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जापान की चालबाजी में आसानी से नहीं आएगा भारत : चीनी दैनिक

बीजिंग : अरुणाचल प्रदेश पर जापानी विदेश मंत्री के बयान की आलोचना करते हुए चीन के एक सरकारी दैनिक ने आज कहा कि जापान अन्य देशों के साथ चीन के क्षेत्रीय विवादों को जानबूझकर हवा दे रहा है और भारत इस तरह की चालबाजी में आसानी से नहीं आएगा. ‘तथाकथित अरुणाचल प्रदेश’ के तिब्बत का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 23, 2015 3:42 PM

बीजिंग : अरुणाचल प्रदेश पर जापानी विदेश मंत्री के बयान की आलोचना करते हुए चीन के एक सरकारी दैनिक ने आज कहा कि जापान अन्य देशों के साथ चीन के क्षेत्रीय विवादों को जानबूझकर हवा दे रहा है और भारत इस तरह की चालबाजी में आसानी से नहीं आएगा. ‘तथाकथित अरुणाचल प्रदेश’ के तिब्बत का हिस्सा होने का दावा करते हुए सरकारी दैनिक ग्लोबल टाइम्स ने जापानी विदेश मंत्री फुमियो किशिदा के उस बयान पर आपत्ति जताई जिसमें अरुणाचल प्रदेश को ‘भारतीय भूभाग’ का हिस्सा बताया गया था.

चीनी विदेश मंत्रालय द्वारा विरोध दर्ज कराए जाने के बाद किशिदा ने अपना बचाव किया. उन्होंने 19 जनवरी को ब्रुसेल्स में संवाददाताओं से कहा, ‘भारत बुनियादी तौर पर और कारगर तरीके से क्षेत्र का नियंत्रण करता है और चीन और भारत सीमा मुद्दे पर विचार-विमर्श जारी रखे हुए हैं. मैंने इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए टिप्पणी की.’ लेख में कहा गया है, ‘किशिदा की टिप्पणी भारत का समर्थन करके विवादित क्षेत्र को लेकर पक्ष लेने की जापान की स्पष्ट रणनीति को दर्शाती है और तोक्यो की महत्वाकांक्षा भारत के साथ संबंधों को प्रगाढ बनाने से आगे जाती है.’

इससे पहले, चीन ने जापान के समक्ष विरोध जताया था और तत्काल स्पष्टीकरण जारी करने और टिप्पणी से पैदा हुए नकारात्मक प्रभाव को सुधारने को कहा था. लेख में कहा गया है कि पूर्वी चीन सागर में द्वीपों को लेकर विवाद बढने के बाद से ‘जापान एक से अधिक बार जानबूझकर अन्य देशों के साथ चीन के क्षेत्रीय विवाद में कूद पडा है. मिसाल के तौर पर उसने फिलिपीन को जहाज और अन्य सहायता प्रदान की थी और सुदूरवर्ती द्वीपों की रक्षा करने में देश की मदद करने का संकल्प जताया था.’

लेख में कहा गया है, ‘यह उन देशों को एकजुट करने की जापान की मंशा को दर्शाता है जिनके साथ चीन का क्षेत्रीय विवाद है. ऐसा इस प्रयास के तहत किया जा रहा है कि ऐसी मजबूत धारणा पैदा की जाए कि चीन जापान के साथ ही अन्य पडोसी देशों पर जमा रहा है. (ऐसा होने पर) संघर्ष की स्थिति में जापान अपनी बजाय चीन पर दोष मढ सकेगा.’ जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे की भारत यात्रा का उल्लेख करते हुए लेख में कहा गया है, ‘यह पहला मौका नहीं है कि जापान ने भारत के साथ संबंधों में गर्मजोशी दिखाई है.’

अपनी भारत यात्रा के दौरान आबे ने कहा कि जापान भारत का मित्र है और भारतीय न्यायवेत्ता राधा बिनोद पाल के योगदान की प्रशंसा की थी जिन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापानी अधिकारियों की दोषसिद्धि के खिलाफ असहमति वाला वोट दिया था.’ लेख में कहा गया है, ‘इस तरह की अनुचित टिप्पणी न सिर्फ चीन के लोगों की भावनाओं को आहत करेगी बल्कि जापान के सहयोगी अमेरिका के हितों को भी चोट पहुंचाएगी.’

इसमें कहा गया है, ‘लेकिन भारत जापान के हथकंडे में आसानी से फंसने नहीं जा रहा है. इतिहास के प्रति जापान के रवैये की जब बात आती हे तो उभरती शक्ति के तौर पर भारत ने अपने राजनैतिक दर्शन को बेहद स्पष्ट कर दिया है. भारत में उत्तरोत्तर सरकारों बेहद साफ तौर पर अभिव्यक्त किया है कि जापान को अपने युद्धकाल के अतीत पर गहराई से परिलक्षित करना चाहिए.’

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