पाकिस्तान से नजदीकी अफगानिस्तान को पड सकती है भारी : करजई

काबुल : अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के पाकिस्तान को अकल्पनीय रियायतें जाने से आतंकित पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने आज चेतावनी दी कि पाकिस्तान से यह नजदीकी अफगानिस्तान को खतरे में डाल सकती है. गनी के राष्ट्रपति बनने से पहले 10 वर्ष तक अफगानिस्तान पर शासन करने वाले 57 वर्षीय करजई ने कहा, ‘हम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 10, 2015 7:19 PM

काबुल : अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के पाकिस्तान को अकल्पनीय रियायतें जाने से आतंकित पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने आज चेतावनी दी कि पाकिस्तान से यह नजदीकी अफगानिस्तान को खतरे में डाल सकती है. गनी के राष्ट्रपति बनने से पहले 10 वर्ष तक अफगानिस्तान पर शासन करने वाले 57 वर्षीय करजई ने कहा, ‘हम एक दोस्ताना रिश्ता चाहते हैं लेकिन पाकिस्तान की धौंस में नहीं.’

अखबार के मुताबिक अफगानिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रंगिन दादफर स्पांता ने गनी को भारत से दूरी बनाने के उनके प्रयासों के प्रति आगाह करते हुए कहा कि नई सरकार की नीतियां एक शत्रु ताकत के अपमानजनक तुष्टिकरण के समान है, जो अपने तौर तरीके कभी नहीं बदलेगा. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में भारत के सहयोग से चल रही कई विकास परियोजनाओं का काम रोक दिया गया है, जो भारत की नाराजगी का सबब हो सकता है.

करजई ने अधिकारी प्रशिक्षण के लिए छह सेना कैडेटों को पाकिस्तान भेजने के अपने उत्तराधिकारी के फैसले की भी पिछले महीने आलोचना की थी. उन्होंने कहा, ‘हमें सैनिकों को प्रशिक्षण के लिए किसी भी पडोसी देश में नहीं भेजना चाहिए जबकि वे बदले में आत्मघाती हमलावर भेज रहे हैं.’ पाकिस्तान में तालिबान नेतृत्व और संगठनात्मक गतिविधियों की खुली इजाजत दिए जाने के संदर्भ में उन्होंने यह बात कही.

करजई ने ब्रिटिश अखबार गार्जियन को दिए एक साक्षात्कार में कहा है कि ब्रिटिश साम्राज्य और सोवियत आक्रमण के खिलाफ अफगानिस्तान का ऐतिहासिक संघर्ष बेकार हो जाएगा अगर देश पडोसी पाकिस्तान के सामने झुक गया. पूर्व अफगान राष्ट्रपति की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब उनके उत्तराधिकारी गनी ने पाकिस्तान के साथ परंपरागत द्वेषपूर्ण संबंधों में इस आशा के साथ बदलाव दिया कि इससे उसे तालिबान के साथ शांति करार करने में मदद मिलेगी.

भारत ने सहायता और पुनर्निर्माण कार्यों के लिए अफगानिस्तान में दो अरब डॉलर का निवेश किया है और सैकडों अफगान अधिकारियों को प्रशिक्षित किया है. करजई ने कहा कि अफगानिस्तान किसी विदेशी शक्ति की अधीनता नहीं स्वीकारेगा भले ही कडा प्रतिरोध क्यों ना करना पडे.

उन्होंने कहा कि हमने हम बहुत बेहतर स्थिति में होते यदि हमने सोवियत संघ के खिलाफ लडाई नहीं लडी होती. उन्होंने 1980 के दशक में मुजाहिदीनों द्वारा पैदा की गई अशांति का जिक्र करते हुए यह कहा. करजई ने गनी के साथ संबंधों पर कहा, ‘हां, मेरे मतभेद हैं लेकिन मैं कुछ नहीं कहूंगा. मैं चुप रहूंगा, राष्ट्रपति गनी को व्यक्तिगत स्तर पर सलाह दूंगा. मैं बिल्कुल सरकार का समर्थन करुंगा.’

करजई गनी के कई अहम नवोन्मेषों के भी आलोचक हैं. गनी ने अफगान सीमा पर तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान से लडने के लिए सैनिकों को भेजा, जबकि अफगान तालिबान सीमा के उस पार सुरक्षा पा रहा है.

Next Article

Exit mobile version