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ISIS के ठिकानों पर मिस्र ने की बमबारी, 64 आतंकी की मौत

काहिरा : लीबिया में इस्लामिक स्टेट के आतंकियों के हाथों मिस्र के 21 ईसाइयों के सिर कलम किए जाने का वीडियो जारी होने के बाद मिस्र ने इस आतंकी संगठन के ठिकानों को निशाना बनाकर बमबारी की जिसमें 64 आतंकवादी मारे गए हैं. पहली बार मिस्र ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि उसने लीबिया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 17, 2015 12:13 AM

काहिरा : लीबिया में इस्लामिक स्टेट के आतंकियों के हाथों मिस्र के 21 ईसाइयों के सिर कलम किए जाने का वीडियो जारी होने के बाद मिस्र ने इस आतंकी संगठन के ठिकानों को निशाना बनाकर बमबारी की जिसमें 64 आतंकवादी मारे गए हैं. पहली बार मिस्र ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि उसने लीबिया में सैन्य कार्रवाई की है.

उसके विमानों ने आईएस के प्रशिक्षण शिविरों और हथियारों के गोदामों पर बमबारी की. लीबियाई सेना के प्रवक्ता ने बताया कि मिस्र एवं लीबिया के संयुक्त अभियान में आईएस के 64 आतंकवादी मारे गए और कई घायल हो गए. मिस्र के 21 ईसाइयों का सिर कलम किए जाने संबंधी वीडियो जारी होने के बाद यह सैन्य कार्रवाई आरंभ की गई.

पांच मिनट के इस भयावह वीडियो में दिखाया गया है कि लीबिया की राजधानी त्रिपोली के पास एक समुद्री तट पर नारंगी रंग के जंपसूट पहने बंधकों के हाथ बंधे हुए हैं और काले नकाब पहने आतंकी उन्हें मौत के घाट उतार दे रहे हैं. वीडियो के एक अंश के अंत में एक आतंकी कहता है, ‘जिस समुद्र में तुमने शेख ओसामा बिन लादेन को दफना दिया था, अल्लाह की कसम खाते हैं कि उसी समुद्र के पानी को तुम्हारे खून से रंग देंगे.’

लीबिया से एक माह पहले अपहृत हुए इन 21 मिस्रवासियों की हत्या से ये आशंकाएं बढ गई हैं कि इस्लामिक आतंकी समूह ने दक्षिणी इटली के पास एक प्रत्यक्ष संबद्ध संगठन तैयार कर लिया है. इसी आशंका की ओर इशारा करते हुए एक आतंकी वीडियो में कहता है कि समूह अब ‘रोम पर फतह’ हासिल करने की योजना बना रहा है.

इस चरमपंथी समूह द्वारा अपने नियंत्रण क्षेत्र सीरिया और इराक से बाहर की गई सिर कलम करने की ये घटनाएं अपनी तरह की पहली घटनाएं हैं और मिस्र में इन हत्याओं की तत्काल एवं कडी निंदा की गई है. मिस्र की सेना ने आज एक बयान में घोषणा की कि उसने लीबिया में इस्लामिक स्टेट के ठिकानों पर हवाई हमले किए हैं और इनमें प्रशिक्षण शिविर और हथियारों के भंडारकेंद्र भी शामिल हैं.

मिस्र की सेना ने एक बयान में कहा, ‘सैन्यबलों ने सोमवार को लीबिया में दाएश (आईएस) के शिविरों, प्रशिक्षण एवं एकजुट होने के स्थानों और हथियारों के भंडार केंद्रों पर हवाई हमले बोले.’ सेना के प्रवक्ता मोहम्मद समीर ने अपने बयान में कहा, ‘हत्यारों और अपराधियों से खून का बदला लेना मिस्र का अधिकार है. यह इसलिए है ताकि हर कोई जान ले कि मिस्र के पास सुरक्षा एवं संरक्षण करने वाला कवच और आतंकवाद को काट फेंकने वाली एक तलवार है.’

वीडियो जारी होने के कुछ घंटे बाद राष्ट्रीय टीवी पर मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फतह अल-सिसी ने कहा कि ‘उनके देश के पास यह अधिकार है कि वह किसी भी समय और किसी भी तरीके से इन हत्यारों के खिलाफ प्रतिशोध की कार्रवाई करे.’ उन्होंने चेतावनी दी थी कि मिस्र ‘इन आपराधिक हत्याओं का बदला लेने के लिए जरुरी माध्यमों और समय को चुनेगा.’ राष्ट्रपति ने कहा, ‘मिस्र आतंकवाद को परास्त करने में सक्षम है क्योंकि वह ऐसा सिर्फ अपनी सुरक्षा के लिए नहीं बल्कि मानवता की रक्षा के लिए करता है.’

ईसाइयों के सिर कलम किए जाने की घटना को ‘क्रूरतापूर्ण’ बताते हुए सिसी ने कहा कि आतंकवाद का एक नया रूप दुनिया भर में अपने पैर पसार रहा है. इसके साथ ही उन्होंने सभी लोगों से अपील की कि वे एकजुट होकर इसके खिलाफ लडें. अपने वक्तव्य के दौरान सिसी ने मृतकों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदनाएं जाहिर कीं. इसके साथ ही उन्होंने सरकार को आदेश दिए कि वह मिस्रवासियों की लीबिया यात्रा पर प्रतिबंध लगाए और वहां मौजूद अन्य लोगों की वापसी में मदद करे.

सिसी ने कार्रवाई पर फैसला लेने के लिए मिस्र की शीर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा संस्था की एक आपात बैठक बुलाई. उन्होंने विदेश मंत्री से यह भी कहा कि वे न्यूयॉर्क जाएं और ‘आतंकवाद से लडाई’ सम्मेलन में शिरकत करें. दिन में पहले, मिस्र ने इन हत्याओं पर सात दिन की शोक की घोषणा की थी. मिस्र की सरकारी समाचार एजेंसी मीना ने कॉप्टिक चर्च के प्रवक्ता के हवाले से कहा था कि आईएसआईएस द्वारा बंधक बनाए गए मिस्र के 21 ईसाइयों की संभवत: मौत हो गई है.

शीर्ष इस्लामी संस्था अल-अजहर ने सिर कलम करने की इस ‘क्रूरता’ की निंदा की है. अल-अजहर ने कल जारी बयान में कहा, ‘अल-अजहर को कल मासूम मिस्रवासियों के एक समूह की हत्याओं की खबर मिली, जिसे सुनकर बहुत दुख हुआ.’ उधर, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इस घृणित घटना की निंदा की है. मिस्र के कॉप्टिक ईसाई मध्यपूर्व में सबसे बडा ईसाई समुदाय है और इनकी संख्या मिस्र की कुल जनसंख्या का 10 प्रतिशत है. वर्ष 2011 के विद्रोह के बाद से हजारों मिस्रवासी काम के लिए लीबिया चले गए थे. हालांकि उनकी सरकार ने उन्हें उस देश से दूर ही रहने की सलाह दी थी.

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