वाशिंगटन : हिंदू-अमेरिकियों ने धार्मिक आजादी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी खासकर ‘धर्म को कायम रखने के अधिकार’ पर उनके खास जिक्र का स्वागत किया है. हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन (एचएएफ) के कार्यकारी निदेशक सुहाग शुक्ला ने कल कहा, ‘जब तक किसी व्यक्ति के कोई भी धर्म मानने के अधिकार को अंतरराष्ट्रीय कानून के दायरे में नहीं लाया जाएगा और इसे रचनात्मक अंतरधार्मिक सम्पर्क के रूप में अनिवार्य नहीं समझा जाएगा तब तक हम समूची संस्कृतियों और सभ्यताओं के विनाश के गवाह बनते रहेंगे.’
एक बयान में एचएएफ ने के ई चवारा और मदर यूफ्रेशिया को संत की उपाधि दिए जाने के अवसर पर एक समारोह में प्रधानमंत्री मोदी की धार्मिक आजादी पर उनकी सरकार की प्रतिबद्धता की टिप्पणी का स्वागत किया. बयान के मुताबिक, धार्मिक आजादी के अखंड हिस्से के तौर पर ‘धर्म को कायम रखने के अधिकार’ के मोदी के खास जिक्र पर फाउंडेशन ने खुशी जतायी. मोदी ने नयी दिल्ली में विज्ञान भवन में कहा, ‘मेरी सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि आस्था की पूर्ण स्वतंत्रता हो और यह कि किसी तरह की जोर जबरदस्ती या अनुचित प्रभाव के बिना हर किसी को अपनी पसंद के धर्म पर कायम रहने या अपनाने का निर्विवाद अधिकार है.’
अन्य संगठनों के साथ एचएएफ किसी को अपना धर्म बरकरार रखने के अधिकार को प्रचलित अंतरराष्ट्रीय कानूनों में जोडने की लंबे समय से वकालत करता रहा है. फाउंडेशन के नेताओं ने उल्लेख किया कि भारत में हिंदू समूहों द्वारा धर्मांतरण के हालिया अभियान ने मीडिया का काफी ध्यान खींचा है लेकिन यह अमेरिकी, ऑस्ट्रेलियाई और यूरोपीय मिशनरियों के धर्म प्रचार प्रयासों की तुलना में कुछ भी नहीं है.
अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा है कि वह भारत सहित दुनिया भर में धार्मिक सहिष्णुता और आजादी का समर्थन करता है. विदेश विभाग की प्रवक्ता जेन साकी ने धार्मिक आजादी पर मोदी के बयान के बारे में संवाददाताओं की ओर से पूछे जाने पर कहा, ‘मैं स्पष्ट रूप से निश्चित तौर पर कह सकता हूं धार्मिक सहिष्णुता और आजादी की हम भारत सहित दुनिया भर में समर्थन करते हैं.’