बिना ध्येय के आपकी साइकिल भी गिर सकती है
।। दक्षा वैदकर ।। एक सव्रे में यह पाया गया कि छुट्टियों तथा विशेष दिनों जैसे शादी की वर्षगांठ, जन्मदिन या त्योहार के वक्त मृत्युदर अचानक कम हो जाती है. बहुत से बुजुर्ग एक और दीपावली, पोते का जन्म, पोते की शादी आदि जी लेने का ध्येय निर्धारित कर लेते हैं. आयोजन के तुरंत बाद, […]
।। दक्षा वैदकर ।।
एक सव्रे में यह पाया गया कि छुट्टियों तथा विशेष दिनों जैसे शादी की वर्षगांठ, जन्मदिन या त्योहार के वक्त मृत्युदर अचानक कम हो जाती है. बहुत से बुजुर्ग एक और दीपावली, पोते का जन्म, पोते की शादी आदि जी लेने का ध्येय निर्धारित कर लेते हैं.
आयोजन के तुरंत बाद, जब ध्येय प्राप्त हो जाता है, तो जीने की इच्छा घट जाती है और मृत्यु दर बढ़ जाती है. यह बात साबित करती है कि जीवन मूल्यवान है और सिर्फ तब तक चलता है जब तक कि जीवन के पास उद्देश्य के रूप में कुछ मूल्यवान होता है. जीवन के लिए ध्येय महत्वपूर्ण है और यह बात हम में से हर कोई जानता है.
उसके बावजूद भी व्यक्ति अपनी मरजी से उदासीनता की सड़क पर ‘अर्थपूर्ण विशिष्ट व्यक्ति’ बनने के बजाय भटकती भीड़ में चलनेवाला बेकार इनसान बनना चाहता है. स्वर्गीय मैक्सवैल माल्ट्ज की एक पुस्तक है ‘साइको–साइबरनेटिक्स’. इसमें वे लिखते हैं ‘आदमी काम करने के मामले में एक साइकिल की तरह है.
जब तक वह किसी उद्देश्य–किसी ध्येय की ओर आगे नहीं बढ़ रहा है, वह लड़खड़ाने वाला है और गिरनेवाला है.’
हम आज ही यह तय करें कि अपने जीवन का एक लक्ष्य बनायेंगे. वे युवा, जो अक्सर पूछते हैं कि मैं सफल इनसान कैसे बनूं? उन्हें एक सुझाव. पहले यह तय करें कि आपके मुताबिक सफल इनसान कौन है? आप किस पद को हासिल करने के बाद यह मानेंगे कि आप सफल हैं? अब आप उस पद को केवल अपने दिमाग में न रखें, इसे कागज पर नोट करें. क्या आप ऐसे किसी व्यक्ति को जानते हैं, जो उस पद पर है.
यदि नहीं, तो ऐसा व्यक्ति तलाशें और उस व्यक्ति की दिनचर्या व खूबियों पर गौर करें. देखें कि कौन–कौन–सी खूबी उस व्यक्ति में हैं. अब लिस्ट को देखें और सोचें कि आप उन खूबियों को किस तरह पा सकते हैं.
अब एक–एक खूबी पर काम शुरू करें. यदि आपको लगता है कि वह व्यक्ति देश–दुनिया की सारी जानकारी रखता है, तो तुरंत अपना रुख न्यूज पेपर्स, न्यूज चैनल्स की तरफ करें. ज्ञानवर्धक किताबें पढ़ें, मसलों को समङों. यदि आपको लगता है कि उसका व्यक्तित्व आकर्षक है. बॉडी लैंग्वेज बेहतर है, तो अपनी उस कमजोरी को दूर करें.
बात पते की
– लक्ष्य बनाना अलग बात है और उस पर अमल करना अलग. लक्ष्य तभी पूरा होगा, जब आप उस तक पहुंचने की प्लानिंग करेंगे. उसके मुताबिक चलेंगे.
– आप जिस जगह पर पहुंचना चाहते हैं, वहां तक पहुंचने का रास्ता तय करें. हर चीज का कागज पर नोट करें, ताकि रास्ता साफ–साफ नजर आये