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हरभजन से प्रभात खबर की विशेष बातचीत : ऑस्ट्रेलिया में अच्छा प्रदर्शन करेगी टीम इंडिया

इंतजार खत्म : न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में आइसीसी वर्ल्ड कप के रंगारंग उद्घाटन समारोह के बाद शनिवार से पूरी दुनिया पर क्रिकेट का फीवर चढ़ जायेगा. खुमार और चढ़ेगा, जब रविवार को भारत-पाक आमने-सामने होंगे. वर्ल्ड कप को रोमांचक बनाने के लिए टीवी चैनलों और रेडियो ने नये और अभिनव प्रयोग किये हैं. दर्शक स्टार […]

इंतजार खत्म : न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में आइसीसी वर्ल्ड कप के रंगारंग उद्घाटन समारोह के बाद शनिवार से पूरी दुनिया पर क्रिकेट का फीवर चढ़ जायेगा. खुमार और चढ़ेगा, जब रविवार को भारत-पाक आमने-सामने होंगे.
वर्ल्ड कप को रोमांचक बनाने के लिए टीवी चैनलों और रेडियो ने नये और अभिनव प्रयोग किये हैं. दर्शक स्टार स्पोर्ट्स पर हिंदी कमेंट्री का आनंद तो ले ही सकेंगे, पहली बार हिंदी सिनेमा के महानायक अमिताभ बच्चन की रेडियो कमेंट्री भी सुन सकेंगे. तो हो जाइए तैयार, क्रिकेट के ज्वार में गोते लगाने के लिए.
भारत के सबसे सफल स्पिन गेंदबाजों में शुमार हरभजन सिंह तीन साल से टीम से बाहर हैं. 2003, 2007 और 2011 वर्ल्ड कप टीम का हिस्सा रहे. वर्ष 2011 की वर्ल्ड चैंपियन टीम के सबसे किफायती गेंदबाज.
प्रभात खबर से विशेष बातचीत में टीम इंडिया के टर्बिनेटर से अपने तीन वर्ल्ड कप के अनुभव साझा करने के साथ-साथ वर्ल्ड कप 2015 में भारत के संभावित प्रदर्शन पर भी विचार रखे.
आपने तीन वर्ल्ड कप खेले. हर बार अलग तरह के अनुभव हुए होंगे. वर्ल्ड कप जीतने के चार साल बात आपको कैसा महसूस होता है?
चैंपियन बनना आसान नहीं है. इसके लिए आपको काफी मेहनत करनी पड़ती है. 2011 में पूरी टीम अच्छा खेली. हम फोकस्ड थे. हमें विश्वास था कि घरेलू जमीन पर 28 साल बाद चैंपियन बनने का शानदार मौका है. ऊपरवाले का शुक्र है कि हमने लक्ष्य हासिल किया.
इस बार टीम में कैसी संभावना देखते हैं?
यह टीम भी ऑस्ट्रेलिया में अच्छा करेगी. इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं टीम का हिस्सा हूं या नहीं. पूरे देशवासियों की तरह हमारी भी इच्छा है कि टीम वर्ल्ड चैंपियन बने.
2011 में पूरे देश में एक अलग जूनून था..
जाहिर है. अव्वल तो यह वर्ल्ड कप था और आयोजन भारत में हो रहा था. जिसका क्रि केट से कोई सरोकार नहीं है, वह भी चाहता था कि टीम इंडिया जीते. एक बात आपको और भी कहना चाहूंगा कि जब कोई ऐसा टूर्नामेंट घर में आयोजित होता है, तो हर किसी की दुआ टीम के साथ जुड़ने लगती है और पूरे देश की ताकत से टीम का हौसला बढ़ता है. वो खास जीत थी.
आपके लिहाज से पिछले वर्ल्ड कप के पांच सबसे खास लम्हे?
सबसे बड़ा लम्हा था वर्ल्ड कप उठाने का. शैंपेन से खिलाड़ी लथपथ हो रहे थे. जीत के बाद जिस तरह हमने पूरे वानखेड़े स्टेडियम में विक्ट्री लैप किया, उसकी आप कल्पना ही कर सकते हैं. फाइनल से पहले अभूतपूर्व जोश था. मैदान में मैंने अब तक ऐसा उत्साह और जोश कभी महसूस नहीं किया.
धौनी का वो छक्का कोई भूल सकता है? धौनी का वह शॉट हमारी यादों का एक लाजवाब हिस्सा है. और आखिर में कहना चाहूंगा कि पूरे टूर्नामेंट के दौरान एक भी बॉल ऐसा नहीं रहा, जिसमें सौ फीसदी से कभी कम दम लगा हो. हम सब एक-दूसरे को बार-बार याद दिला रहे थे कि फाइनल मैच हमारे जीवन का सबसे बड़ा और अहम दिन है. उस दिन हम बिल्कुल इत्मीनान नहीं दिखा सकते थे.
क्या आप में से कुछ खिलाड़ियों ने 2003 में फाइनल में चूकने की बात के बारे में भी चर्चा की थी?
क्रि केट में अनुभव की खास अहमियत है. 2003 में जीत के मुहाने पर आकर चूक गये थे. हमारे नहीं जीतने की वजह थी हमारा अति-उत्साह. जहीर खान के पहले ओवर में 14 रन चले गये. उसके बाद हम पर दबाव लगातार बढ़ता गया. हमारा ध्यान थोड़ा भटक गया. शायद हम नतीजों को लेकर ज्यादा गंभीर हो गये थे.
इस बार हमने संयम और धैर्य रखा. बुनियादी चीजों पर ध्यान दिया. हम एक-दूसरे को यही कह रहे थे कि फाइनल भी बाकी मैचों की तरह एक सामान्य गेम है. हमें अहसास था कि वर्तमान में रहने से ही हम जीत सकते हैं.
आपके लिहाज से फाइनल का टर्निग प्वाइंट?
तीसरे विकेट के लिए गौतम गंभीर और विराट कोहली की साङोदारी. कोहली ने भले 30-35 रन बनाये, लेकिन शुरु आत में तेंडुलकर और सेहवाग जैसे बड़े विकेट खोने के बाद टीम पर रन रेट का जो दबाव आता, उसे उन दोनों ने आने नहीं दिया. उस समय एक और विकेट चला जाता, तो हमारी परेशानी शायद काफी बढ़ जाती.
धोनी और युवराज की भूमिका?
धौनी ने जिस तरह खुद को बैटिंग ऑर्डर में आगे किया, एक साहसी फैसला था. उन्हें पता था कि वह मुथैया मुरलीधरन को काफी अच्छे से खेलते हैं. इसलिए उन्होंने वह फैसला लिया. ऐसा नहीं है कि युवी किसी मामले में मुरली के सामने कमजोर हैं, लेकिन चेन्नई सुपर किंग्स के लिए खेलते हुए धौनी को मुरली के खिलाफ नेट्स में अभ्यास का काफी मौका मिला था. धौनी ने अपनी सर्वोत्तम पारी खेली और बाकी सब इतिहास है.
विराट कोहली से आपको इस बार क्या उम्मीदें हैं?
मेरे ख्याल से टीम इंडिया की बैटिंग कोहली के इर्द-गिर्द ही घूमेगी. वह दुनिया के सबसे तगड़े बल्लेबाज हैं. उनके कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी होगी. वह चुनिंदा बल्लेबाजों में हैं, जो कहते हैं कि हां, मैं जिम्मेदारी लेना चाहता हूं. मैं टीम की जीत में योगदान देना चाहता हूं. भले ही टेस्ट सीरीज के बाद एकदिवसीय त्रिकोणीय श्रृंखला में उनका बल्ला थोड़ा बुझा-बुझा रहा हो, लेकिन वर्ल्ड कप में वह जबरदस्त वापसी करेंगे.
स्पिन आक्र मण पर क्या कहेंगे?
रवींद्र जडेजा मददगार पिचों पर बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं. लेकिन, ऑस्ट्रेलिया में उनके लिए चुनौती थोड़ी मुश्किल होगी. अक्षर पटेल भी अच्छे गेंदबाज हैं. अश्विन टीम के नंबर-1 स्पिनर हैं. टीम को जिताने में उन्हें महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी.

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