जमात उद दावा और हक्कानी नेटवर्क पर पाकिस्तान लगाएगा लगाम

इस्लामाबाद : पेशावर में आर्मी स्कूल पर हमले के बाद पाकिस्तान आतंकियों पर लगाम लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है. मुंबई अटैक के मास्टर माईंड हाफिज सईद पर भी अब वह शिकंजा कसने का मन बना रहा है. भारत कई बार हाफिज पर कार्रवाई करने के लिए पड़ोसी मुल्क पर दबाव डाल चुका […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 15, 2015 12:53 PM

इस्लामाबाद : पेशावर में आर्मी स्कूल पर हमले के बाद पाकिस्तान आतंकियों पर लगाम लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है. मुंबई अटैक के मास्टर माईंड हाफिज सईद पर भी अब वह शिकंजा कसने का मन बना रहा है. भारत कई बार हाफिज पर कार्रवाई करने के लिए पड़ोसी मुल्क पर दबाव डाल चुका है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार पाकिस्तान 26/11 हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के नेतृत्व वाले जमात-उद-दावा और अफगानिस्तान आधारित खौफनाक हक्कानी नेटवर्क समेत 10 आतंकी संगठनों पर प्रतिबंध लगने की योजना बना रहा है. विशेषज्ञ पाकिस्तान के इस कदम को पेशावर के स्कूल में हुए जनसंहार के बाद देश की सुरक्षा नीति में एक ‘‘बडे बदलाव’’ के तौर पर देख रहे हैं.

पाकिस्तान के इस कदम से एक ही दिन पहले अमेरिका ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के भगौडे प्रमुख मुल्ला फजल्लुलाह को ‘‘विशेष रुप से चिन्हित वैश्विक आतंकी’’ घोषित किया था. अमेरिका की इस घोषणा से पहले इस सप्ताह विदेश मंत्री जॉन कैरी ने पाकिस्तान की यात्रा की थी.

एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से कहा कि इसके बारे में एक औपचारिक घोषणा ‘‘आगामी दिनों’’ में की जाएगी. विश्लेषकों का मानना है कि वाशिंगटन, काबुल और नई दिल्ली द्वारा निश्चित तौर पर इस फैसले का स्वागत किया जाएगा.

उनका मानना है कि जमात-उद-दावा पर प्रतिबंध एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि भारत और अमेरिका दोनांे ही लंबे समय से जमात-उद-दावा को आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का ही एक रुप मानते आए हैं, जो कि वर्ष 2008 में मुंबई हमलों में शामिल था। उन हमलों में 166 लोग मारे गए थे.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने मुंबई हमलों के बाद जमात-उद-दावा को लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन घोषित किया था। संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका ने जमात-उद-दावा के कई नेताओं को प्रतिबंधित किया हुआ है. जलालुद्दीन हक्कानी द्वारा स्थापित हक्कानी नेटवर्क को वर्ष 2008 में काबुल स्थित भारतीय दूतावास पर हमले का आरोपी बताया जाता रहा है. इस हमले में 58 लोग मारे गए थे.

इसके अलावा काबुल में अमेरिकी दूतावास पर वर्ष 2011 में किए गए हमले और अफगानिस्तान में कई बडे ट्रकों में विस्फोटों का आरोप भी उसपर लगता रहा है. अमेरिकी और अफगान अधिकारियों ने लगातार कहा है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई अफगानिस्तान में अपना प्रभाव बढाने के लिए चोरी-छिपे हक्कानी नेटवर्क की मदद करती रही है. हालांकि इस्लामाबाद इस आरोप को नकारता रहा है.

सितंबर 2012 में इस समूह को अमेरिका ने एक आतंकी संगठन करार दिया था. पेशावर स्कूल पर हमले के बाद पाकिस्तान की सरकार और विपक्षी दलों ने आतंकवाद के खिलाफ एक विस्तृत राष्ट्रीय कार्य योजना को मंजूरी दी है. दिसंबर में हुए इस स्कूल हमले में 150 लोग मारे गए थे और इनमें से अधिकतर स्कूली छात्र थे.

गृहमंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि पाकिस्तान ने इस सप्ताह कैरी की पाकिस्तान यात्रा से कुछ ही दिन पहले 12 नए संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके साथ ही, पाकिस्तान में निषिद्ध संगठनों की संख्या 72 पहुंच जाएगी.

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