संयुक्त राष्ट्र : भारत ने संयुक्त राष्ट्र से कहा है कि लैंगिक समानता एवं महिला सशक्तिकरण के लक्ष्य हासिल करने के लिए सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) उपकरणों का इस्तेमाल अहम साबित होगा और इससे डिजिटल उपकरणों के इस्तेमाल के क्षेत्र में अंतर पाटने में मदद मिलेगी. भारत के महिला एवं बाल विकास मंत्रलय में सचिव विनय शील ओबरॉय ने लैंगिक समानता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए यहां कहा कि देश का दृढ विश्वास है कि महिलाएं टिकाउ सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन एवं विकास में बराबर की भागीदार हैं.
ओबरॉय ने कल कहा कि 21वीं सदी की मौजूदा और उभरती चुनौतियों से पार पाने में सभी महिलाओं, लडकियों, पुरुषों और लडकों की समान भागीदारी को प्रोत्साहित करना विकास की प्रक्रिया की कुंजी है. उन्होंने यहां ‘कमीशन ऑफ द स्टेटस ऑफ विमेन’ के 59वें सत्र में कहा, ‘लैंगिक समानता एवं महिला सशक्तिकरण के लक्ष्यों को हासिल करने में आईसीटी उपकरणों का इस्तेमाल अहम भूमिका निभा सकता है.’
ओबरॉय ने साथ ही कहा कि लैंगिक समानता के क्षेत्र में स्थायी विकास लक्ष्य हासिल करना, राजनीतिक इच्छाशक्ति और संसाधनों का इस्तेमाल लैंगिक परिप्रेक्ष्य वाले उत्तर-2015 विकास एजेंडे के वास्तविक समावेशी, न्यायसंगत एवं पर्विनकारी लक्ष्यों को पाने में अहम होगा. ओबरॉय ने कहा कि विकास के लिए कार्यक्रमों, कानूनों और नीतियों के निर्माण में लैंगिक परिप्रेक्ष्य को मुख्य रूप से ध्यान में रखना भारत सरकार की प्राथमिकता है.
उन्होंने छोटी बचत को प्रोत्साहित करने के लिए शुरू की गयी जमा योजना ‘सुकन्या समृद्धि योजना’ और महिला उद्यमियों की मदद के लिए स्थापित किए गए देश के पहले महिला बैंक का उदाहरण दिया. ओबरॉय ने कहा कि घटते लैंगिक अनुपात की समस्या से निपटने के लिए इस वर्ष की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राष्ट्रव्यापी बहु क्षेत्रीय पहल ‘बेटी बचाओ, बेटी पढाओ’ आरंभ की गई.