बुजुर्गो को सम्मान दें उनकी बातों को सुनें

दक्षा वैदकर एक बार की बात है. एक राज्य के सारे नौजवानों ने मिल कर तय किया कि सारे बुजुर्गो को मार दिया जाना चाहिए, क्योंकि अब ये किसी काम के नहीं रह गये हैं और अब तक जी भी काफी लिये हैं. उस राज्य का राजा भी युवा ही था. इसलिए उसने सारे नौजवानों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 20, 2015 7:19 AM
दक्षा वैदकर
एक बार की बात है. एक राज्य के सारे नौजवानों ने मिल कर तय किया कि सारे बुजुर्गो को मार दिया जाना चाहिए, क्योंकि अब ये किसी काम के नहीं रह गये हैं और अब तक जी भी काफी लिये हैं. उस राज्य का राजा भी युवा ही था. इसलिए उसने सारे नौजवानों की बात मान ली और आदेश दे दिया कि राज्य में पचास साल और इससे ऊपर के सारे लोगों की हत्या कर दी जाये.
राजा के इस फरमान पर अमल शुरू हो गया. राज्य में कई बुद्धिमान और अनुभवी लोगों को मार डाला गया. लेकिन एक नौजवान ने, जो कि बहुत ही दयालु था, अपने पिता को किसी तरह बचा लिया. उसे लगा कि आखिरकार उसके पिता ने ही तो उसे पाल-पोसकर बड़ा किया है. उसने पिता को एक कोठरी में छिपा लिया.
वह जीवन भर अपने पिता की देखभाल करता रहा. कुछ समय बाद ही उस राज्य में भयंकर अकाल पड़ा. यह वह समय था, जब बर्फ पिघलने का मौसम करीब आता जा रहा था. लेकिन किसी के पास बोने के लिए बीज नहीं थे. अकाल को लेकर हर कोई परेशान था, लेकिन उस समस्या का हल किसी के पास न था. एक दिन नौनवान के बुजुर्ग पिता ने उससे परेशानी का कारण पूछा. बेटे ने भयंकर अकाल की बात बतायी. इस पर उसके बुजुर्ग पिता ने कहा कि वह सड़क के किनारे-किनारे हल चलाना शुरू कर दे. उस नौजवान ने पिता की बात मानी और काम शुरू कर दिया. बर्फ पिघलनी शुरू हो चुकी थी.
कुछ दिनों बाद नौजवान ने देखा कि सड़क किनारे जहां-जहां उसने हल चलाया है, वहां अंकुर फूटने लगे हैं. यह देख लोगों के आश्चर्य का ठिकाना न रहा. यह खबर राजा तक पहुंच गयी. राजा ने उसे बुलाया और राज पूछा. बेटे ने डरते-डरते पिता का नाम बता दिया. तब राजा ने बुजुर्ग पिता को बुलवाया और पूछा कि आपको यह विचार कैसे आया? बुजुर्ग ने कहा कि जब लोग अपनी बैलगाड़ियों पर अनाज लादकर जाते हैं, तो उसमें से कुछ सड़क किनारे बिखरता जाता है. बुजुर्ग की बात सुन राजा बहुत प्रभावित हुआ. उसने आदेश दिया कि अब किसी बुजुर्ग की हत्या नहीं होगी. सभी को सम्मान दिया जायेगा.
बात पते की..
बुजुर्गो को जितना हो सके, अपने करीब ही रखें. उनका सम्मान करें. उनके अनुभवों से अधिक-से-अधिक सीखने की कोशिश करें.
ये घमंड कभी भी न करें कि आपको सब पता है और बुजुर्ग फालतू बातें करते हैं. बुजुर्गो के पास अनुभव है, इस बात को कभी भी न भूलें.

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