दक्षा वैदकर
नौकरी छोड़ने की कई वजहें होती हैं. कभी बेहतर सैलरी होती है, तो कभी बड़ा पद. लेकिन कई बार हम यूं ही गुस्से में नौकरी छोड़ देते हैं. बाद में जब गुस्सा शांत होता है, तो पछताते हैं. कई बार तो सामनेवाला हमें माफ कर के वापस नौकरी पर रख भी लेता है, लेकिन कई बार दरवाजा हमेशा के लिए बंद हो जाता है.
पिछले दिनों दो अलग-अलग कंपनियों में इसके उदाहरण देखने को मिले. राकेश को उसके बॉस ने एक गलती की वजह से सभी के सामने डांटा. उसे इस बात पर इतना गुस्सा आया कि उसने उसी वक्त अपना सामान पैक किया और यह कह कर निकल आया कि ‘मुङो नहीं करनी यह नौकरी.’ वहीं दूसरी कंपनी में अमृत का अपने एक साथी कर्मचारी से किसी बहुत ही मामूली बात पर झगड़ा हुआ.
दोनों शिकायत लेकर बॉस के केबिन में पहुंचे. बॉस ने बातें सुनी और अमृत को गलत ठहराया. उन्होंने कहा कि आगे से ऐसा न हो. अमृत को भी गुस्सा आ गया और वह भी बॉस को दो-चार बातें सुना कर घर आ गया. राकेश और अमृत दोनों अब घर पर बैठे थे. घर के सभी लोग आ कर पूछते कि क्या हुआ.
दोस्त भी फोन लगाते. सभी को वह पूरी कहानी सुनाते. कुछ उनकी हां में हां मिलाते, तो कुछ उन्हें समझाते कि तुम्हारी ही गलती थी. गुस्से पर कंट्रोल रखा करो. दो दिन बाद जब उन्होंने इस पूरी घटना पर सोचना चालू किया, तो अहसास हुआ कि अगर वे गुस्सा नहीं करते, तो मामला इतना आगे न बढ़ता. गुस्सा पी जाना चाहिए था. आज के जमाने में नौकरी मिलना आसान नहीं है.
खैर, दोनों को यह बात समझ आयी. राकेश ने बॉस को फोन लगाया और अपनी बदतमीजी के लिए माफी मांगी. बॉस भी समझदार थे, उन्होंने माफ कर दिया और वापस ऑफिस ज्वॉइन करने को कह दिया.
उधर अमृत ने बॉस को फोन लगाया और माफी मांगी. बॉस ने माफ तो कर दिया, लेकिन जॉब पर वापस नहीं बुलाया. उन्होंने अमृत को बताया कि तुम्हारा काम मैं पेंडिंग छोड़ नहीं सकता था, इसलिए मुङो दूसरे ही दिन नये व्यक्ति को जॉब पर रखना पड़ा. उसने ऑफिस ज्वॉइन कर लिया है. अब बहुत देर हो चुकी है.
बात पते की..
– एक क्षण का गुस्सा आपका अच्छा खासा कैरियर बरबाद कर सकता है. इसलिए अपने गुस्से पर कंट्रोल करना सीखें. गुस्सा आये, तो चुप रहें.
– जब भी गुस्सा आये, खुद तुरंत शांत माहौल में आ जायें. नौकरी छोड़ने का विचार भी आये, तो दो दिन रुक जायें.सब खुद-ब-खुद ठीक हो जायेगा.