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झारखंड में हर दिन तीन लोगों को कैंसर!

रांची: राज्य में लोग तेजी से कैंसर की चपेट में आ रहे हैं. क्यूरी अब्दुर रज्जाक अंसारी कैंसर इंस्टीटय़ूट के आंकड़ों की मानें तो राज्य में हर दिन तीन नये कैंसर के मरीजों की पहचान हो रही है. अस्पताल में हर माह 150 मरीज जांच के लिए आते हैं, जिसमें से 120 लोगों के शरीर […]

रांची: राज्य में लोग तेजी से कैंसर की चपेट में आ रहे हैं. क्यूरी अब्दुर रज्जाक अंसारी कैंसर इंस्टीटय़ूट के आंकड़ों की मानें तो राज्य में हर दिन तीन नये कैंसर के मरीजों की पहचान हो रही है. अस्पताल में हर माह 150 मरीज जांच के लिए आते हैं, जिसमें से 120 लोगों के शरीर में कैंसर के लक्षण की पुष्टि होती है. कैंसर के इन मरीजों में मुंह का कैंसर, बच्चेदानी का कैंसर, स्तन कैंसर, फेफड़े का कैंसर एवं प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण पाये जाते हैं. इसमें से अधिकांश एडवांस स्टेज में अस्पताल पहुंचते हैं, इसलिए इलाज के बावजूद मरीज पूरी तरह ठीक नहीं हो पाते.
कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ सौरभ कुमार ने बताया कि अस्पताल में मरीज एडवांस स्टेज यानी थर्ड एवं फोर्थ स्टेट में पहुंचता है. कई कैंसर में अगर मरीज समय पर अस्पताल आ जाये तो उसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है.
कहां होता है कैंसर
मुंह का कैंसर : अस्पतालों में पहुंचनेवाले 100 मरीजों में से 50 मरीजों में मुंह का कैंसर पाया जाता है. अगर सही समय पर इलाज किया जाये तो इसमें 70 प्रतिशत मरीज ठीक हो सकते हैं. इसका इलाज सजर्री, कीमोथेरेपी एवं रेडियोथेरेपी से किया जाता है.
बच्चेदानी का कैंसर : 100 महिला मरीजों में 60 महिलाओं में बच्चेदानी के कैंसर की पुष्टि होती है. इलाज समय पर होने से 80 प्रतिशत महिलाओं को ठीक किया जा सकता है. इसकी वैक्सीन भी है, जिसे नौ साल से 26 साल की महिलाएं ले सकती हैं. इसका इलाज सजर्री एवं रेडियेशन पद्धति से किया जाता है.
स्तन कैंसर: 100 महिलाओं में से 30 प्रतिशत को स्तन कैंसर होने की संभावना रहती है. अगर समय पर इलाज किया जाये तो बीमारी ठीक होने की संभावना 50 से 60 प्रतिशत होती है. इसका इलाज सजर्री, कीमोथेरेपी एवं रेडियोथेरेपी से किया जा सकता है.
प्रोस्टेट कैंसर : यह 40 वर्ष से अधिक उम्र के बाद हो सकता है. यह धीरे-धीरे फैलनेवाला कैंसर है. समय पर इलाज होने से इससे पीड़ित मरीज के 60 प्रतिशत तक ठीक होने की संभावना रहती है. सजर्री, कीमोथेरेपी एवं रेडियोथेरेपी से इलाज किया जा सकता है.
लंग्स का कैंसर : यह धूम्रपान एवं तंबाकू के सेवन से होता है. अगर समय पर यह पहचान में आ जाये तो 40 से 50 प्रतिशत तक बीमारी ठीक की जा सकती है. इसका इलाज कीमोथेरेपी एवं रेडियोथेरेपी के माध्यम से किया जाता है.
कैंसर की होती है स्क्रीनिंग
प्रोस्टेट कैंसर पीएसए जांच/ डीआरइ
ब्रेस्ट कैंसर मेमोग्राफी/ स्वयं परीक्षण
बच्चेदानी का कैंसर पेप्समियर
अंतड़ी कैंसर स्टूल जांच / कोलोनोस्कोप
कहां-कहां है अस्पताल
रिम्स, बरियातू रांची
क्यूरी अब्दुर रज्जाक अंसारी कैंसर इंस्टीटय़ूट, इरबा रांची
रामजनम सुलक्षणा पांडेय कैंसर अस्पताल, कटहल मोड रांची
टीएमएच, जमशेदपुर
एक सिगरेट व एक पुड़िया तंबाकू भी खतरनाक
धूम्रपान के शौकीन लोगों के लिए एक सिगरेट भी खतरनाक हो सकता है. कई लोग यह सोच कर खुद को सुरक्षित मानते हैं कि वह कभी कभार शौक से सिगरेट पीते है, लेकिन कैंसर रोग विशेषज्ञों की मानें तो एक सिगरेट पीने से भी आप कैंसर की गिरफ्त में आ सकते हैं. वहीं एक पुड़िया तंबाकू के सेवन से भी मुंह का कैंसर हो सकता है, इसलिए शौक से भी तंबाकू उत्पाद का सेवन नहीं करे.
खुलेआम बिकता है मौत का सामान
राजधानी के चौक -चौराहों पर मौत का सामान जैसे सिगरेट, तंबाकू एवं बीड़ी खुलेआम बिक रहा है. सूत्रों की मानें तो सरकार को इससे जितने राजस्व की प्राप्ति होती है, उससे तीन गुना ज्यादा पैसा इससे होनेवाली बीमारी की इलाज में खर्च होता है. इसके बावूजद सरकार इस पर प्रतिबंध नहीं लगाती है. यह दलील दी जाती है कि इससे तंबाकू उद्योग में काम करनेवाले सैकड़ों परिवार सड़क पर आ जायेंगे. उनका रोजगार समाप्त हो जायेगा. जानकारों की मानें, तो बिना तंबाकू के उत्पादों पर प्रतिबंध के कैंसर की रोकथाम नहीं की जा सकती है.
सुपर स्पेशियलिटी कैंसर विंग सिर्फ नाम का
रिम्स के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल का कैंसर विंग सिर्फ नाम का है. विंग को सिर्फ एक कैंसर विशेषज्ञ डॉ अनूप कुमार चला रहे हैं. रेडियोथेरेपी के लिए अत्याधुनिक मशीन है, लेकिन चलानेवाला कोई तकनीशियन नहीं है. फैकल्टी नहीं है. यहां ऑपरेशन थियेटर तो है, लेकिन सजर्री की अलग से व्यवस्था नहीं है. अभी भी कैंसर मरीजों की सजर्री सामान्य सजर्री के ओटी में होती है. कैंसर के मरीजों के लिए अलग वार्ड नहीं है. सजर्री के वार्ड में एक दो बेड मिल जाता है. सूत्रों की मानें तो कई बार कैंसर के मरीजों को अस्पताल में चक्कर तक लगाना पड़ता है. अगर कैंसर विंग सही तरीके से काम करता तो गरीब मरीजों को इसका लाभ मिलता.
बीपीएल मरीजों के इलाज पर 2.50 लाख का खर्च
कैंसर पीड़ित बीपीएल मरीजों के इलाज के लिए सरकार 2.50 लाख रुपये खर्च करती है. पहले इन मरीजों के लिए सरकार 1.50 लाख रुपये खर्च करती थी, लेकिन इस राशि को बढ़ा दिया गया है. यह सेवा राज्य के कुछ अस्पतालों में मिल रही है.
गंगा क्षेत्र के निवासी में पित्ताशय कैंसर के लक्षण ज्यादा
बिहार झारखंड एवं उत्तर प्रदेश में गंगा क्षेत्र में रहनेवाले लोगों में पित्त की थैली के कैंसर का खतरा बढ़ गया है. अगर ऐसे 100 मरीज जांच के लिए आ रहे हैं तो 30 मरीजों में इस तरह का कैंसर पकड़ में आता है. माना जाता है कि प्रदूषण के कारण यह बीमारी होती है.
एक्सपर्ट व्यू
जीवनशैली को बदलें कैंसर से बचे
कैंसर नॉन-कॉम्यूनिकेबल डिजीज है. यानी यह फैलनेवाली बीमारी नहीं है, इसलिए जीवनशैली को बदल कर हम कैंसर की चपेट में आने से बच सकते हैं. संतुलित खाना खायें. नियमित रुप से व्यायाम करें. धूम्रपान एवं शराबा का सेवन नहीं करे. समय पर स्क्रीनिंग करायें.
डॉ सौरभ कुमार, कैंसर रोग विशेषज्ञ

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