ता जाता है. ऐसे में उसे ठिकाने लगाना भी एक बड़ी समस्या होती है.
ऐसे में दो महीने पहले शुरू हुई एक आरंभिक कारोबार कंपनी, ‘बिन बैग’ ने बड़ी सहूलियत दी है. बेंगलुरु की यह कंपनी इलेक्ट्रॉनिक कचरे की सही कीमत अदा करती है. इस कंपनी को शुरू करनेवाले युवा उद्यमी अचित्र बोरगोहाइन कहते हैं, देश की तकनीकी राजधानी कहलानेवाले बेंगलुरु में एक अनुमान के अनुसार हर साल 86 हजार टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा निकलता है. इसमें से 15 प्रतिशत घरों से आता है.
असम के सैनिक स्कूल से स्कूली शिक्षा और गुजरात विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग और एमबीए की डिग्री पानेवाले अचित्र वर्ष 2006 से बेंगलुरु में रह रहे हैं.
अपने इस उद्यम के बारे में वह बताते हैं, री-साइकिल किये गये एक कंप्यूटर से 240 किलोग्राम जीवाश्म ईंधन, 22 किलो रसायन और 1.5 टन पानी की बचत होती है. वैसे यह बात तो सभी जानते हैं कि कचरे की री-साइक्लिंग से काम की कई चीजें निकल आती हैं, लेकिन पुरानी इलेक्ट्रॉनिक चीजों की री-साइक्लिंग से ऊर्जा की बचत होती है, प्रदूषण कम होता है और कच्चे माल के रूप में धरती खोद कर निकाले जाने वाले संसाधनों की बचत होती है.
अचित्र बताते हैं, दो महीनों में हम 664 किलोग्राम ई-कचरा री-साइकिल कर चुके हैं. यह उद्यम शुरू करने का खयाल उनके मन में कैसे आया, इस बारे में वह कहते हैं : मुङो भी अपने घर के ई-कचरे को ठिकाने लगाने में दिक्कत महसूस हुई. इसके लिए ऐसे तो बेंगलुरु में कई कंपनियां हैं.
कुछ से मैंने संपर्क भी किया. किसी ने जवाब दिया कि एक जगह से हम 100 किलोग्राम से कम ई-कचरा नहीं उठाते, तो कोई एक छोटे से पुराने सेलफोन को निबटाने के लिए मुङो 100 किलोमीटर दूर बुला रहा था. यह एक मुश्किल काम था.
अचित्र बताते हैं, आम तौर पर एक घर से हर साल औसतन 21 किलोग्राम ई-कचरा निकलता है. ऐसे में सौ किलो ई-कचरा इकट्ठा करने में उसे पांच साल लग जायेंगे. तब एक ऐसा नया कारोबार शुरू करने के बारे में मैंने सोचा, जो मेरी तरह के आम लोगों के घरों से ई-कचरा इकट्ठा करे और उन्हें बिना किसी मशक्कत के उसकी वाजिब कीमत मुहैया कराये. वह बताते हैं, दो महीने में हमने अब तक ई-कचरे की जो सबसे बड़ी खेप उठायी है, वह एक घर से 64 किलो की थी.
लेकिन ऐसे घर हमें कम ही मिलते हैं.
अचित्र की ‘बिन बैग’, स्कूल-कॉलेजों, घरों, सामाजिक संस्थानों, हाउसिंग सोसाइटियों और लघु उद्यमों से ई-कचरे को इकट्ठा कर उसे अधिकृत री-साइक्लिंग कंपनियों को देती है. इस काम को लोगों के लिए और आसान बनाने के लिए वह पूरे बेंगलुरुशहर में निबटान केंद्र स्थापित करना चाहते हैं, जहां लोग अपने पुराने महंगे सेलफोन से लेकर रिमोट कंट्रोल तक जमा करा कर उसके बदले अच्छी कीमत पा सकें.
अचित्र की यह कंपनी टेलीफोन और ई-मेल के अलावा सोशल मीडिया वेबसाइटों के जरिये भी ऑर्डर लेती है. इसके बाद पूरे हफ्ते में लिये गये ऑर्डरों की सूची के आधार पर कोई ट्रक किराये पर लिया जाता है और घर-घर पहुंच कर ई-कचरा इकट्ठा किया जाता है.
ई-कचरे का निबटान करनेवाली अन्य कंपनियों से ‘बिन बैग’ किस मायने में अलग है, इस बारे में अचित्र बताते हैं कि उनकी कंपनी लोगों को ई-कचरे के सही और जिम्मेदाराना निबटान के बारे में जागरूक करती है.
वह बताते हैं, लोगों को सही-गलत समझाना ही काफी नहीं है. हम ई-कचरे के निबटान का सही तरीका चुनने के लिए उन्हें पुरस्कृत करते हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो ई-कचरा देनेवाले हर शख्स को ‘बिन बैग’ तोहफा देती है. इस गिफ्ट के रूप में प्रशस्ति पत्र से लेकर डिस्काउंट कूपन तक शामिल हैं.
‘ग्रीन पॉइंट्स’ नाम के ये डिस्काउंट कूपन पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेवारी समझनेवाले ब्रांडों की ओर से मुहैया कराये जाते हैं. इनके सेंटरों और आउटलेट पर इन ‘ग्रीन पॉइंट्स’ को आसानी से भुनाया जा सकता है.
अचित्र बताते हैं कि उनके इस उद्यम को आइआइएम-बंगलौर के तहत काम करनेवाले एनएस राघवन सेंटर फॉर एंटरप्रेन्योरियल लर्निग (एनएसआरसीइएल) से तकनीकी और अन्य जरूरी मदद मिल रही है. ‘वन मैन शो’ के रूप में शुरू हुए अचित्र के इस उद्यम में अब दो और लोग जुड़ गये हैं जो मार्केटिंग और संचालन का काम देखते हैं.
आपके भी घर के किसी कोने में पुराने मोबाइल फोन, रद्दी सीडी और बेकार रिमोट जरूर पड़े होंगे. कई घरों में कबाड़ बन चुके टीवी-कंप्यूटर भी मिल जायेंगे. कभी हजारों रुपये में खरीदे गये इन उपकरणों को कबाड़ीवाले को प्लास्टिक के भाव बेचना भी अखरता है. ऐसे में अगर कोई इनके बदले कोई माकूल तोहफा दे, तो कैसा रहेगा?

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