नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सामूहिक दुष्कर्म की शिकार इंदौर जिले के बेतमा कस्बे की दो स्कूली छात्रओं को दस-दस लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश मध्य प्रदेश सरकार को दिया. न्यायालय ने इसके साथ ही एक हलफनामे में इन लड़कियों की पहचान सार्वजनिक करने के मामले में पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी करके पूछा है कि उसके खिलाफ आपराधिक मामला क्यों नहीं दर्ज किया जाये. जिसका जवाब चार सप्ताह के भीतर देने का निर्देश दिया गया है.
लड़कियों की पहचान सार्वजनिक करने के लिये भारतीय दंड संहिता की धारा 228-ए के तहत मामला दर्ज किया जायेगा. न्यायाधीशों ने कहा कि सामूहिक दुष्कर्म की शिकार दोनों स्कूली छात्रयें गरीब परिवारों की हैं, जिनके साथ फरवरी, 2012 को खुले मैदान में 16 व्यक्तियों ने दुष्कर्म किया था. इन दोनों छात्रओं को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के पालन में मुआवजे के रूप में दो-दो लाख रुपये की रकम दिया जाना ‘बहुत ही कम’ और ‘अपर्याप्त’ है.
शेष मुआवजा जल्द देने का निर्देश : न्यायाधीशों ने कहा, ‘हम मध्य प्रदेश सरकार को उसके प्रधान सचिव (गृह) के माध्यम से निर्देश देते हैं कि दोनों पीड़ितों को एक महीने के भीतर आठ लाख रुपये की शेष रकम का भुगतान किया जाये. न्यायालय ने केंद्र सरकार से भी कहा कि इस तरह के अपराध की शिकार पीड़ितों की सामाजिक सुरक्षा और कल्याणकारी उपायों के लिये उसे आगे आना चाहिए क्योंकि वे जीवन र्पयत इस अपघात को जीती हैं.