बीजिंग : विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने एशियाई सदी में कार्योन्मुखी अवधारणा के साथ चीन-भारत संबंधों की नयी शुरुआत के लिए आज छह सूत्री ‘मॉडल’ प्रस्तावित किया. चीन की अपनी पहली यात्रा पर पहुंचीं सुषमा ने भारत-चीन मीडिया फोरम को संबोधित करते हुए प्रस्तावित किया कि दोनों देशों को कार्योन्मुखी रुख, व्यापक आधार वाले द्विपक्षीय रिश्ते, सामान्य, क्षेत्रीय और वैश्विक हितों को साथ लेकर चलना चाहिए और सहयोग के नये क्षेत्रों के विकास, रणनीति संपर्क के विस्तार के साथ ‘एशियाई सदी’ का परिचय कराने के लिए समान आकांक्षाओं को पूरा करना चाहिए.
यह रेखांकित करते हुए कि उनकी यात्रा भारत में निर्णायक जनमत के साथ नयी सरकार आने के मद्देनजर हो रही है, सुषमा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत सरकार ने युवा, जोश से भरी और उद्यमशील पीढी की आकांक्षा को आगे बढाया है. उन्होंने कहा, ‘पिछले आठ महीने का रिकॉर्ड इस बात का सबूत है कि मेरे देश में तेजी से बदलाव जारी हैं जो आधुनिकता की हमारी यात्रा को तेज करेगा.’ भारत में मजबूत सरकार के परिप्रेक्ष्य में सुषमा ने कहा कि मोदी पहले ही चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ तीन बैठकें कर चुके हैं और प्रधानमंत्री ली केकियांग से मिल चुके हैं.
चीन के साथ भारत के संबंधों के महत्व को रेखांकित करते हुए सुषमा ने कहा कि मोदी सरकार के कार्यभार संभालने के बाद चीन के विदेश मंत्री वांग यी भारत द्वारा आमंत्रित की जाने वाली पहली विदेशी हस्ती थे. दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों के मुद्दे पर सुषमा ने कहा, ‘हमने सीमा सहित अपने रक्षा संपर्कों और आदान प्रदान पर महत्वपूर्ण प्रगति हासिल की है.’ उन्होंने कहा, ‘इससे वहां शांति एवं अमन स्थापित करने में मदद मिलती है जो हमारे संबंधों के आगे के विकास के लिए अत्यावश्यक है. सीमा मुद्दे पर मेरी सरकार जल्द समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है.’
यह उल्लेख करते हुए कि संबंध, द्विपक्षीय संबंधों से आगे बढ गए हैं, सुषमा ने कहा कि दोनों देश अब ब्रिक्स और बेसिक जैसी बहुपक्षीय इकाइयों का हिस्सा हैं. मंत्री ने कहा कि वह कल रुस, भारत, चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होंगी. सुषमा ने कहा कि महत्वपूर्ण पडोसियों के साथ संबंधों को दोनों देशों के लोगों से मजबूत और व्यापक समर्थन की आवश्यकता है. विदेश मंत्री ने कहा, ‘यह तर्कसंगत है कि इसीलिए हमने लोगों से लोगों के बीच संपर्क मजबूत करने में अपनी उर्जा लगाई है. इस यात्रा के दौरान मैं उस क्षेत्र को कई तरीकों से आगे ले जाने की उम्मीद करती हूं.’ सुषमा ने कहा कि वह ‘2015 : विजिट इंडिया ईयर इन चाइना’ लांच करेंगी.
उन्होंने कहा, ‘पर्यटन लोगों से लोगों के बीच समझ को बढावा देने के लिए एक प्रभावी माध्यम है और दोनों देश इस बात पर सहमत हैं कि हमें इस संबंध में मजबूत प्रयास करने की आवश्यकता है.’ उन्होंने यह भी कहा कि शी की यात्रा के दौरान हुई सांस्कृतिक आदान प्रदान की पहल फिलहाल प्रगति पर है. सुषमा ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों की एक ‘महत्वपूर्ण प्रकृति’ आर्थिंक संबंधों को विस्तारित कर रही है.
उन्होंने कहा, ‘व्यापार एवं व्यापारिक वस्तुओं में आज चीन हमारा सबसे बडा भागीदार है. दोनों देश एक-दूसरे के यहां निवेश करने आ रहे हैं. कनेक्टिविटी को मजबूत करने वाली गंभीर वार्ता शुरू हो चुकी है. उस आधार पर हम अपने आर्थिक सहयोग को गुणात्मक रूप से नयी उंचाई पर ले जाना चाहते हैं.’ जब सुषमा फोरम को संबोधित करने पहुंचीं तो उनकी अगवानी चीन के सूचना मंत्री जियांग जियांगुउ ने की. इस दौरान भारत और चीन से बडी संख्या में पत्रकार मौजूद थे.
सुषमा ने कहा कि गत सिंतबर में शी की भारत यात्रा के दौरान बनी ‘घनिष्ठ विकासात्मक भागीदारी’ ‘उस संकल्प को दर्शाती है.’ उन्होंने कहा, ‘एक और आधार भारत में औद्योगिक पार्क स्थिापत करने में है जो मेक इन इंडिया अभियान में योगदान करेगा.’ मंत्री ने कहा, ‘चीन पार्कों में 20 अरब डॉलर का निवेश करने पर सहमत हुआ. हम चीनी कंपनियों के भारत में व्यवसाय करने के लिए इसे आसान बनाएंगे और उम्मीद करते हैं कि इसी तरह का प्रोत्साहन हमारी कंपनियों को चीन में व्यवसाय विस्तारित करने के लिए मिलेगा.’
उन्होंने कहा, ‘हमारी दोनों सभ्यताओं के प्राचीन विद्वानों ने इन संबंधों को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.’ सुषमा ने कहा, ‘चीनी बौद्ध भिक्षुओं फाहियान और ह्वेन सांग तथा अन्य कई लोगों ने ज्ञान की खोज में भारत की यात्रा के लिए बहुत सी कठिनाइयों को सहा. इसी तरह भारतीय भिक्षुओं कश्यप मतंग और कुमारजीव तथा कई अन्य ने ज्ञान का प्रसार करने के लिए चीन की यात्रा की.’ उन्होंने कहा, ‘हमारे लिए चीनी विद्वानों और पत्रकारों में ह्वेन सांग की भावना तथा भारतीय विद्वानों और पत्रकारों में कुमारजीव की भावना को पुनर्जीवित करना महत्वपूर्ण है.’ सुषमा ने कहा, ‘इस साल विजिट इंडिया ईयर मनाया जाना ह्वेन सांग और कुमारजीव को पुनर्जीवित करने का अत्यंत उचित अवसर है.’