बेंगलुर : भारत के रक्षा बाजार में अपना दबदबा बरकरार रखने के लिए रुस ने कहा कि वह भारत के साथ संयुक्त रुप से उत्पाद बनाने के संबंध में भागीदारी का इच्छुक है जिन्हें भविष्य के बाजार मिलेंगे. मेक इन इंडिया पहल के तहत हर तरह के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और संयुक्त उत्पादन का वायदा करते हुए रुसी विनिर्माताओं ने कहा कि वे भारत की निजी कंपनियों के साथ भी भागीदारी करने के इच्छुक है, विशेष तौर पर फलते-फूलते वैमानिकी क्षेत्र में.
रुस की सार्वजनिक क्षेत्र की यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कार्पोरेशन :यूएसी: के अध्यक्ष यूरी स्लायूसर ने 2015 को बेहद महत्वपूर्ण वर्ष करार देते हुए कहा कि उन्हें पांचवीं पीढी के लडाकू विमान :एफजीएफए: के संयुक्त उत्पादन की लंबे समय से अटकी योजना इस साल जोरशोर से शुरू होगी. उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि विभिन्न तरह की भूमिका वाले परिवहन विमानों का संयुक्त उत्पादन बढेगा.
यहां आयोजित ‘एयरो इंडिया’ प्रदर्शनी के मौके पर उन्होंने कहा ‘‘2015 बेहद महत्वपूर्ण वर्ष है जबकि आप प्राथमिक डिजाइन से विस्तृत डिजाइन की दिशा में आगे बढेंगे। मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा कि भारत के साथ सहयोग का स्तर जितना गंभीर है वैसा किसी अन्य देश के साथ नहीं है.’’ यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कोआपरेशन रुसी वैमानिक उद्योग का प्रमुख संगठन है. स्लायूसर ने कहा कि रुस और भारत मिलकर ऐसे उत्पाद का डिजाइन और विनिर्माण करेंगे जिन्हें भविष्य के बाजार मिलेंगे.
उन्होंने कहा ‘‘यह दोनों पक्षों के भरोसे का प्रमाण है. यह हमारे अच्छी भावी संभावनाओं का प्रमाण है.’’ रुस बरसों से भारतीय रक्षा बाजार में प्रभाशाली भूमिका में रहख है लेकिन अब इसे अमेरिका, फ्रांस और इस्रायल जैसे अन्य देशों से भारी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड रहा है. अभी भी करीब 60 प्रतिशत भारतीय रक्षा उपकरण रुसी हैं या पूर्ववर्ती सोवियत संघ के देशों में बने हैं.