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चीन ने श्रीलंका में अपनी पनडुब्बियां खडी करने का किया बचाव

बीजिंग : चीन ने श्रीलंका के नये विदेश मंत्री की चिंताओं को दरकिनार करते हुए आज मजबूती से कोलंबो में अपनी पनडुब्बियां खडी करने और अपने ऋणों की एवज में ली जा रही ऊंची ब्याज दरों का बचाव करते हुए कहा कि यह सब श्रीलंका की पिछली सरकार की सहमति से किया गया था. श्रीलंकाई […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 2, 2015 6:26 PM

बीजिंग : चीन ने श्रीलंका के नये विदेश मंत्री की चिंताओं को दरकिनार करते हुए आज मजबूती से कोलंबो में अपनी पनडुब्बियां खडी करने और अपने ऋणों की एवज में ली जा रही ऊंची ब्याज दरों का बचाव करते हुए कहा कि यह सब श्रीलंका की पिछली सरकार की सहमति से किया गया था. श्रीलंकाई विदेश मंत्री मंगला समरवीरा ने कहा था कि नयी सरकार चीनी पनडुब्बियों को वहां खडे होने की मंजूरी नहीं देगी.

समरवीरा की टिप्पणियों को लेकर चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने संवाददाताओं से कहा, ‘हमें श्रीलंकाई पक्ष से अग्रिम मंजूरी मिली थी.’ समरवीरा ने पिछले हफ्ते यहां कहा था, ‘मुङो सच में नहीं पता कि किन परिस्थितयों की वजह से कोलंबो बंदरगाह पर उसी दिन कुछ पनडुब्बियां आयीं जिस दिन जापानी प्रधानमंत्री श्रीलंका के दौरे पर आए थे.’ उन्होंने ऐसा कहते हुए पहली बार खुलासा किया कि जापानी प्रधानमंत्री शिंजो अबे के दौरे के समय ही चीनी पनडुब्बियां बंदरगाह पर खडी थीं.

चीनी प्रधानमंत्री ली क्विंग और विदेश मंत्री वांग यी के साथ विस्तृत वार्ता करने वाले समरवीरा ने कहा, ‘लेकिन हम सुनिश्चित करेंगे कि हमारे कार्यकाल में किसी भी ओर से इस तरह की घटनाएं ना हों.’ पिछले साल महिन्दा राजपक्षे के कार्यकाल में कोलंबो बंदरगाह पर दो पनडुब्बियां खडी हुई थीं जिनमें एक के परमाणु शक्ति संपन्न होने की बात कही जा रही है. इस घटनाक्रम से भारत भी चिंतित हुआ था.

हुआ ने यह बात दोहरायी कि चीनी पनडुब्बियां अदन की खाडी में दस्यु विरोधी अभियान में हिस्सा लेने के लिए श्रीलंका के रास्ते सोमालिया जा रही थीं और ईंधन भरने के लिए बंदरगाहों पर खडी हुई थीं. उन्होंने कहा, ‘ये सामान्य और पारदर्शी गतिविधियां हैं. इसमें अंतरराष्ट्रीय परिपाटी का पालन किया गया था.’ प्रवक्ता ने कहा, ‘मुझे यह जानकारी है कि श्रीलंका की वैश्विक दस्यु विरोधी अभियान का समर्थन करने की नीति है.

वह मित्र देशों की पनडुब्बियां खडी करने का स्वागत करता है.’ हुआ ने चीन द्वारा पांच अरब डॉलर के ऋण के लिए वसूली जा रही ऊंची ब्याज दरों का भी बचाव किया जिसे लेकर समरवीरा ने चिंता जतायी थी. उन्होंने कहा, ‘श्रीलंकाई पक्ष के अनुरोध पर चीन द्वारा श्रीलंका को ऋण दिया गया और यह परस्पर लाभ के सिद्धांत पर आधारित है. यह आम सहमति निर्माण पर आधारित व्यवस्था है. यह ऋण व्यवस्था श्रीलंका और उसके लोगों के हित पूरे करती है.’

हुआ ने हालांकि समरवीरा द्वारा चीन को एक ‘सदाबहार दोस्त’ बताने और दोनों देशों की मित्रता के समय की कसौटी पर खरी उतरने से जुडे बयान का स्वागत किया. श्रीलंका के नये राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना द्विपक्षीय संबंधों को बढावा देने के लिए 26 मार्च को चीन के दौरे पर जाएंगे. प्रवक्ता ने कहा, ‘चीन विदेश मंत्री के बयानों को बहुत अच्छे से लेता है और हम इस बात पर सहमत हुए हैं कि हम पिछले साल राष्ट्रपति शी चिनफिंग के श्रीलंका दौरे में हासिल किए गये नतीजों का कार्यान्वयन करना जारी रखेंगे.’

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