अमेरिका में बीबीसी की डॉक्यूमेंटरी की प्रदर्शनी में शिरकत करेंगी स्टरीप व पिंटो
न्यूयार्क : वर्ष 2012 में निर्भया के साथ खौफनाक सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंटरी का अगले सप्ताह अमेरिका में प्रदर्शन होगा. भारत में प्रतिबंधित इस फिल्म के प्रति एकजुटता दिखाते हुए इस प्रदर्शन में ऑस्कर विजेता अदाकारा मेरिल स्टरीप और फ्रीडा पिंटो हिस्सा लेंगी. एनजीओ वाइटल वाइस ग्लोबल पार्टनरशिप और […]
न्यूयार्क : वर्ष 2012 में निर्भया के साथ खौफनाक सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंटरी का अगले सप्ताह अमेरिका में प्रदर्शन होगा. भारत में प्रतिबंधित इस फिल्म के प्रति एकजुटता दिखाते हुए इस प्रदर्शन में ऑस्कर विजेता अदाकारा मेरिल स्टरीप और फ्रीडा पिंटो हिस्सा लेंगी. एनजीओ वाइटल वाइस ग्लोबल पार्टनरशिप और बाल विकास संगठन प्लान इंटरनेशनल की ओर से पेश डॉक्यूमेंटरी ‘स्टोरीविले : इंडियाज डॉटर’ का सिटी यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयार्क के बरुच कॉलेज में नौ मार्च को प्रदर्शन होगा.
स्टरीप और पिंटो के साथ प्रदर्शन में डॉक्यूमेंटरी की निर्देशक लेस्ली उडविन भी शामिल होंगी. पिंटो ‘बीकोज आई एम ए गर्ल’ की ग्लोबल एंबेसडर हैं. प्लान की दूत उडविन ने कहा कि दिसंबर 2012 दुष्कर्म और उसके बाद हुयी विरोध की घटना ‘लैंगिक समानता के लिए अरब स्प्रिंग’ थी. उडविन ने कहा, ‘भारत में फिल्म बनाए जाने के दौरान मुझे अपने पति और दो बच्चों से दो साल तक अलग रहने के लिए जिस चीज ने प्रेरित किया वो सिर्फ बलात्कार की भयावहता और सडकों पर उतरने वाले लोग ही नहीं थे. यह एक आवाज थी अब बहुत हो चुका.’
उन्होंने कहा, ‘अप्रत्याशित संख्या में पुरुष और महिलाएं हर दिन आंसू गैस के गोलों, लाठियों, पानी की बौछारों सहित कठोर सरकारी दमन का सामना करने के लिए निकलने लगे. वे मेरे अधिकारों और सभी महिलाओं के अधिकारों के लिए प्रदर्शन कर रहे थे. यहां मुझे उम्मीद की किरण नजर आयी. मैं अपनी जिंदगी में कोई दूसरा देश याद नहीं कर सकती, जहां ऐसा हुआ हो.’ वाइटल वाइस की मानवाधिकार उपाध्यक्ष किंडी डेयर ने हर किसी से यह फिल्म देखने और आवाज उठाने की गुजारिश की. डेयर ने कहा कि यह ‘उकसाने वाली’
डॉक्यूमेंटरी वैश्विक स्तर पर सांस्कृतिक बदलाव का एक सशक्त मंच है और महिलाओं के खिलाफ उस रवैये और उन मान्यताओं को उजागर करती है जिनके चलते उनके खिलाफ हिंसा होती है. उन्होंने कहा, ‘पूरी दुनिया को इस समझदारी और साहसपूर्ण आह्वान पर गौर करना चाहिए. यह केवल भारत की नहीं हर कहीं की बात है. हममें से हर किसी में उस घटिया रवैये और उन मान्यताओं को उजागर करने का साहस होना चाहिए जो इस तरह के खौफनाक अपराधों को आधार देते हैं.’
ब्रिटेन में चार मार्च को इस डॉक्यूमेंटरी का प्रदर्शन हुआ. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में स्वीटजरलैंड, नार्वे और कनाडा सहित दुनिया भर में इसे प्रदर्शित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि डॉक्यूमेंटरी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह स्तब्ध करने वाली और जड जमाए बैठी ऐसी सांस्कृतिक रुढियों का पर्दाफाश करती है जो हमारे समाज में कुछ पुरुषों और महिलाओं में विद्यमान है. ऐसे अपराध करने वालों की सोच का क्या तरीका है, इसमें इसका पूरी तरह से सजीव चित्रण हुआ है.