टॉन्सिलाइटिस बढ़ने से वॉल्व को खतरा

टॉन्सिल लिम्फाइड तंतु के समूह से बना एक जोड़ा अंग है. यह गले के अंदर सामने ही मुंह खोलने पर और जीभ के बाहर निकालने पर नजर आ जाता है. आमतौर पर लोग, जो मुंह खोलने पर सामने लटकता हुआ अंग देखते हैं- उसे ही टॉन्सिल समझ लेते हैं. वह टॉन्सिल नहीं बल्कि यूवला नामक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 14, 2015 10:54 AM

टॉन्सिल लिम्फाइड तंतु के समूह से बना एक जोड़ा अंग है. यह गले के अंदर सामने ही मुंह खोलने पर और जीभ के बाहर निकालने पर नजर आ जाता है. आमतौर पर लोग, जो मुंह खोलने पर सामने लटकता हुआ अंग देखते हैं- उसे ही टॉन्सिल समझ लेते हैं. वह टॉन्सिल नहीं बल्कि यूवला नामक अंग है. उसी के दायीं और बायीं तरफ जो दो गोल आकार का हिस्सा दिखाई देते हैं, वही टॉन्सिल होता है.

होमियोपैथिक इलाज

बेलाडोना 200 शक्ति : गले में सिकुड़न महसूस हो, तरल पदार्थ घोटने में ज्यादा तकलीफ हो, हमेशा खाली घोटने की इच्छा बनी रहे. बुखार हो, गले के अंदर टान्सिल एवं चेहरे पर लालीपन रहे. 4 बूंद 4-4 घंटे के अंतराल पर दें.

ब्राइटा कार्ब : ठंडी चीज खाने या पीने से फौरन गले में तकलीफ पैदा हो. टॉन्सिल बढ़ जाये, खाली घोंटने में तकलीफ हो, मगर तरल पदार्थ घोंटने में कोई दिक्कत महसूस न हो तो यह इस रोग की बड़ी अच्छी दवा है. 4 बूंद सुबह-रात में रोजाना दें.

लेकेसिस : टॉन्सिल का दर्द, गले में थूक या तरल पदार्थ लेने पर कान की ओर जाता है. गुनगुना पानी बिल्कुल बर्दाश्त न होता हो, न ही गले पर हल्का दबाव बर्दाश्त होता हो. 200 शक्ति की दवा सिर्फ एक खुराक दें.

लाइकोपोडियम : टॉन्सिल के ऊपर पीले रंग के पसवाले दाने हों, गुनगुना पानी पीना अच्छा लगे और ठंडे पानी से तकलीफ बढ़ जाये, तब 200 शक्ति की 4 बूंद रोज सुबह लें.

मर्क सोल : इसमें से टॉन्सिल के ऊपर अगर पस जैसे दाने निकले हों. मुंह से लार टपकती हो, हमेशा घोंटते रहने की इच्छा करे. मौसम बदलने से टॉन्सिल बढ़ जाता हो, तब 200 शक्ति की दवा रोजाना सुबह 4 बूंद दें.

सोरिनम : टॉन्सिल का आकार काफी बड़ा हो तो इसे आलू आकार का टॉन्सिल या पोटेटो टॉन्सिल कहते हैं. घोंटने पर दर्द गले से कानों की तरफ जाये. गले से चिपचिपा बदबूदार लार निकले, बार-बार टॉन्सिल बढ़ने की हालत में उसे रोकने के लिए यह एक गुणकारी दवा है. मौसम के बदलने, ठंडी हवा या ठंडे पानी से तकलीफ बढ़ती हो, तब एक हजार शक्ति की दवा पंद्रह दिनों के अंतराल में एक बार दें और हमेशा के लिए टॉन्सिल की तकलीफ से छुटकारा पाएं.

टॉन्सिलाइटिस के लक्षण : निगलने में दिक्कत, सिर दर्द, उच्च ज्वर, ठंड के साथ टॉन्सिल में सूजन, लालीपन

कभी-कभी टॉन्सिल पर पीले पस के दाने होते हैं.

परहेज : ठंडा खाना एवं पानी से आइसक्रीम, खट्टा दही, अचार, टमाटर सूप, खट्टे फल इत्यादि.

क्या करें: सुसुम नमक पानी से गरारा , तरल पदार्थ एवं खाना लें.

क्या हैं दुष्परिणाम : अगर समय पर सही ढंग से बचाव, इलाज और परहेज नहीं करेंगे, तब भविष्य में जोड़ों का दर्द (रूमेटिक ज्वर) और बाद में हृदय के वाल्व पर असर हो सकता है
समय पर रोग की पहचान और परहेज के साथ होमियोपैथिक इलाज कराने पर टॉन्सिल एवं हृदय के वाल्व दोनों को बचा सकते है.

प्रो (डॉ) एस चंद्रा

एमबीबीएस (पैट) एमडी (होमियो) चेयरमैन, बिहार राज्य होमियोपैथी चिकित्सा बोर्ड, पटना

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