कार्बन डाइऑक्साइड से बिजली
पृथ्वी पर पर्यावरण प्रदूषण के सबसे बड़े स्त्रोत ग्रीनहाउस गैस कार्बन डाइऑक्साइड से बिजली बनायी जायेगी. पर्यावरण के लिए खतरनाक माने जानेवाले इस गैस का इस्तेमाल बिजली पैदा करने में किया जा सकता है. साइंस डेली में छपी एक खबर में पर्यावरण विज्ञान और तकनीकी जर्नल के हवाले से बताया गया है कि इलेक्ट्रिक पावर […]
पृथ्वी पर पर्यावरण प्रदूषण के सबसे बड़े स्त्रोत ग्रीनहाउस गैस कार्बन डाइऑक्साइड से बिजली बनायी जायेगी. पर्यावरण के लिए खतरनाक माने जानेवाले इस गैस का इस्तेमाल बिजली पैदा करने में किया जा सकता है. साइंस डेली में छपी एक खबर में पर्यावरण विज्ञान और तकनीकी जर्नल के हवाले से बताया गया है कि इलेक्ट्रिक पावर प्लांट और अन्य प्रकार के धुओं से निकलनेवाले कार्बन डाइऑक्साइड गैस यानी सीओटू से ऐसा मुमकिन हो पायेगा.
इस काम में जुटे बर्ट हेमलर्स और उनके सहयोगियों ने उस पत्रिका में विस्तार से बताया है कि दुनियाभर में बिजली पैदा करनेवाले संयंत्रों में से वार्षिक तौर पर तकरीबन 12 बिलियन टन सीओटू छोड़ा जाता है. इसमें कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस के अवशेष मौजूद होते हैं. इसके अलावा, घरों और व्यावसायिक गतिविधियों से पैदा होनेवाली गरमी और धुएं से 11 बिलियन टन सीओटू पर्यावरण में फैलता है.
इनमें से तकरीबन 10 फीसदी कार्बन डाइऑक्साइड ऐसे अवशेष हैं, जिन्हें ग्लोबल वार्मिग के लिए खतरनाक माना जा रहा है. हेमलर्स की टीम इसी अवशेष को एक खजाने के रूप में बदलना चाहती है. बताया गया है कि कार्बन डाइऑक्साइड के साथ जल या अन्य द्रव पदार्थो की प्रतिक्रिया और उसके बाद की प्रक्रियाओं से इलेक्ट्रॉन का प्रवाह होता है, जिससे इलेक्ट्रिक करेंट पैदा होती है. पावर प्लांट्स, उद्योग–धंधों और घरों से निकलनेवाले कार्बन डाइऑक्साइड को यदि इस तरह से इस्तेमाल में लाया जाये तो वर्षभर में 1,570 किलोवॉट अतिरिक्त बिजली पैदा की जा सकती है.