मित्रो,
झारखंड की 80 प्रतिशत आबादी कृषि व्यवसाय से जुड़ी है. इनमें 72 प्रतिशत छोटे और सीमांत किसान हैं. केवल 9% किसान ऐसे हैं, जिनके पास 10 हेक्टेयर कृषि भूमि है. राज्य की प्रमुख फसलों में धान (16.84 लाख हेक्टेयर जोत), मक्का (2.05 लाख हेक्टेयर), दलहन (3.67 लाख हेक्टेयर), तेलहन (1.24 लाख हेक्टेयर) एवं गेहूं (0.914 लाख हेक्टेयर) हैं. झारखंड में औसत 1400 मिली मीटर वर्षा होती है. इसमें से 1000-1200 मिली मीटर वर्षा खरीफ के मौसम में होनी चाहिए, जो नहीं होती है. इसलिए खेती करना यहां एक चुनौती है, लेकिन कृषि का कोई विकल्प भी नहीं है! रास्ता यही है कि कृषि को विकसित करने के रास्ते और साधन बढ़ाये जायें. इसमें उन माध्यमों को सम्मिलित करने की जरूरत है, जो किसानों को कम लागत, कम पानी, कम समय और कम जोखिम में ज्यादा उत्पादन और ज्यादा लाभ दिला सके. इसके लिए कृषि वैज्ञानिक नये अनुसंधान में लगे हुए हैं.
खेती की नयी तकनीक और बीजों के नये प्रभेद विकसित किये जा रहे हैं. द्वितीय हरित क्रांति में झारखंड भी शामिल है. लिहाजा केंद्र सरकार से उसे तकनीक, साधन और राशि तीनों रूपों में भारी सहयोग मिल रहा है. राज्य सरकार के बजट में भी हर साल बढ़ोतरी की जा रही है. सरकार का पूरा फोकस कृषि पर है. दूसरी ओर, झारखंड में सबसे ज्यादा घोटले जिन विभागों में हुए हैं, उनमें कृषि विभाग भी शामिल है. यह घोटाला केवल ऊपरी स्तर का नहीं है. निचले स्तर पर भी कृषि घोटाले का दायरा काफी बड़ा है. यह इसलिए है कि आम आदमी-आम किसान सरकार और उसके निचले स्तर के कृषि अधिकारियों-कर्मियों के कामकाज तथा योजनाओं के संचालन की निगरानी नहीं कर रहा. हम इस अंक में बात कर रहे हैं प्रखंड कृषि पदाधिकारी की.
हम उन योजनाओं के बारे भी बात कर रहे हैं, जिन्हें कृषि विभाग चला रहा है, जिन पर सरकार का काफी पैसा खर्च हो रहा है और जिनका लाभ लेना आपका अधिकार है. अगर इसमें किसी भी तरह की गोपनीयता बरती जाती है, आपको सूचना नहीं दी जाती है या गड़बड़ी की जाती है, तो आप किसान हों या आम आदमी, आपको सूचनाधिकार कानून के तहत सही सूचना मांगने का अधिकार है. आप इस अधिकार का इस्तेमाल कर गड़बड़ियों को उजागर कर सकते हैं और अधिकारी-कर्मचारी को अहसास करा सकते हैं कि वे अपनी मरजी के मालिक नहीं हैं.
कृषि विभाग का ढांचा
शासन स्तर
सचिव
विशेष सचिव
उप सचिव
निदेशालय स्तर
निदेशक (कृषि)
निदेशक (राज्य बागवानी मिशन)
निदेशक (बागवानी)
निदेशक (मृदा संरक्षण)
निदेशक (लेखा)
प्रमंडल स्तर पर
क्षेत्रीय संयुक्त कृषि निदेशक
जिला स्तर पर
जिला कृषि पदाधिकारी
जिला बागवानी पदाधिकारी
जिला मृदा संरक्षण पदाधिकारी
अनुमंडल स्तर
अनुमंडल कृषि पदाधिकारी
प्रखंड स्तर
प्रखंड कृषि पदाधिकारी
अन्य संस्थान
आत्मा
झारखंड राज्य की तसवीर
भौगोलिक क्षेत्र : 79.714 वर्ग किलोमीटर
मुख्य अर्थव्यवस्था : ग्रामीण.
उद्योग पर निर्भर जनसंख्या : 20}
कृषि पर निर्भर जनसंख्या : 80}
औद्योगिक आधारभूत संरचना : अविकसित.
भूमि की संरचना : असमतल व ढलुआ.
मिट्टी की प्रवृत्ति : प्राय: अम्लीय.
औसत वर्षापात : 1372 मिली मीटर.
वर्षा की प्रकृति : असामान्य.
कुल सिंचित भूमि : 8-10%
भू-क्षरण से प्रभावित कृषि भूमि : 19 लाख हेक्टेयर.
कृषि उत्पादकता का स्तर : निम्न.
राज्य की कृषि नीति के खास विंदु
पारंपरिक एक फसली खेती को बहुफसली बनाना.
बागवानी और विविध कृषि को बढ़ावा.
कार्बनिक और एकीकृत वैज्ञानिक खेती.
स्थायी कृषि के लिए प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर प्रबंधन.
फसल कटाई के बाद के प्रबंधन व प्रसंस्करण.
कृषि प्रदर्शनी व मेलों के जरिये कृषि विकास के लिए उचित वातावरण का निर्माण.
कृषि निदेशालय के अधीन विभाग
कृषि अभियंत्रण.
कृषि रसायन, वनस्पति व पौधा संरक्षण.
माप-तौल विभाग.
सांख्यिकी विभाग.
मिट्टी जांच विभाग.