आईएसआईएस से ज्यादा खतरनाक हो सकता है हिज्ब-उत-तहरीर
वाशिंगटन : शातिर तरीके से दुनिया की नजर से बचते हुए अपनी विचारधारा को फैलाने वाला कट्टरपंथी इस्लामी संगठन हिज्ब-उत-तहरीर (एचयूटी) आईएसआईएस से ज्यादा खतरनाक आतंकवादी संगठन हो सकता है और दक्षिण एशिया में इसकी मौजूदगी भारत के लिए चिंता की वजह होनी चाहिए. यह बात एक रिपोर्ट में कही गयी है. सीटीएक्स पत्रिका के […]
वाशिंगटन : शातिर तरीके से दुनिया की नजर से बचते हुए अपनी विचारधारा को फैलाने वाला कट्टरपंथी इस्लामी संगठन हिज्ब-उत-तहरीर (एचयूटी) आईएसआईएस से ज्यादा खतरनाक आतंकवादी संगठन हो सकता है और दक्षिण एशिया में इसकी मौजूदगी भारत के लिए चिंता की वजह होनी चाहिए. यह बात एक रिपोर्ट में कही गयी है. सीटीएक्स पत्रिका के ताजा संस्करण में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘आईएसआईएस जहां सीरिया और इराक में उग्रता के साथ काम करता है और अपनी नृशंस क्रूरताओं के जरिये मीडिया का ध्यान खींचता है, वहीं एचयूटी चुपचाप वैश्विक खिलाफत की तैयारी में चरमपंथी युवकों का वैश्विक ढांचा और गहराई तक पैठ वाला अरब का समर्थन तैयार कर रहा है.’’ रिपोर्ट कहती है कि इस संगठन ने करीब 50 देशों में अपनी विचारधारा और समर्थन आधार का प्रसार करते हुए दुनिया की नजर से खुद को बडे शातिर तरीके से बचाये रखा.
संगठन दुनियाभर में दस लाख से अधिक सदस्यों का संचालन करता है. यह आईएसआईएस के दावे से कहीं ज्यादा है. पत्रिका ने खबरों का हवाला देते हुए कहा है कि एचयूटी की एक हथियारबंद इकाई है जिसे हरकत उल-मुहोजिरिनफी ब्रिटानिया नाम दिया गया है जो रासायनिक और जैविक युद्ध के लिए अपने कैडर को प्रशिक्षण दे रहा है. अमेरिका की ग्लोबल एजुकेशन कम्युनिटी कॉलेबोरेशन ऑनलाइन पत्रिका के अनुसार, ‘‘इसलिए एचयूटी में आईएसआईएस से कहीं अधिक खतरनाक आतंकवादी संगठन बनने की क्षमता है.’’ इस संगठन की स्थापना 1952 में यरुशलम में की गयी थी और इसका मुख्यालय लंदन में है. इसकी शाखाएं मध्य एशिया, यूरोप, दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया तथा खासतौर पर इंडोनेशिया में हैं जहां उसने बडा असर छोडने में सफलता पाई है.
दक्षिण एशिया में एचयूटी की मौजूदगी पाकिस्तान और बांग्लादेश में है. रणनीतिक और सुरक्षा मामलों की मल्टीमीडिया पत्रिका के मुताबिक, ‘‘एचयूटी ने खबरों के अनुसार यूं तो भारत में भी पैर रखे हैं, लेकिन इसकी मौजूदगी और प्रभाव का कोई खास असर नहीं रहा.’’ पत्रिका ने कहा, ‘‘पडोसी बांग्लादेश और पाकिस्तान में एचयूटी की बढती मौजूदगी भारत के लिए और व्यापक वैश्विक समुदाय के लिए चिंता की वजह होनी चाहिए.’’ एचयूटी ने अपनी वेबसाइट पर दावा किया कि उसने इस्राइल की कथित ज्यादतियों के खिलाफ दिल्ली के बटला हाउस में 2010 में प्रदर्शन किया था.
दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस से जुडे सुरेंद्र कुमार शर्मा द्वारा तैयार की गयी रिपोर्ट के अनुसार यह प्रदर्शन भारत में एचयूटी की खबरों में आई आखिरी गतिविधि थी जिसमें करीब 1,000 लोगों ने शिरकत की थी. पत्रिका लिखती है कि वैचारिक स्तर पर एचयूटी और आईएसआईएस में काफी समानताएं हैं और आईएसआईएस का समर्थन करने वाले अधिकतर लोग और संस्थाएं एचयूटी का समर्थन भी करते हैं. रिपोर्ट के अनुसार एचयूटी की रणनीति आईएसआईएस से अलग है और यह संगठन खुल्लमखुल्ला आतंकवाद की गतिविधियों से दूर रहते हुए शिक्षित युवकों को प्रलोभन दे रहा है.