जापानी बंधकों की रिहाई पर संकट : बंधक की मां ने कहा- मेरा बेटा ISIS का शत्रु नहीं

तोक्यो : उग्रवादी संगठन इस्लामिक स्टेट द्वारा बंधक बनाए गए जापान के दो व्यक्तियों की रिहाई के लिए फिरौती देने की अंतिम समय सीमा आज खत्म हो रही है, लेकिन अब तक इस मामले का कोई हल नहीं निकला है. मध्य पूर्व में राजनयिक पहुंच के अभाव में जापान अपने एक पत्रकार एवं एक निजी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 23, 2015 12:28 PM

तोक्यो : उग्रवादी संगठन इस्लामिक स्टेट द्वारा बंधक बनाए गए जापान के दो व्यक्तियों की रिहाई के लिए फिरौती देने की अंतिम समय सीमा आज खत्म हो रही है, लेकिन अब तक इस मामले का कोई हल नहीं निकला है. मध्य पूर्व में राजनयिक पहुंच के अभाव में जापान अपने एक पत्रकार एवं एक निजी सुरक्षा कंपनी के संस्थापक सहित दो व्यक्यिों की रिहाई के लिए इधर उधर हाथ मार रहा है.

वहीं दूसरी ओर आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) के कब्जे में मौजूद जापानी बंधक की मां ने अपने बेटे को रिहा करने की अपील की है. उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मेरा बेटाआईएस का शत्रु नहीं है और न ही जापान इस्लामिक देशों का शत्रु है, बल्कि जापान तो इस्लामिक देशों के साथ मित्रतापूर्ण संबंध रखता है. उन्होंने कहा कि गोतो दो सप्ताह पहले ही पिता बने हैं और उन्हें इस बारे में पता तक नहीं है.

हालांकि, दो जापानियों ने इस्लामिक स्टेट संगठन के एक नेता से कल संपर्क कर इस मामले को बातचीत के जरिए सुलझाने की पेशकश की, लेकिन यह साफ नहीं है कि जापानी सरकार इस विचार को मानेगी या नहीं. इन दोनों जापानियों का कहना है कि उनके इस्लामिक स्टेट के एक नेता से संबंध हैं. उग्रवादियों ने एक वीडियो संदेश में धमकी दी है यदि उन्हें 20 करोड अमेरिकी डॉलर फिरौती के रुप में नहीं मिलते हैं, तो वे 72 घंटे के अंदर दोनों बंधकों की हत्या कर देंगे. इस वीडियो के जारी करने के समय के आधार पर बंधकों की रिहाई की अंतिम समय सीमा आज किसी भी वक्त खत्म हो सकती है.

सरकारी प्रवक्ता योशिहिडे सुगा ने कल बताया कि जापान 47 वर्षीय स्वतंत्र पत्रकार केंजी गोटो एवं एक निजी सुरक्षा कंपनी के संस्थापक हरना युकावा (42) को बंधक बनाने वालों तक पहुंचने के लिए सभी संभव चैनलों की मदद ले रहा है. तोक्यो के मध्य पूर्व में मजबूत राजनयिक संबंधों की कमी है और जापान के राजनयिक सीरिया में गृहयुद्ध के फैल जाने से वहां से वापस चले आए हैं, जिसके चलते बंधक बनाने वाले उग्रवादी संगठन से संपर्क करने में जापान को और अधिक समस्या का सामना करना पड रहा है.

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