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भोज पर घमसान : सोच-समझ कर बोलें नेता, मुख्यमंत्री को भी नसीहत
भोज पर घमसान : मुख्यमंत्री मांझी पर जदयू प्रवक्ताओं के बयान पर बोले वशिष्ठ पूर्व सांसद साधु यादव के घर पर शुक्रवार को दही-चूड़ा भोज में सीएम जीतन राम मांझी के शामिल होने पर जदयू में मचा घमसान थमने का नाम नहीं ले रहा है. जदयू के प्रवक्ताओं नीरज कुमार व डॉ अजय आलोक द्वारा […]
भोज पर घमसान : मुख्यमंत्री मांझी पर जदयू प्रवक्ताओं के बयान पर बोले वशिष्ठ
पूर्व सांसद साधु यादव के घर पर शुक्रवार को दही-चूड़ा भोज में सीएम जीतन राम मांझी के शामिल होने पर जदयू में मचा घमसान थमने का नाम नहीं ले रहा है.
जदयू के प्रवक्ताओं नीरज कुमार व डॉ अजय आलोक द्वारा मुख्यमंत्री व तीन मंत्रियों के खिलाफ दिये गये बयान को पीएचइडी मंत्री डॉ महाचंद्र प्रसाद सिंह और पर्यटन मंत्री जावेद इकबाल अंसारी ने गलत बताया है, वहीं खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्याम रजक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कह कर उनका बचाव करते नजर आ रहे हैं. राजद सांसद पप्पू यादव ने भी बयानबाजी को गलत बताते हुए यहां तक कह दिया कि अगर मांझी को हटाया गया, तो यह आत्मघाती कदम होगा.
इस सबके बीच जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने नेताओं को सोच-समझ बोलने की चेतावनी दी है. उधर, विपक्ष ने आरोप लगाया है कि पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इशारे पर सीएम को अपमानित किया जा रहा है.
मुख्यमंत्री को भी नसीहत
पटना : जदयू के दो प्रवक्ताओं नीरज कुमार व डॉ अजय आलोक के बयान के एक दिन बाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वरिष्ठ नारायण सिंह ने चुप्पी तोड़ी है.
राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव से मुलाकात के बाद नयी दिल्ली में उन्होंने कहा कि नेताओं को सोच-समझ कर बयानबाजी करनी चाहिए. बयान देने में संयम बरतना चाहिए. जो बयान आये हैं, उन पर पार्टी गौर करेगी. पटना लौटने के बाद वह इस मामले पर बात करेंगे.
इस तरह की बयानबाजी से पार्टी को नुकसान होता है. ऐसी बयानबाजी पर अंकुश लगे और भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति न हो यह सुनिश्चित करेंगे. श्री सिंह ने मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को भी नसीहत दी. उन्होंने कहा कि एजेंडा मुख्यमंत्री के लिए महत्वपूर्ण होता है. बिहार में जो सरकार चल रही है, वह नीतीश कुमार को बिहार की जनता से मिले बहुमत के आधार पर चल रही है.
कोई नया जनादेश लेकर सरकार नहीं चल रही है. इसलिए नीतीश कुमार ने जो एजेंडा तय किया था और रोड मैप तैयार किया था, उसका पालन होना चाहिए. उससे भटकाव नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष ने भी माना है कि ऐसी बयानबाजी से पार्टी की छवि और पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है.
ओछी हरकत कर रहे प्रवक्ता : महाचंद्र
पीएसइडी मंत्री डॉ महाचंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि प्रवक्ताओं के बयानों से उन्हें बहुत तकलीफ हुई है. वे सदमे में हैं. प्रवक्ताओं ने ओछी और छोटी टिप्पणी की है. यह कहीं से भी जायज नहीं है. प्रवक्ताओं को ऐसी टिप्पणी नहीं करनी चाहिए. इस मामले को लेकर वे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव और वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बात करेंगे. उधर, पशु एवं मत्स्य मंत्री वैद्यनाथ सहनी ने कहा कि जदयू प्रवक्ताओं को मुख्यमंत्री या मंत्रियों पर आरोप लगाने के बजाय संगठन के काम पर ध्यान देना चाहिए.
बंद कमरे में हो बात : जावेद
पर्यटन मंत्री जावेद इकबाल अंसारी ने कहा कि पार्टी में अगर कोई नाराज होता है, तो उससे पार्टी को ही नुकसान है. अगर किसी को किसी से नाराजगी है, तो बैठ कर आपस में बात कर उसे सुलझाना चाहिए, बंद कमरे में बातचीत होनी चाहिए, न कि मीडिया के सामने. छोटी-छोटी बातों को मीडिया के सामने नहीं ले जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि हर आदमी का काम करने का अपना तरीका होता है. इस तरह की बयानबाजी से पार्टी कमजोर होती है. अगले आठ महीने में बिहार विधानसभा का चुनाव है. यह पार्टी के लिए सही नहीं है.
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता : रजक
खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्याम रजक ने कहा कि पार्टी के अंदर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है. प्रवक्ताओं ने क्या बयान दिया उसे पार्टी देखेगी और उसे क्या करना है, यह तय करेगी. बयानबाजी देख कर भाजपा के नेता किसी मुगालते में न रहें. जदयू में कोई फूट नहीं है और पार्टी में एकता है.
उन्होंने कहा कि जदयू के नेता-कार्यकर्ता एक हैं. हम सभी पार्टी में पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में संगठित हैं. वहीं, सरकार में नीतीश कुमार के मार्गदर्शन में मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के साथ एकजुट हो कर काम कर रहे हैं.
पार्टी की कब्र खोद रहे ऐसे प्रवक्ता, हटाये जायें: भोला
पटना : जदयू के वरिष्ठ नेता और बिहार राज्य नागरिक परिषद के वरीय उपाध्यक्ष भोला प्रसाद सिंह ने कहा कि जनतंत्र की यह अजीबोगरीब घटना है कि पार्टी का एक नामित प्रवक्ता कैबिनेट मंत्रियों के खिलाफ बयान दे रहा है. किसी भी पार्टी का मुख्य प्रवक्ता उसका अध्यक्ष होता है. अन्य प्रवक्ताओं का अपना कोई अस्तित्व नहीं होता. प्रवक्ता मात्र पार्टी के निर्णयों को मीडिया को अवगत कराने का काम करते हैं. जदयू में जो घमासान हो रहा है, वह प्रवक्ताओं के अनधिकृत व भाजपा प्रेरित बयानों के कारण हो रहा है. ये प्रवक्ता जदयू की कब्र खोद रहे हैं और नीतीश कुमार की भी संभावनाओं पर पानी फेर रहे हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव और प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह इन प्रवक्ताओं को हटायें और उन्हें पार्टी से निलंबित करें.
सीएम मांझी या नीतीश
पटना : लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने कहा कि जदयू के नेता ही अपने सीएम को बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं. किसी मुख्यमंत्री को उनके ही दल के नेता और कार्यकर्ता नसीहत दें, यह मुख्यमंत्री पद की प्रतिष्ठा के विरुद्ध है. पारस ने मांझी को तत्काल इस्तीफा देकर चुनाव मैदान में उतरने की सलाह दी है. उन्होंने मांझी से सवाल किया है कि आप मुख्यमंत्री हैं या नीतीश कुमार?
सीएम को अपमानित करने की परंपरा गलत: प्रेम
पटना : मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी पर उन्हीं के पार्टी नेता और विधायकों के हमले को पूर्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रेम कुमार ने भी गलत करार दिया है. उन्होंने कहा कि जदयू के कुछ नेता व विधायक सीएम पद की गरिमा को ठेस पहुंचा रहे हैं. सत्ताधारी दल जदयू ने सीएम को अपमानित करने की नयी परंपरा शुरू की है.
ललन सिंह के इशारे पर पैदा किया जा रहा विवाद : पप्पू
पटना : राजद सांसद पप्पू यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को विश्वास में लिये बगैर विलय का कोई औचित्य नहीं है. मांझी के बिना विलय करना महादलित समाज का अपमान होगा. उन्होंने कहा कि यदि किसी को उपमुख्यमंत्री बनाना है, तो अल्पसंख्यक समाज के नेता को यह मौका मिलना चाहिए. अपने आवास पर संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि एक साजिश के तहत सामाजिक न्याय की ताकत को कमजोर की जा रही है.
मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के इशारे पर मुख्यमंत्री को लेकर अनावश्यक विवाद खड़ा किया जा रहा है. यह जदयू के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है. मांझी को हटाने का कदम आत्मघाती साबित होगा. जदयू के लोग भाजपा के इशारे पर मुख्यमंत्री के भविष्य पर अनावश्यक विवाद पैदा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा पूर्व सांसद साधु यादव के घर दही-चूड़ा खाने जाना कोई बड़ा मुद्दा नहीं है. उसी की आड़ में मुख्यमंत्री को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है. जदयू के पार्टी प्रवक्ता द्वारा मुख्यमंत्री व मंत्री पर बयान देना मर्यादा के विपरीत है. जिम्मेवार पद पर बैठे लोगों के मर्यादा का भी ख्याल रखना चाहिए. कोई भी प्रवक्ता अपने ही दल के मुख्यमंत्री को चुनौती नहीं दे सकता.
बहाने खोज मांझी को कर रहे अपमानित
पटना : पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि जदयू के नेता नीतीश कुमार के इशारे पर बहाने खोज-खोज कर मुख्यमंत्री का अपमान कर रहे हैं. भाजपा साधु यादव जैसे लोगों से कोई हमदर्दी नहीं रखती, लेकिन जदयू नेताओं को उनके बहाने सीएम पर हमला करने का कोई नैतिक हक नहीं है. क्या साधु यादव की तरह राजनीति करनेवाले मुन्ना शुक्ला, मनोरंजन सिंह धूमल, अनंत सिंह, सुनील पांडेय, अजय सिंह, पप्पू पांडेय और हुलास पांडेय जैसे लोग जदयू में नहीं हैं?
इन लोगों के लिए क्या नीतीश वोट नहीं मांगेंगे? जब नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद से दोस्ती कर ली और अब पार्टी के साथ विलय के लिए बेचैन हैं, तब क्या शहाबुद्दीन की पत्नी, सांसद पप्पू यादव, विधायक सुरेंद्र यादव, रणवीर यादव और रीतलाल यादव जैसे बाहुबली नेताओं के लिए वोट नहीं मांगेंगे? नीतीश कह रहे हैं कि मांझी को हटाना उनके एजेंडे में नहीं है, दूसरी ओर वे अपने समर्थक मंत्रियों व प्रवक्ताओं के जरिये महादलित मुख्यमंत्री को कमजोर करने के रोडमैप पर काम कर रहे हैं. सीएम को तो लगातार निशाना बनाया जा रहा है, लेकिन श्रवण व ललन सिंह जैसे मंत्रियों के खिलाफ एक शब्द भी बोलने की हिम्मत नहीं कर रहा.
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