।। दक्षा वैदकर ।।
कल मामा जी ने एक रोचक किस्सा सुनाया कि दिल्ली प्लेटफॉर्म पर उन्हें एक युवक मिला. वह शराब पिये हुए था और बड़बड़ा रहा था. कभी वह रोता, कभी जोर–जोर से हंसता. उसने मामा जी को बताया कि उसकी नौकरी दुबई की एक बड़ी कंपनी में लगी थी. कंपनी के बॉस ने तीन दिन के भीतर ही उसे निकाल दिया. वजह कुछ भी नहीं थी. पहले दिन वह समय पर ऑफिस पहुंचा और बॉस एक घंटा देर से आये.
दूसरे दिन वह समय पर ऑफिस पहुंचा और बॉस दो घंटा देर से आये. तीसरे दिन उसने सोचा कि रोज बॉस देर से ही आते हैं. मैं भी थोड़ा आराम से ही जाता हूं. वह आधा घंटा देर से ऑफिस गया, लेकिन उस दिन बॉस वक्त पर ऑफिस आ गये थे. उन्होंने तुरंत उसे काम से निकाल दिया. यह कह कर कि तुम समय के पाबंद नहीं हो. युवक बोला, ‘जो गलती बॉस खुद करते हैं, उसके लिए मुझे सजा कैसे दे सकते है?’
इस किस्से को सुन मुझे समझ में नहीं आया कि युवक पर दया की जाये या उस पर हंसा जाये. हम जानते हैं कि युवक ने बॉस पर जो इल्जाम लगाया वह सही है. युवक के साथ न्याय नहीं हुआ. लेकिन यदि इस बात को कर्मचारी बन कर देखा जाये, तो हमें याद रखना होगा कि सामनेवाला कुछ भी गलत काम करे, अगर वह बॉस है, तो उसे गलत नहीं कहा जायेगा. किसी ने सच ही कहा है– ‘बॉस इज ऑलवेज राइट.’ इसे दिमाग में बैठा लेना चाहिए. उस युवक की तरह कई ऐसे लोग हैं, जो यह वाक्य भूल जाते हैं और बॉस की तुलना खुद से करने लगते हैं. यहां सोचनेवाली बात है कि अगर हम गलत हैं, तो बॉस हमें सजा दे सकते हैं. लेकिन अगर बॉस गलत है, तो क्या हम उन्हें सजा दे सकते हैं? नहीं न! तो फिर हम क्यों उनसे तुलना करते हैं? हमें केवल अपने काम पर ध्यान देना चाहिए.
यह नियम अन्य कर्मचारियों के मामले में भी लागू करना चाहिए. कई बार हम साथी कर्मचारियों से भी तुलना करते हैं. फलां कर्मचारी तो बिल्कुल काम नहीं करता, वह तो खूब छुट्टियां लेता है, वह तो बहुत गलतियां करता है, कोई उसे तो नहीं डांटता, मुझे ही क्यों डांट पड़ती है? खुद से सवाल पूछें कि आपको जिंदगी से क्या चाहिए? आपको आगे बढ़ना है, तो आप सही रास्ता अपनायें.
– बात पते की
* हमारे आसपास के कई लोग गलत काम करते हैं. हो सकता है कि उन्हें सजा भी न मिले, लेकिन क्या इस बात को देखते हुए हम भी गलत काम करें?
* खुद की तुलना किसी और से न करें. बस यह सोचें कि क्या आप अपनी नौकरी जाना सहन कर सकते हैं? यदि नहीं, तो बस अपना काम करते जायें.