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नेपाल की संसद में हंगामा, संविधान का मसौदा तैयार करने की समय सीमा खत्म होने की कगार पर

काठमांडो : यूसीपीएन (माओवादी) के सांसदों के नेतृत्व में नेपाल के विपक्षी दलों ने संविधान की घोषणा करने से पहले महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमति बनाने की मांग करते हुए आज संसद की कार्यवाही ठप कर दी, हालांकि नए संविधान पर सहमत होने की आज रात की समय सीमा खत्म होने के करीब है. विपक्षी सांसदों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 22, 2015 10:07 PM

काठमांडो : यूसीपीएन (माओवादी) के सांसदों के नेतृत्व में नेपाल के विपक्षी दलों ने संविधान की घोषणा करने से पहले महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमति बनाने की मांग करते हुए आज संसद की कार्यवाही ठप कर दी, हालांकि नए संविधान पर सहमत होने की आज रात की समय सीमा खत्म होने के करीब है.

विपक्षी सांसदों ने संविधान सभा (संसद) के अध्यक्ष सुबास नेमबांग के बैठक को संबोधित करने के दौरान लगातार नारेबाजी की और आसन के पास पहुंच गए. यूसीपीएन (एम) के नेतृत्व वाला 19 पार्टियों का गठबंधन सोमवार से संविधान सभा की बैठक को बाधित कर रहा है, जिसका उद्देश्य मतदान द्वारा संविधान के कठिन मुद्दों के हल के लिए एक प्रश्नावली समिति के गठन की प्रक्रिया को रोकना है. यूसीपीएन (एम) के अध्यक्ष प्रचंड, संविधान सभा के उपाध्यक्ष बाबूराम भट्टाराई और मधेसी पीपुल्स राइट्स फोरम नेपाल के अध्यक्ष उपेंद्र यादव समेत विपक्षी नेताओं ने सरकार विरोधी नारे लगाए और बैठक के शुरु होते ही आसन को घेर लिया.

ज्वांइट मधेसी फ्रंट और छोटे दलों के दूसरे सांसदों ने भी संविधान सभा की बैठक को बाधित करने में माओवादियों का साथ दिया और संविधान का मसौदा मतदान की बजाए आम सहमति से तैयार करने की मांग की. संविधान सभा में अवरोध और कोलाहाल के बाद चारों बडे दलों -नेपाली कांग्रेस, सीपीएन-यूएमएल, यूसीपीएन-एम और मधेसी फ्रंट के शीर्ष नेताओं ने अनौपचारिक रुप से संविधान सभा की इमारत में एक बैठक में हिस्सा लिया जिसमें उन्होंने संविधान सभा के लिए आगे की दिशा और बिना किसी सफलता के समय सीमा समाप्त होने को देखते हुए इसे आगे कैसे बढाया लाए, इसपर चर्चा की.

दो साल के लिए गठित पहली संविधान सभा बार बार समय सीमाओं के भीतर संविधान का मसौदा तैयार करने में असफल रही थी और उसे भंग कर दिया गया था. 601 सदस्यीय संविधान सभा में नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल को दो तिहाई बहुमत हासिल है. संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए इतने ही सदस्यों की मंजूरी चाहिए. लेकिन विपक्षी गठबंधन आम सहमति द्वारा संविधान की घोषणा की मांग कर रहा है. विपक्षी दलों की मुख्य मांगों में जातीय पहचान आधारित संघीय तंत्र शामिल है.

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