!!टॉप गियर!
क्रांति संभव:ऑटो एक्सपर्ट
दो साल पहले मेरी खुद की गाड़ी बैठ गयी थी बारिश के पानी में. रात में ऑफिस से जाते वक्त गुजर रहा था, उस रास्ते से जिसे हिंदी पत्रकारिता में दिल्ली का सबसे पॉश इलाका कहा जाता है. जब बारिश हो रही थी तब मैं आफिस के अंदर था, इसलिए कितना पानी बरसा, इसका अंदाजा नहीं था. जब गाड़ी रोक कर देखा और अंदाजा लगाया, तो लगा कि निकल जायेगी. रुक कर देख रहा था कि कौन–कौन सी कार इस पानी से गुजर पा रही हैं. कुछ सेडान कारों को देख कर, जो बहुत ऊंची नहीं थीं, मैंने सोचा कि आगे बढ़ा जा सकता है. बहुत गणित लगा कर कैलकुलेटेड रिस्क लेने के लिए मैं बढ़ गया. लेकिन पता नहीं था कि सारे कैलकुलेशन ऐसे फेल होंगे कि कार नाव हो जायेगी.
सड़क पर पानी का फैला कारोबार लगभग पचास-साठ मीटर का था और मैं उसमें तब तक आगे नहीं बढ़ा था जब तक मुङो लगा कि मुझसे आगे चलने वाली कार इस झील को पार नहीं कर गयी है. पानी जब शांत हो गया, तब मैं गाड़ी लेकर आगे बढ़ा. सभी नियम कायदे जो मैं लोगों को बताता रहता हूं वो याद करते हुए ड्राइव कर रहा था. निचले गियर में ऐक्सिलेरेटर को फुल दबा कर मैं आगे बढ़ रहा था. लेकिन आगेवाली कार, जिसे मैंने सोचा था कि वो पार कर चुकी होगी, फंस गयी पानी में. अब मैं अपनी रफ्तार धीमी करता, तो गया था काम से. बाएं जाता तो डूबता, एक ही रास्ता था कि मैं दाएं से किसी तरीके से पूरी ताकत लगा कर निकल जाऊं. और तभी पता चला कि मेरे पूरे गणित का हलवा बन गया है.
एक बड़ी सी एसयूवी, जो किसी तालाब से भी आराम से निकल सकती थी, सामने की ओर से आ गयी. वो भी फुल स्पीड से. मेरी कार धीमी हो गयी, उस एसयूवी ने शांत पानी को एक मिनी सुनामी में बदल दिया. पानी की लहर आयी और मेरे आगेवाली और मेरी कार नाव की तरह सड़क से उठ कर तैर गयी. पानी एग्जास्ट में जा चुका था और मेरी भी गाड़ी बंद हो चुकी थी. वहां से मैं कैसे निकला, कैसे घर पहुंचा, कैसे गाड़ी ठीक हुई ये कहानी लंबी है. शुरू के गुस्से और खीज के बीच दो ही चीज बाद तक याद रही है. एक सरकारी महकमों और दूसरा लोगों का दूसरों के प्रति रवैया. उदाहरण के तौर पर दिल्ली की ही बात करें, देश की राजधानी है.
सबसे बेहतरीन सड़कें यहीं मिलेंगी. लेकिन आधे घंटे की बारिश के बाद हर दूसरे रास्ते पर पानी भरा दिखेगा और गाड़ियां फंसी मिलेंगी. बारिश के मौसम को कवि और लेखक और रेडियो जॉकी जितना भी रोमांटिक बताएं, लेकिन दिल्ली में बारिश मुसीबत की तरह दिखती है, ट्रैफिक लाइट के बंद होने और सड़कों पर पानी जमा होने से. हालांकि इससे लोगों को होनेवाली परेशानी का मखौल उड़ाते हुए सरकारी तंत्र ने सबकुछ रामभरोसे छोड़ दिया है. ऐसे में एक ही रास्ता है. खुद ही आपको एहतियात रखना चाहिए. जब भी भारी बारिश हो तो ध्यान से ड्राइव करें. आज सड़कों की जो हालत है उसमें सलाह है कि घर से न निकलें. अगर निकलें तो पता करके निकलें कि कहां पर सड़क की हालत कैसी है, क्योंकि कई बार गाडी पानीवाली सड़कों पर ऐसे फंसती है कि यू-टर्न का भी रास्ता नहीं होता. अगर ये अंदाजा नहीं कि पानी कितना गहरा हो सकता है, तो उन रास्तों पर बिल्कुल न जाएं.
ऐसे रास्तों पर अगर गाड़ियां जा रही हैं, तो ध्यान से देखिये कि कौन सी गाड़ियां पार कर पा रही हैं. जिनका एग्जास्ट नीचे है अगर वो गाड़ियां पार कर पा रही हैं तो फिर आप भी आगे बढ़ सकते हैं. पानीवाली सड़कों से जब भी आगे बढ़ें, गाड़ी निचले गियर में रखें, जिससे पानी में से निकलने की ताकत कार के पास रहे. गियर बदलने में वक्त जाया न हो. ध्यान रखें कि ऐक्सिलेरेटर से पैर न हटें. यानी एग्जास्ट से दबाव कम न हो.सरकारी महकमे और इंफ्रास्ट्रर ही नहीं, बेरुखी कंपनियों की तरफ से भी दिखती है. कई ग्राहकों की शिकायतें सुनने को मिलती हैं कि ऐसी हालात में खराब हुई गाड़ियों को लेकर कंपनियां कोई मदद नहीं करतीं. पानी में जब गाड़ी फंस कर बंद होती है तो हजारों का खर्चा हो सकता है. ज्यादातर मामलों में कोई सुनवाई नहीं होती है.
ऐसे रास्तों पर न जायें जिनके बारे में आपको अंदाजा नहीं कि पानी कितना गहरा हो सकता है.