श्रुति के दिमाग की उपज है शिफू की डिजाइन

पर्सनल मैनेजमेंट टूल की डिजाइन के लिए शुरुआती रूपरेखा श्रुति के दिमाग की बेमिसाल कल्पना है. शिफू की टीम से जुड़ने से पहले श्रुति ने फ्री-लांसर के तौर पर एप्प डिजाइन की नींव रखी थी. पर्सनल मैनेजमेंट टूल शिफू के टीम के सदस्यों का भी मानना है कि यह श्रुति की कल्पनाशीलता की ही देन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 19, 2015 11:05 AM
पर्सनल मैनेजमेंट टूल की डिजाइन के लिए शुरुआती रूपरेखा श्रुति के दिमाग की बेमिसाल कल्पना है. शिफू की टीम से जुड़ने से पहले श्रुति ने फ्री-लांसर के तौर पर एप्प डिजाइन की नींव रखी थी. पर्सनल मैनेजमेंट टूल शिफू के टीम के सदस्यों का भी मानना है कि यह श्रुति की कल्पनाशीलता की ही देन है कि इस प्रोजेक्ट में उन्हें अपेक्षित कामयाबी हासिल हुई. आइए जानते हैं कैसे शुरू हुआ सफर और कैसे मिली कामयाबी..
कभी बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में कैरियर बनाने का सपना देखनेवाली श्रुति गुप्ता ने सोचा भी नहीं होगा कि वे डिजाइन के क्षेत्र में इतनी बड़ी कामयाबी हासिल कर पायेंगी. विभिन्न फीचरों से लैस पर्सनल मैनेजमेंट टूल ‘शिफू’ के डिजाइन में श्रुति गुप्ता ने बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. शिफू के लिए श्रुति ने यूआइ/यूएक्स और विजुअल डिजाइनर के रूप में अपने काम की शुरुआत की.
डिजाइन में रुझान ने बनाया कैरियर
श्रुति गुप्ता की डिजाइन के प्रति बचपन से ही रुचि थी, जिसने इस कैरियर के लिए प्रेरित किया. उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में जन्मी श्रुति बचपन के दिनों को याद करते हुए बताती हैं कि मां की रेसिपी बुक से लेकर टेक्स्ट बुक तक डिजाइन को एंज्वॉय करती थीं. बायोटेक्नोलॉजी की तरफ शुरुआती रुझान के बावजूद श्रुति ने अंतत: डिजाइन को ही अपना कैरियर चुना. बीआइटी मेसरा से डिजाइन में डिग्री हासिल करने के बाद बुक पब्लिशर्स से लेकर इवेंट मैनेजर के तौर पर भी काम किया.
शिफू के लिए की शुरुआत
शिफू के लिए श्रुति को नॉमिनेट करनेवाले शिफू के सह-संस्थापक दीपांश जैन के मुताबिक शुरुआती दिनों में शिफू के लिए हर काम अलग तरीके से करना बेहद चुनौतीपूर्ण था. इनमें सबसे बड़ा काम एक अच्छे डिजाइनर को चुनना था. इस काम के लिए श्रुति एक अच्छे विकल्प के रूप मिलीं. कंज्यूमर मोबाइल एप्प की डिजाइन के लिए श्रुति पर टीम ने विश्वास जताया और इसका अपेक्षित परिणाम भी हासिल हुआ.
अलग सोच ने दिलायी कामयाबी
किसी भी कामयाबी के पीछे विशेष प्रकार की प्लानिंग होती है. एक अच्छी टीम न केवल एक जटिल कार्य को आसान बना देती है, बल्कि काफी हद तक किसी मिशन की कामयाबी सुनिश्चित कर देती है. दीपांश के मुताबिक, शिफू का कार्य मूलत: डाटा और लॉजिक पर आधारित है. ऐसे में कई बार यूजर्स के नजरिये से सेंसेटिविटी और अवेयरनेस को भांप पाना मुश्किल था. यूजर्स के नजरिये को परखे बिना प्रोडक्ट की डिजाइन असंभव कार्य था. लेकिन, श्रुति ने इस काम को पूरा कर दिया. शुरुआत में शिफू के को-फाउंडर प्रशांत सिंह ने इस कार्य के लिए श्रुति से संपर्क किया. पहले छह महीनों के लिए श्रुति ने फ्रीलांसर के तौर पर कार्य किया. बाद में फुल टाइम टीम का हिस्सा बन गयीं.
डिजाइन से मिलती है प्रेरणा
श्रुति का मानना है कि किसी ऐसी चीज का निर्माण करना, जिसकी पहले से कल्पना नहीं की गयी हो, आपके अंदर एक अलग प्रकार का रोमांच पैदा करती है. जब आप सात दिनों के भीतर नये यूनिवर्स के निर्माण का लक्ष्य तय करते हैं, तो आपको बिल्कुल भगवान की तरह एहसास होता है. सातवें दिन लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाते हैं, तो आप का तर्क होता है ‘रोम का निर्माण एक दिन में नहीं हुआ था’. इन सब बातों को श्रुति बेहद महत्वपूर्ण मानती हैं.
डिजाइन के लिए चाहिए व्यापक नजरिया
एक अच्छे डिजाइन के लिए श्रुति का मानना है कि किसी संदेश को संभावित बेहतर तरीके से यूजर्स तक पहुंचाने की कला ही कामयाब डिजाइनिंग है. किसी डिजाइन की रूपरेखा तैयार करने से पहले यह प्रश्न सामने आता है कि हम यूजर्स के लिए कैसे बेहतर कर सकते हैं, जो उसे आसानी से आकर्षित कर सके. एक बार लक्ष्य स्पष्ट हो जाने पर निर्धारित बिंदु तक पहुंचना बेहद आसान हो जाता है. डिजाइन की मेरिट को टीम के सुझाव के अनुसार और बेहतर बनाया जा सकता है. दीपांश का मानना है कि श्रुति का डिजाइन के प्रति कल्पना असाधारण है. वह सबसे पहले यूजर डाटा को बारीकी से परखती हैं और फिर पैटर्न को समझ कर इसे डिजाइन में परिवर्तित करती हैं. इसी कला के आधार पर श्रुति ने शिफू के लिए अलग-अलग वजर्न पर काम किया, जो टीम के किसी अन्य सदस्य द्वारा संभव नहीं था. दीपांश का मानना है कि बारीकी से परखने की क्षमता और समयबद्धता श्रुति की विशेष पहचान है.

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