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शव की आंख व अंगुली चूहों ने कुतरा

जमशेदपुर: कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमजीएम में चूहों के आतंक से शव भी सुरक्षित नहीं हैं. एक तो अस्पताल में शवगृह नहीं है, दूसरी ओर बेड पर चादर डालकर रखे गये शव को चूहे खा जा रहे हैं. शव को सुरक्षित रखना अस्पताल प्रबंधन के लिए बड़ी चुनौती बन गयी है. कभी शव […]

जमशेदपुर: कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमजीएम में चूहों के आतंक से शव भी सुरक्षित नहीं हैं. एक तो अस्पताल में शवगृह नहीं है, दूसरी ओर बेड पर चादर डालकर रखे गये शव को चूहे खा जा रहे हैं. शव को सुरक्षित रखना अस्पताल प्रबंधन के लिए बड़ी चुनौती बन गयी है. कभी शव का आधा नाक गायब हो जाता है, तो क भी आंख.

मंगलवार देर रात चौका के पास सड़क दुर्घटना में घायल नागेंद्र हजाम की इलाज के दौरान मौत हो गयी. शव को इमरजेंसी वार्ड के बेड पर रात भर रखा गया. सुबह जब परिवार वाले नागेंद्र के शव लेने आये तो, शव के बायीं आंख का हिस्सा और अंगुली चूहों ने कुतर दिया था. हालांकि परिवार के लोगों ने इसे लेकर विरोध नहीं जताया. पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. हाल के दिनों में कई ऐसे मामले प्रकाश में आये हैं.

पूर्व मुख्य सचिव ने भी देखा था चूहा

जनवरी में औचक निरीक्षण के दौरान पूर्व मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती ने भी अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में मरीजों के बेड पर घूम रहे चूहों को देखा था. इस संबंध में भर्ती मरीजों से जानकारी ली थी. एमजीएम की व्यवस्था सही करने के लिए अस्पताल अधीक्षक को कई आदेश जारी किया था.

अस्पताल में नहीं है शव गृह

एमजीएम अस्पताल परिसर से पोस्टमार्टम हाउस मेडिकल कॉलेज में शिफ्ट होने के बाद अस्पताल में शव रखने की व्यवस्था नहीं है. इलाज के दौरान मौत होने के बाद शव को बेड पर ही चादर डाल कर रख दिया जाता है. इलाजरत मरीजों के साथ शव भी रख दिया जाता है. इसे लेकर कई बार अस्पताल प्रबंधन को लिखित जानकारी दी गयी.

‘‘एमजीएम अस्पताल में चूहा का आतंक समाप्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखा गया है. इसका टेंडर कराने या अन्य व्यवस्था कराने के लिए पूर्व में भी लिखित आवेदन दिया गया है.

– डा.आरवाई चौधरी, अधीक्षक, एमजीएम अस्पताल

अस्पताल में शव सुरक्षित रखना प्रबंधन के लिए बनी चुनौती

केस : 1

9 जून, 2014 को भालुबासा निवासी गुड्डु ठाकुर का इलाज के दौरान एमजीएम में मौत हो गयी थी. शव अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में रखा गया था. इस दौरान चूहों ने शव के कई अंग को कुतर दिये थे.

केस : 2

6 जनवरी, 2015 को उलीडीह शंकोसाई निवासी हीरा मिस्त्री को कफ-हफनी की शिकायत पर एमजीएम भर्ती कराया गया था. इलाज के दौरान उनकी मौत हो गयी. शव रात भर इमरजेंसी वार्ड के बेड पर रखा गया था. इस दौरान चूहों ने शव का नाक कुतर दिया.

केस : 3

14 जनवरी, 2015 को बिरसानगर निवासी सुनील कुमार को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इमरजेंसी वार्ड में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गयी. शव को इमरजेंसी वार्ड में रखा गया था. इस दौरान चूहों ने शव की आंख को कुतर दिया.

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