वाशिंगटन : पेरिस में इस साल के अंत में होने जा रहे संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन से पहले अमेरिका, भारत के साथ जलवायु वार्ताओं में प्रगति की उम्मीद कर रहा है. अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बेन रोड्स ने संवाददाताओं से कहा, ‘राष्ट्रपति बराक ओबामा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ इस बारे में समीक्षा करने का अवसर मिलेगा कि अमेरिका क्या करने के लिए प्रतिबद्ध है और भारत इस संबंध में क्या कर रहा है और हम (जलवायु) वार्ताओं में सफल निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए किस तरह मिलकर काम कर सकते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘किसी भी सफल अंतरराष्ट्रीय जलवायु समझौते पर पहुंचने के लिए भारत का एक महत्वपूर्ण स्थान है.’ उन्होंने यह भी कहा, ‘वस्तुत: हम भारत से सहयोग के बिना अपने उद्देश्य हासिल नहीं कर सकते.’ रोड्स ने कहा, ‘यदि बडे उत्सर्जक महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों पर एक साथ नहीं आते हैं तो आप पेरिस वार्ता के जरिए किसी सफल अंतरराष्ट्रीय जलवायु समझौते पर नहीं पहुंच सकते. अमेरिका, चीन और भारत उस श्रेणी में सबसे अग्रिम हैं.’
रोड्स ने जनस्वास्थ्य और स्वच्छ उर्जा के महत्वाकांक्षी उद्देश्यों के लिए मोदी सरकार की पहलों के लिए उसकी सराहना की. यह पूछे जाने कि ओबामा की बीजिंग यात्रा के दौरान जलवायु परिवर्तन पर अमेरिका-चीन के बीच समझौता होने के बाद क्या भारत पर जलवायु परिवर्तन पर समझौते के लिए दबाव है, रोड्स ने कहा, ‘दबाव जलवायु परिवर्तन की हकीकत से आता है. हर देश को उस अत्यावश्यकता को समझना चाहिए. हम चाहते हैं कि हर देश महत्वाकांक्षी हो.
जब तक बडे उत्सर्जक अपने हिस्से का काम नहीं करते तब तक इस तरह का कोई सफल समझौता नहीं हो सकता.’ उन्होंने कहा, ‘हमारे द्विपक्षीय संबंध के संदर्भ में स्वच्छ उर्जा और जलवायु परिवर्तन पर सहयोग महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका और भारत स्वच्छ उर्जा के स्रोत विकसित करने पर मिलकर काम कर रहे हैं तथा अंतरराष्ट्रीय जलवायु वार्ता की वजह से भी, जो इस साल पेरिस में होगी.’