सुपौल/ कोलकाता: उसकी उम्र रही होगी लगभग 16 साल. महज दस हाथ जमीन के टुकड़े पर वह अपने बीमार मां-बाप के साथ एक झोपड़ी में रहती थी. आसपास के लोगों की उस पर टेढ़ी नजर थी. मां-बाप ने साथ छोड़ा, तो इज्जत पर बन पड़ी. अस्मत और जमीन के एक टुकड़े में से किसी एक को चुनना था. आबरू बचाने की जद्दोजहद में उसके पांव पश्चिम बंगाल के उस छोटे से गांव के पश्चिम की ओर बढ़ चले, कहां जाना है, उसे यह भी मालूम नहीं था. उसके बाद की कहानी किसी हिट फिल्म की पटकथा से कम नहीं है. इस पटकथा में रहस्य है, रोमांस है, सामाजिक सरोकार हैं और कहानी का अंत बड़ा ही सुखद है.
पश्चिम बंगाल से आयी थी प्रतापगंज
तब टुनटुनिया अनाथ और बेसहारा थी. बात वर्ष 2009 की है, जब भटकती हुई टुनटुनिया हेंब्रम पश्चिम बंगाल के मेदनीपुर से सहरसा के रास्ते प्रतापगंज पहुंची. असहाय लड़की को देख लोगों ने सहारा तो दिया, लेकिन संभावित परेशानियों के बारे में सोच लोग जल्द ही उसे अपने घर से विदा कर देते थे. इस प्रकार उसके भटकने का सिलसिला जारी रहा.
टुनटुनिया से बन गयी अमला
वर्ष 2012 के मार्च तक टुनटुनिया के भटकने का सिलसिला जारी रहा. अंतत: भवानीपुर उत्तर पंचायत की सरपंच मधु देवी ने उसे सहारा दिया. अब यहां आकर टुनटुनिया अमला बन गयी. वह परिवार में इस कदर घुल-मिल गयी कि घर की सदस्य जैसी लगने लगी. वक्त बीतने के साथ सरपंच के परिजनों को उसकी शादी की चिंता भी सताने लगी. सरपंच के ससुर नागेश्वर प्रसाद सिंह ने सामाजिक सरोकार का निर्वाह करते हुए अमला के लिए योग्य वर की तलाश शुरू कर दी. खास बात यह थी कि यहां आकर अमला साक्षर भी बन गयी.
टुनटुनिया को शिव कुमार का साथ
नागेश्वर सिंह की कवायद जल्द ही रंग लायी. तलाश शिव कुमार के रूप में पूरी हुई. तेकुना पंचायत स्थित वार्ड नंबर-10 के उरांव टोला निवासी योगेंद्र उरांव अपनी पत्नी के साथ शिव कुमार के लिए टुनटुनिया का हाथ मांगने सरपंच के घर पहुंचे. योगेंद्र और उनकी पत्नी को टुनटुनिया पहली ही नजर में भा गयी. इसके बाद शुभ मुहूर्त के रूप में 27 जनवरी की तिथि निर्धारित हुई.
धूमधाम से हुई शादी
मंगलवार की रात दूल्हा बना शिव कुमार उरांव (23) गाजे-बाजे और 150 बारातियों के साथ प्रतापगंज बाजार के शंकर चौक स्थित शिव मंदिर पहुंचा. पूरे धार्मिक विधि-विधान के साथ शिव ने टुनटुनिया के साथ सात फेरे लिये. बारात के स्वागत में मुखिया रंजीत प्रसाद सिंह और पूर्व मुखिया संपत राज जैन मौजूद थे. कन्यादान सरपंच की सास इंद्रकला देवी ने किया. उपस्थित हजारों लोगों ने वर-वधु को शुभाशीष दिये. लाल सुर्ख जोड़े में टुनटुनिया अपने साजन के साथ ससुराल के लिए विदा हुई. टुनटुनिया अब बेसहारा नहीं रही, लेकिन जाते-जाते अपनों को जुदाई का दर्द दे गयी. टुनटुनिया की याद लोगों को सताती रहेगी.