कष्ट दूर करते हैं बाबा पतनेश्वरनाथ

।। विभूति भूषण ।। जमुई : शहर से चार किमी दूर जमुई–मलयपुर मुख्य मार्ग के बंदरीदह नदी के किनारे बरहट प्रखंड के बरियारपुर ग्राम पंचायत में स्थित पंचवटी पतनेश्वरनाथ मंदिर अपने आप में कई इतिहास समेटे हुए है. यह मंदिर जमीन से लगभग 90 फीट की उंचाई पर स्थित है. इस मंदिर की पूरब दिश […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 5, 2013 2:29 AM

।। विभूति भूषण ।।

जमुई : शहर से चार किमी दूर जमुईमलयपुर मुख्य मार्ग के बंदरीदह नदी के किनारे बरहट प्रखंड के बरियारपुर ग्राम पंचायत में स्थित पंचवटी पतनेश्वरनाथ मंदिर अपने आप में कई इतिहास समेटे हुए है. यह मंदिर जमीन से लगभग 90 फीट की उंचाई पर स्थित है.

इस मंदिर की पूरब दिश में पांच पहाड़ी, पश्चिम में दौलतपुर गांव के बगल में चित्रकूट घाट ,पश्चिमोत्तर कोण में पतौना गांव जिसे पूर्व में पंपापुर कहा जाता था, जबकि उत्तर में आंजन नदी और दक्षिण में खैरमा गांव जो पूर्व में खरदूसन -3 का अखाड़ा कहा जाता था स्थित है. इस मंदिर परिसर में भगवान शिवपार्वती के मंदिर के अलावे चार अन्य देवीदेवताओं के मंदिर हैं.

* कैसे हुआ अभ्युदय

मंदिर के पुजारी श्यामदेव पांडेय ने बताया कि लगभग 455 वर्ष पूर्व इस क्षेत्र में जंगल था और लोग यहां लकड़ियां चुनने के लिए आया करते थे. लकड़ी चुनने के दौरान एक चरवाहे को पत्तों के ढेर के बीच में प्रकाश पुंज दिखाई पड़ा. कौतुहलवश जब उसने पत्तों को हटाया तो उसे काले पत्थर के रूप में शिवलिंग की आकृति नजर आयी. उसने इसकी सूचना आस पास के ग्रामीणों को दी. लोगों ने वहां पहुंच कर खुदाई आरंभ की.

कितनी भी खुदाई की गयी किंतु शिवलिंग स्थिर रहा. इसके बाद भगवान शिव ने एक व्यक्ति को मंदिर निर्माण कराने हेतु स्वप्‍न दिया. मंदिर बनवाने के बाद वह बची हुई सारी राशि को खा गया इससे उसका पूरा परिवार नष्ट हो गया. इस मंदिर के निर्माण के वक्त बहुत सारी मूर्तियां निकली जो आज भी विद्यमान है.

* क्या है महिमा

बाबा पतनेश्वरनाथ की पूजा जो भी सच्चे मन से करता है उसकी सभी मनोकामना पूरी होती है. इस संबंध में खैरमा निवासी कमला वर्मा ने बताया कि बहुत पूर्व उड़िया बाबा नामक एक व्यक्ति जो कुष्ट रोग से पीड़ित था उसने लगातार तीन माह तक सच्चे मन से बाबा की सेवा की तो वह बिल्कुल निरोग हो गया.

बाबा पतनेश्वरनाथ की पूजा से कई लोगों को विविध प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिली है मनोवांछित फल की प्राप्ति भी हुई है. प्रत्येक वर्ष सावन भादो मास में करीब 10 हजार लोगों द्वारा जलाभिषेक किया जाता है और प्रत्येक पूर्णमासी को यहां मेला लगता है. हर वर्ष सावन मास के शुक्ल पक्ष के त्रयोदशी को रूद्राभिषेक किया जाता है. इस दिन भजनकीर्तन, भंडारा आदि का भी आयोजन किया जाता है.

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