सफलता का जश्न तो पहले मना ले यारा!
।। दक्षा वैदकर ।। पिछले दिनों एक रिपोर्टर साथी की बड़ी–सी खबर अखबार में छपी. वैसे तो उसकी खबरें अक्सर छपती रहती हैं, लेकिन यह खबर कुछ ज्यादा ही खास थी. पूरे शहर में उस खबर की चर्चा हुई. जब अन्य साथियों ने उससे कहा, ‘आज तो पार्टी बनती है’, उसने कहा, ‘आराम से दूंगा […]
।। दक्षा वैदकर ।।
पिछले दिनों एक रिपोर्टर साथी की बड़ी–सी खबर अखबार में छपी. वैसे तो उसकी खबरें अक्सर छपती रहती हैं, लेकिन यह खबर कुछ ज्यादा ही खास थी. पूरे शहर में उस खबर की चर्चा हुई. जब अन्य साथियों ने उससे कहा, ‘आज तो पार्टी बनती है’, उसने कहा, ‘आराम से दूंगा पार्टी. जब मेरी ऐसी ही एक और खबर छप जायेगी. अब मुझे इससे भी बड़ी खबर पर काम करना है.’ वह साथी दोबारा संघर्ष की सड़क पर दौड़ने में लग गया.
उसे देख कर मैं यही सोच रही थी कि इस व्यक्ति ने आखिरी बार अपनी सफलता का जश्न कब मनाया होगा. कुछ लोग कहेंगे, ‘रिपोर्टर बड़ा मेहनती है. उसने समय न बरबाद करते हुए दूसरी खबर पर काम भी शुरू कर दिया.’ लेकिन मेरा यहां बस एक ही सवाल है– ‘आखिर हम जी किसलिए रहे हैं?’ इनसान को जिंदगी जीने के लिए मिली है या मर–मर कर काम करने के लिए? हम सोचते रह जाते हैं कि बाद में जश्न मनाऊंगा और वह दिन कभी नहीं आ पाता.
हम सोचते हैं कि 12वीं पास कर लूं, तो पार्टी करूंगा. लेकिन जब पास हो जाते हैं, तो कॉलेज चुनने में लग जाते हैं. हम सोचते हैं कि ग्रेजुएट हो जाऊं, तब पार्टी करूंगा. लेकिन जब वो दिन आता है, तो नौकरी तलाशने में लग जाते हैं. सोचते हैं कि नौकरी मिल जायेगी, तो पार्टी करूंगा, लेकिन फिर शादी की तैयारी में, फिर बच्चों का करियर बनाने में लग जाते हैं. जश्न मनाने का वह दिन कभी नहीं आ पाता.
हमें यह समझना होगा कि जिस दिन को हमने खुल कर जी लिया, जश्न मना लिया, वही खास दिन है. बाकी तो सिर्फ तारीखें हैं, जो आयेंगी और जायेंगी. बेहतर है कि हम रोज जश्न मनायें. ऑफिस में कुछ अच्छा काम किया, तो चॉकलेट खरीद कर खा लें. पार्टी बड़ी या छोटी मायने नहीं रखती. बस सेलिब्रेट करें. अंत में कुछ सवाल.
आखिरी बार आपने बिना किसी की परवाह किये दिल खोल कर डांस कब किया था? आखिरी बार कब जोर–जोर से गाना गाया था? आखिरी बार कब खाली सड़क पर तेज दौड़ लगायी थी? आखिरी बार कब अपना नाम बिल्डिंग की ऊंचाई से जोर–से पुकारा था? अगर आपने यह सब नहीं किया, तो आप जिंदगी जी नहीं रहे हैं. एक बार यह पागलपन कर के देखें और मुझे बतायें कि कैसे लगा.
– बात पते की
* ये न सोचें कि लोग क्या कहेंगे. बस आप अपनी हर सफलता का जश्न मनाते जायें. जिंदगी को खुल कर जीयें. काम और संघर्ष तो चलता ही रहता है.
* अपने मरने के दिन न गिनें. ये न सोचें कि अब 20 साल बचे हैं, अब 10 साल बचे हैं और अब पांच साल बचे हैं. बस वर्तमान में जीयें और भरपूर जीयें.